गोरखपुर (ब्यूरो)।एसोसिएशन ने असंतोष जताते हुए 80 परसेंट हॉस्पिटल्स का संचालन झोलाछाप, एम्बुलेंस ड्राइवर और प्रॉपर्टी डीलर के हाथ में होने की बात कहकर इन्हें बचाने का भी आरोप लगाया है। हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से जारी 153 डॉक्टर्स की जांच पर सीएमओ डॉ। आशुतोष कुमार दुबे ने दो टूक कहा है, डॉक्टर अलग-अलग हॉस्पिटल्स से रजिस्ट्रेशन करा लें, अन्यथा किसी को छोड़ा नहीं जाएगा।

असंतुष्ट एसोसिएशन ने रखा पक्ष

एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ। शिवशंकर शाही ने कहा, हेल्थ डिपार्टमेंट की लिस्ट में ज्यादातर उन डॉक्टर्स के नाम हैं, जिनके क्लीनिक और हॉस्पिटल अलग-अलग हैं। ये डॉक्टर क्लीनिक पर मरीज देखते हैं और अपने हॉस्पिटल में भर्ती करते हैं। ऐसे डॉक्टर्स पर अंगुली उठाना गलत है। अध्यक्ष डॉ। शाही ने बताया कि हेल्थ डिपार्टमेंट जिस डॉक्टर के नाम पर दो संस्थान मान रहा है। वह एक ही है। बताया कि लिस्ट में कई ऐसे डॉक्टर्स के नाम हैं, जिनके नाम पर नर्सिंग होम रजिस्टर्ड है। जबकि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं है।

आसपास एरिया में जांच करे हेल्थ डिपार्टमेंट

एसोसिएशन पदाधिकारियों ने कहा, हेल्थ डिपार्टमेंट प्रशासन की मदद से जिले और उसके आसपास के जिलों में चल रहे हॉस्पिटल्स की जांच करे। जिससे फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन करने वाले लोगों की पोल खुल सके। एसोसिएशन के सेक्रेट्री डॉ। अमित मिश्रा ने बताया, यदि कोई डॉक्टर किराये के तौर पर अपना नाम से किसी हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन कराता है तो यह गलत है। हेल्थ डिपार्टमेंट झोलाछाप डॉक्टर्स एवं फर्जी हॉस्पिटल्स के खिलाफ कार्रवाई करे। इसमें एसोसिएशन हरसंभव मदद करेगा।

इन नियमों का हो पालन तो रुकेगी धांधली

- हॉस्पिटल और क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन हर वर्ष होता है। हेल्थ डिपार्टमेंट यह ध्यान दें कि एक डॉक्टर के नाम से केवल एक ही संस्थान रजिस्टर्ड हो।

- डॉक्टर अपनी डिग्री बेचकर कहीं और रह रहे हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

- रजिस्ट्रेशन के बाद हॉस्पिटल मे डॉक्टर का नाम, डिग्री, रजिस्ट्रेशन नंबर, बैठने का समय और फोन नंबर लिखा हो।

- लिस्ट में 80 प्रतिशत ऐसे हॉस्पिटल्स के नाम हैं, जिसे झोलाछाप, एम्बुलेंस ड्राइवर, प्रॉपर्टी डीलर और अन्य असामाजिक तत्व चला रहे हैं। ऐसे हॉस्पिटल्स की नियमित जांच की जाए कि आखिर वहां कौन डॉक्टर बैठता है।

- प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा स्कीम के लाभार्थियों का ऑपरेशन गांव और झोलाछाप डॉक्टरों के यहां हो रहा है। इसमें सुनिश्चित किया जाए कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर की फोटो जरूर ली जाए।

जिले में 153 डॉक्टर्स के नाम से 400 हॉस्पिटल शहर और कस्बों में संचालित हो रहे हैं। इसमें देहात एरिया के भी नर्सिंग होम हैं। झोलाछाप की मिलीभगत से मरीजों को हॉस्पिटल तक पहुंचाने का कार्य किया जाता है, जिन डॉक्टर के नाम एक से अधिक हॉस्पिटल रजिस्टर्ड हैं। वह सीएमओ कार्यालय में आवेदन देकर रजिस्ट्रेशन कैंसिल करा लें। इसके बाद झोलाछाप की दुकानदारी अपने आप बंद हो जाएगी। हालांकि अभी भी मामले की जांच चल रही है। किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा।

डॉ। आशुतोष कुमार दुबे, सीएमओ गोरखपुर

वैधानिक नहीं आईएमए की मंशा

बीती 22 जनवरी को हुई आईएमए की मीटिंग में चर्चा हुई थी कि आईएमए की ओर से संचालित चिकित्सा संस्थानों का सीएमओ रजिस्ट्रेशन एक वर्ष ना हो होकर कम से कम 5 साल के लिए होना चाहिए। इस पर सीएमओ ने कहा, हमें आईएमए की इस मंशा का कोई पत्र नहीं मिला है। वैसे यह वैधानिक नहीं है। शासन की ओर से एक साल के रजिस्ट्रेशन का नियम है। उसी हिसाब से प्रदेशभर में नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन होते हैं।