गोरखपुर (ब्यूरो)। जुबिली इंटर कॉलेज स्थित मनोविज्ञान सेंटर की टीम इन दिनों प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में जाकर बच्चों की काउंसिलिंग कर रही है। जिसमे दो साल स्कूलों से दूर रहने का असर बच्चों पर साफ दिख रहा है।

15 स्कूलों की हो चुकी काउंसिलिंग

मनोविज्ञान सेंटर की एक्सपर्ट सीमा श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण दो साल तक स्कूल बंद थे और बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई चली। ऐसे में चाहे वो इंग्लिश मीडियम हो या गवर्नमेंट स्कूल सभी जगहों के बच्चों पर उसका प्रभाव पड़ा है। उन्होंने बताया कि इस समय गवर्नमेंट के क्लास 4 से लगाए 8 तक के बच्चों की मनोदशा की काउंसिलिंग करने स्कूलों में जा रही हूं। अभी तक मैंने 15 स्कूलों में जाकर वहां के बच्चों की काउंसिलिंग की है।

30 क्वेश्चन के हां या ना में देना है जवाब

उन्होंने बताया कि बच्चों की काउंसिलिंग के लिए मैंने 30 क्वेश्चन तैयार किए हैं। बच्चों को इन क्वेश्चन के हां या ना में जवाब देने हैं। किसी भी स्कूल में जाकर सबसे पहले बच्चों की अच्छे बात कर उनसे परिचिय पूछती हूं, इसके बाद उन्हें सवालों से संबंधित सारी बातें और कैसे आंसर देना है वो बताती हूं।

बंद हुए स्कूल तो लिखना-पढऩा भूल गए बच्चे

उन्होंने बताया कि 30 क्वेश्चन के जवाब से मुझे बच्चे की मनोदशा के बारे में पता चल जाता है। वो कहां पर कमजोर महसूस कर रहा है, इसका भी पता चल जाता है। उन्होंने बताया कि दो साल का गैप काफी हद तक बच्चों को प्रभावित किया है। स्कूल बंद रहने से काफी बच्चे लिखने-पढऩे में कमजोर हो गए हैं।

पूछे जाते हैं ऐसे सवाल

। क्या आपको कोरोना महामारी के दौरान पढ़ाई करने में परेशानी हुई है।

। क्या आपको स्कूल के द्वारा ऑनलाइन क्लासेज की सुविधा दी गई।

। क्या आप ऑनलाइन क्लास करने के लिए खुद से तैयार रहते थे।

। आपने कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन क्लास की थी।

। क्या आपके मम्मी पापा पढ़ाई में सपोर्ट करते थे।

चार के बच्चों को थर्ड की किताब पकड़ाई

सीमा ने बताया कि चार के बच्चों को तीन की बुक पढ़ाई। उसे देखकर उन्हें लिखने के लिए कहा गया। लेकिन उन्हें लिखने में काफी दिक्कत महसूस हो रही थी। कई बच्चे तो प्राथमिक नहीं लिख पा रहे थे तो कई अपना नाम ही गलत लिख रहे थे। उन्होंने बताया कि क्लास 4 और 5 बच्चे सबसे अधिक लिखने में कमजोर मिल रहे हैं। बाकी क्लासेज में ऐसा नहीं देखने को मिला।

मैथ्स हो गया हवा-हवाई

ऑनलाइन पढ़ाई में सभी बच्चों को मैथ्स भी कमजोर हो गया है। सीमा ने बताया कि मैथ्स को ऑनलाइन समझा पाना कठिन है। वो इन बच्चों की काउंसिलिंग के बाद पता चल रहा है। अधिकतर क्लास 4 से लगाए 8 तक के बच्चे मैथ्स में कमजोर हो गए हैं।

स्कूल खुला तो बच्चों के अंदर पढऩे की लालसा देखने को मिल रही है। कुछ भी समझकर बोलने में बच्चे नहीं हिचकिचा रहे हैं। जबकि लिखने में उन्हें काफी परेशानी हो रही है। दो साल स्कूल बंद होने से बच्चों का पूरा रूटीन गड़बड़ हो गया है।

सीमा श्रीवास्तव, एक्सपर्ट, मनोविज्ञान सेंटर