अब हिंदी से हुआ लगाव
सजा के पल भी कभी कभी पूरी लाइफ के लिए यादगार बन जाते हैं। ऐसा ही कुछ थाइलैंड की खवानरू सैसुद के साथ हुआ जो एनडीपीएस एक्ट के तहत लगभग चार साल से मंडलीय कारागार में बंद है। हिंदी और भोजपुरी से अननोन खवानरू सिर्फ इंग्लिश बोलना ही जानती थीं मगर जेल में रहकर वह अब हिंदी और भोजपुरी भी काफी हद तक लिखना और बोलना सीख गई हैं। खवानरू में इतना चेंज देख जेल के अधिकारी भी हैरान हैं। खवानरू न सिर्फ हिंदी सीख रही है बल्कि बैरक में बंद अन्य महिलाओं को इंग्लिश सिखा रही हैं। उसी का नतीजा है कि हिंदी और इंग्लिश न जानने वाली कैदी और बंदी भी एक दूसरे के करीबी फ्रेंड्स बन गई हैं।

कौन है खवानरू सैसुद
थाईलैंड के सैगडोनाई, कुंतया निवासी सुमैर सैसुद की दो बेटियां हैं। एक बेटी दिल्ली में रहती है तो दूसरी बेटी खवानरू सैसुद (26) थाईलैंड में रहती थी। खवानरू अक्सर किसी न किसी काम से गोरखपुर के रास्ते दिल्ली जाती थी। तीन साल पहले डीआरआई ने खवानरू को सोनौली बार्डर के पास से गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से 10 किलो से अधिक की स्मैक मिली थी। 23 अप्रैल 08 को उसे जेल भेज दिया गया। जेल सूत्रों की मानें तो खवानरू जब आई थी, तब काफी खतरनाक और हिंदी लैंग्वेज से अननोन थी। स्टार्टिंग में वह इंडियंस से बात करना भी पसंद नहीं करती थी मगर धीरे-धीरे खवानरू को हिंदी और भोजपुरी भाने लगी। उसने अन्य बैरक में बंद महिलाओं से हिंदी और भोजपुरी सीखना शुरू किया। चार साल के टाइम में खवानरू सिर्फ हिंदी और भोजपुरी बोलती ही नहीं बल्कि लिख भी लेती हैं। साथ ही रोज हिंदी में भगवान की पूजा अर्चना भी करती है। खवानरू के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/22/23/43/61/62  के तहत केस  दर्ज है।

जेल की महिला बैरक में हर अपराध में महिलाएं बंद हैं जिसमें एक थाईलैैंड की रहने वाली है, जो चार साल पहले एनडीपीएस में जेल आई थी। अब वह यहां की महिलाओं को इंग्लिश सिखा रही है। साथ ही खुद हिंदी और भोजपुरी भी सीख रही है। इससे जेल की महिला बैरक का माहौल काफी अच्छा हो गया है।
नवमी लाल, जेलर, मंडलीय जेल, गोरखपुर

 

report by : kumar.abhishek@inext.co.in