- ठीक हो लौटने पर भी कई कोरोना पेशेंट्स को नहीं मिला सर्टिफिकेट

- बार-बार मांगने पर भी हेल्थ डिपार्टमेंट कर रहा टालमटोल

GORAKHPUR: सर, मैं मुंबई में जॉब करता हूं। मुंबई में बढ़ते कोरोना केसेज देखते हुए गांव आ गया था। घर आया तो मुझे छोड़कर बाकि परिजन कोरोना पॉजिटिव हो गए। लेकिन उनकी कोरोना रिपोर्ट आज तक नहीं मिली। अगर रिपोर्ट मिल जाती तो मैं अपनी कंपनी में यह प्रूव कर पाता कि मेरे घर में कोरोना केस मिले थे। यह दरख्वास्त है पिपरौली ब्लॉक के कालाबाग गांव निवासी शकुंतला देवी के देवर की, जो अपनी जॉब छूटने के डर से फैमिली की कोरोना रिपोर्ट मांगते फिर रहे हैं। यह सिर्फ एक कोरोना चैंपियन या उनकी फैमिली मेंबर की समस्या नहीं है। ऐसे दर्जनों लोग हैं जो कोरोना को मात देकर घर लौट चुके हैं लेकिन उन्हें कोई कोरोना रिपोर्ट ही नहीं दी गई। जिनको दिया भी गया है उन्हें डिस्चार्ज लेटर दिया गया है जो कंपनी वाले मान नहीं रहे हैं।

कंपनी वाले मांग रहे प्रूफ

पिपरौली ब्लॉक के कालाबाग गांव निवासी शकुंतला देवी अपनी दो बेटियों शिवानी व रिचा और देवर के साथ मुंबई से लौटी थीं। गांव पहुंचने पर हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम ने मां व बेटियों को कोरोना पॉजिटिव बता एडमिट करा दिया गया था। शकुंतला के देवर ने बताया कि 17 जून को उनकी भाभी व भतीजियों को रेलवे हॉस्पिटल के आईसोलेशन वार्ड में एडमिट किया गया था। 22 जून को डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन न एडमिट करते वक्त और न डिस्चार्ज के बाद अब तक कोरोना पॉजिटिव का सर्फिफिकेट दिया गया। जबकि कई बार वे इसके लिए सीएचसी पर मांग कर चुके हैं। उनके पास ऐसा कोई प्रमाण पत्र नहीं है कि वह यह बता सकें कि उनकी फैमिली कोरोना संक्रमित थी। जबकि वे मुंबई की जिस कंपनी में जॉब करते थे, वहां से लगातार फैमिली की कोराना रिपोर्ट की कॉपी मांगी जा रही है। रिकॉर्ड मुहैया न करा पाने की सूरत में उनकी नौकरी भी जा सकती है। जिससे परेशान हो वे हेल्थ डिपार्टमेंट के जिम्मेदारों तक दौड़ लगाने को मजबूर हैं।

सिर्फ थमा दिया डिस्चार्ज सर्टिफिकेट

वहीं, बेतियाहाता निवासी अमित कुमार के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर भी उन्हें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं दी गई थी। वे गुरुग्राम की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं। तबीयत खराब होने पर वह अपने घर गोरखपुर आए थे। वे बताते हैं कि सिर्फ उन्हें डिस्चार्ज सर्टिफिकेट दिया गया है। अगर इसे लगाने से कंपनी वाले मान जाते हैं तो ठीक वरना कोरोना सर्टिफिकेट मांगेंगे तो फिर दिक्कत आएगी। अमित बताते हैं कि रेलवे हॉस्पिटल के आईसोलेशन वार्ड में 12 जून को एडमिट किया गया था। 22 जून को डिस्चार्ज किया गया लेकिन कोई कोरोना रिपोर्ट नहीं दी गई।

क्राइम ब्रांच से आई थी कॉल

इसी प्रकार उरवा बाजार के सुमित कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर 18 जून को एडमिट किए गए थे। 23 जून को उन्हें डिस्चार्ज किया गया लेकिन इन्हें भी कोरोना पॉजिटिव की कोई रिपोर्ट नहीं दी गई। वहीं बेलघाट के ऋषिकांत जायसवाल बताते हैं कि उन्हें कोरोना पॉजिटिव होने की सूचना क्राइम ब्रांच और हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से कॉल के जरिए दी गई थी। उन्हें 18 जून को रेलवे हॉस्पिटल के आईसोलेशन वार्ड में एडमिट किया गया था। लेकिन 23 जून को वापस लौटते वक्त डिस्चार्ज सर्टिफिकेट के अलावा कोरोना रिपोर्ट नहीं दी गई।

वर्जन

कोरोना मरीजों की पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद ही उन्हें आईसोलेशन वार्ड में एडमिट किया जाता है। उन्हें रिपोर्ट दिखानी ही है तो डिस्चार्ज रिपोर्ट दिखा लें।

डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ