गोरखपुर (ब्यूरो)।यूं तो रात में शुभ मुहूर्त में होलिका दहन हुआ, पर महिलाओं ने दिन में होलिका की पूजा की। वैसे तो गोरखपुर में रंगभरी होली के ऐतिहासिक राग है, पर अब यहां नए जवाने की होली होती है। हर्बल कलर, फूलों की होली की होली सभी को रास आती है। सीएम योगी को अपने बीच पाकर की मौजूदगी में होरियार (होली खेलने वाले) फूले नहीं समाते और खुशियों की पिचकारी का रंग एक-दूसरे पर डालते हैं।

गोरखपुराइट्स तैयार

धूमधाम से होली सेलिब्रेशन के लिए गोरखपुराइट्स पूरी तरह से तैयार हैं। सोमवार को दिनभर खरीदारी होती रही। बच्चों ने भी आपस में एक दूसरे पर रंग डालना शुरू कर दिया। पाण्डेयहाता में होलिका दहन की शोभायात्रा में जमकर अबीर-गुलाल उड़ा। सीएम की उपस्थिति ने जनमानस के उत्साह और उमंग को और बढ़ा दिया। सुरक्षा के दृष्टिकोण से चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रही।

मार्केट में छाई रौनक

वैसे तो रंगभरी होली 8 मार्च (बुधवार) को है, लेकिन शुभ मुहूर्त में होलिका दहन के बाद एक-दूजे को रंग लगाने का सिलसिला शुरू हो गया। सिटी के मार्केट गोलघर, असुरन चौक, कूड़ाघाट, मेडिकल कॉलेज रोड, हिंदी बाजार, पांडेयहाता व रुस्तमपुर एरिया में त्योहार के मौके पर खरीदारी को लेकर लोगों में उत्साह देखा गया। नगर के साड़ी, रेडीमेड कपड़ा की दुकानों और मॉल में ग्राहकों की भीड़ उमड़ी रही।

देर रात तक होती रही खरीदारी

होली के मौके पर घर आ चुके लोग भी खरीदारी के लिए उमड़ पड़े। बाजार में लोगों ने विभिन्न प्रकार के रंग, अबीर-गुलाल के साथ ही चिप्स, पापड़, नमकीन के साथ ही पकवानों के लिए काजू, किशमिश, बादाम आदि की खरीदारी की। इन दुकानों पर देर रात तक ग्राहकों की भीड़ रही।

कल निकलेगी नरङ्क्षसह शोभायात्रा, तैयारी पूरी

भगवान नरङ्क्षसह की शोभायात्रा बुधवार को श्रद्धा, भक्ति और हर्षोल्लास के वातावरण में धूमधाम से निकलेगी। सीएम योगी आदित्यनाथ यात्रा को भगवान नरङ्क्षसह की पूजा-अर्चना के बाद रवाना करेंगे। यात्रा को सफल बनाने के लिए सोमवार को होलिकोत्सव समिति की बैठक आयोजित हुई। इस दौरान स्वयंसेवकों की जिम्मेदारी तय की गई। शोभायात्रा के संचालन के लिए 200 नौजवानों की टीम बनाई गई। ये नौजवान शोभायात्रा मार्ग पर मुस्तैद रहेंगे।

रंगभरी होली के ऐतिहासिक राग

बता दें, होली पर्व भले ही हर्बल कलर से खेली जाती है, लेकिन गोरखपुर में खेली जाने वाली होली का अपना एक अलग ही महत्व है। रंग भरे इस रंगोत्सव में हर कोई डूब जाता है। लेकिन जब परंपरा की बात होती है तो नानाजी 1939 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता के रूप में गोरखपुर आए थे। उस समय घंटाघर से निकलने वाले जुलूस में कीचड़ फेंकना, लोगों के कपड़े फाड़ देना, कालिख पोत देना आम बात होती थी। लोग काले और हरे रंगों का ही अधिक प्रयोग करते थे। नानाजी ने यहां प्रवास के दौरान होली से कुछ दिन पूर्व युवाओं को इक_ा किया और रंगभरी होली का माहौल बनाने की पहल की।

कीचड़ माटी और काले रंग हो गए गायब

जब 1940 में नरसिंह भगवान की शोभायात्राा के लिए हाथी का बंदोबस्त किया गया। महावत को सिखाया गया था कि जुलूस में जहां काला या हरा रंग का ड्रम दिखे, उसे हाथी से गिरवा दे। ऐसा दो-तीन साल किया गया। धीरे-धीरे शोभायात्रा से कीचड़ माटी और काले रंग गायब हो गए और रंगोत्सव के स्वरूप में परिवर्तन हुआ।

घंटाघर से निकलती है परंपरागत शोभायात्रा

होली के दिन भगवान नरसिंह की शोभायात्राा घंटाघर से परंपरागत रूप से निकलती है। नानाजी की पहल पर 1944 में होली पर निकलने वाले नरसिंह भगवान की शोभायात्रा के संचालन की बागडोर संघ के स्वयंसेवकों ने अपने हाथ में ले ली। जैसे-जैसे समय बीता शोभायात्राा का प्रबंधन मजबूत होता गया और आज इसकी भव्यता पूरे देश भर में गूंज रही है।