आंसू छलकने से पहले आंखों के सामने तबाह हो गया सब

- सिटी से जुड़े 50 से अधिक परिवार हुए हैं तबाही के शिकार

- मिनटों में तबाह हो गई पूरी जिंदगी की कमाई

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : बाढ़ नहीं तबाही थी वह। घर पर सभी लोग सो रहे थे। सुबह नींद खुली तो रोज की तरह दरवाजा खोला। तभी फोन आया कि बाढ़ का पानी जवाहर नगर की ओर बढ़ रहा है। जब तक कुछ समझ पाता, पानी घर के अंदर दाखिल हो गया। परिवार के सभी लोगों को जगाता, तब तक पानी सीढि़यों तक पहुंच गया। पांच मिनट भी नहीं बीते थे कि पहली मंजिल पूरी तरह डूब गई। परिवार के सभी लोग चिल्लाते हुए सब कुछ छोड़-छाड़ कर छत की ओर भागने लगे। जितनी तेजी से लोग छत की ओर भाग रहे थे, उससे कहीं ज्यादा तेजी से पानी का दायरा बढ़ रहा था। 10 मिनट बीतते ही तीसरी मंजिल तक पानी पहुंच गया। हालांकि तब तक परिवार के सभी लोग छत पर पहुंच गए थे। यह बात कहते ही अतर सिंह हीरा फफक कर रो पड़े। गोरखपुर के धर्मशाला में रहने वाले अपने साले हरवंश सिंह से फोन पर उस तबाही की दास्तां बयां कर रहे अतर सिंह ने कहा कि सब कुछ तबाह हो गया। श्रीनगर के जवाहर नगर में क्वार्टर नंबर 427 में वह परिवार के साथ रहते थे। दिन-रात मेहनत कर जो भी कमाया था, वह एक पल में तबाह हो गया। शरीर में सिर्फ सांस चल रही है, मगर जिंदगी तो खत्म हो गई। यह कहानी अकेले अतर सिंह हीरा की नहीं बल्कि श्रीनगर में फंसे उन 50 से अधिक परिवारों की है, जिनकी तबाही पर गोरखपुर आंसू बहा रहा है।

दो मिनट पीछे रह गई मौत

अतर सिंह हीरा ने बताया कि तीन मंजिला मकान में परिवार के करीब 25 लोग छत पर मदद मांग रहे थे। पांच दिन तक कोई मदद नहीं मिली। पूरा परिवार भूखे-प्यासे मदद की दरकार कर रहा था। छत से गुजरने वाले हर हेलीकॉप्टर पर उन्हें भगवान नजर आ रहे थे। लाल कपड़ा दिखा कर मदद मांग रहे थे, मगर किसी ने कोई मदद नहीं की और न ही खाने का कोई सामान दिया। पांच दिन बाद हेलीकॉप्टर से आर्मी के जवान पहुंचे। उन्होंने धीरे-धीरे परिवार के लोगों को पानी में डूबे उस मकान से निकालना शुरू किया। अभी परिवार के सभी लोग कुछ कदम दूरी पर ही पहुंचे थे कि मकान पूरी तरह ढह गया। जिंदगी भर की कमाई उस मकान के साथ बर्बाद हो गई। घर से कुछ दूरी पर अतर सिंह की ज्वेलरी की दुकान थी। वह भी इस तबाही में खत्म हो गई।

भांजी को लाए थे बचाकर

मैजिक नगर में हरवंश सिंह और अतर सिंह के कई रिश्तेदार रहते हैं। सबसे पहले तबाही मैजिक नगर में स्टार्ट हुई। इससे अतर सिंह तबाही बढ़ने से पहले अपनी भांजी समेत रिश्तेदारों को वहां से निकाल कर अपने घर जवाहर नगर ले आए। सैटर्डे को मैजिक नगर पूरी तरह डूब चुका था। मगर संडे को मानों पीछा करते-करते पानी जवाहर नगर तक पहुंच गया। फोन पर बात करते हुए अतर सिंह ने बताया कि वे पूरे परिवार के साथ श्रीनगर स्थित गुरुद्वारा में रह रहे हैं। अतर सिंह की बेटी डिंपल कौर मोहद्दीपुर में रहती है।

गोरखपुर से गई मदद

हरवंश सिंह ने बताया कि कश्मीर के जवाहर नगर और मैजिक नगर में हमारे कई रिश्तेदार रहते हैं। गोरखपुर से जुड़े करीब 50 से अधिक परिवार वहां रहते हैं जो तबाही के बाद पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। कई दिन से सभी ने वहीं कपड़े पहन गुरुद्वारा में शरण ले रखी है। उनके लिए सिटी से परमजीत सिंह (टीटू), मंजीत सिंह, गुरमीत सिंह, सनी और शंटी कपड़े, खाने का सामान और जरूरत के अन्य सामान लेकर गए हैं।