-जीएसटी लागू होने के बाद दवा कंपनीज ने वापस मंगवाया स्टॉक

-वैट और जीएसटी के चक्कर में थोक व्यापारियों ने भी नहीं दिए ऑर्डर

-फुटकर व्यापारी भी नहीं कर रहे हैं परचेजिंग, हो सकती है दवा की शॉर्टेज

GORAKHPUR: गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद अब एक-एक कर मुश्किलें सामने आने लगी हैं। इसमें शुरुआती दौर में दवा भी मरीजों को दर्द देने की तैयारी में है। इसकी वजह यह कि 24 जून से ही मार्केट में दवाओं की आवाजाही बंद हो चुकी है, वहीं दवा कंपनियों ने मार्केट में मौजूद अपने पुराने स्टॉक को वापस मंगाना शुरू कर दिया है। वहीं, दूसरी ओर जीएसटी लगने के बाद व्यापारियों की खरीद-फरोख्त का डाटा ऑनलाइन होगा, जिसके लिए उन्हें सॉफ्टवेयर की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में वह अपना सिस्टम अपग्रेड कराने के चक्कर में नए स्टॉक ऑर्डर ही नहीं कर रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में दवाओं की भी किल्लत हो सकती है, जिसका सीधा असर मरीजों पर ही पड़ेगा।

नई एनवॉयस के लिए स्टॉक वापस

जीएसटी लागू होने के बाद फॉर्मा कंपनीज को अपने पुराने स्टॉक वापस मंगाकर उनकी नई एनवॉयस पर जीएसटी लगाकर बिलिंग करनी है। इसके लिए उन्होंने 24 जून से ही नए स्टॉक को फ्रीज कर दिया है, वहीं पुराने स्टॉक जो होल सेलर्स के पास पड़े हुए हैं, उन्हें वापस मंगवाया जा रहा है। इतना ही नहीं रिटेलर्स और होल सेलर्स भी नए स्टॉक ऑर्डर करने से बच रहे हैं, ऐसे में मार्केट में दवाओं की किल्लत पैदा होने के आसार बढ़ गए हैं।

नहीं आई है प्राइज लिस्ट

मार्केट में जो दवाओं का स्टॉक है, वह पुराना है। नए स्टॉक और इसकी प्राइज लिस्ट दवा कंपनियों ने अब तक जारी नहीं की है, इसकी वजह से व्यापारियों में कंफ्यूजन की स्थिति है। दवा कारोबारी इस बात को तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर वह किस रेट पर दवाएं मार्केट में सेल करें। अगर वह पुराने रेट पर सेल करते हैं तो फ्यूचर में उन्हें किसी तरह की प्रॉब्लम तो नहीं होगी, इसको लेकर भी वह डरे हुए हैं और पुराने स्टॉक को भी सेल करने से बच रहे हैं।

अपग्रेड हो रहे हैं सॉफ्टवेयर

दवा कारोबारी जहां दवाओं की खरीद-फरोख्त से बच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अब वह अपना सॉफ्टवेयर अपग्रेड कराने में जुट गए हैं। इससे उनकी बिलिंग से जुड़ी जरूरत पूरी होगी। वहीं दूसरी ओर स्टॉक और दवाओं के कोड भी चेंज किए जाने हैं, जिसके लिए उन्होंने एक अलग ऑपरेटर बिठा रखा है, दवा व्यापारियों की मानें तो करीब हजारों वेरायटी की दवाओं की कोडिंग में ही एक हफ्ते का वक्त लग सकता है। ऐसे में रिटेलर्स को भी दवा एलॉटमेंट में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

जीएसटी की दर

कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट्स - 28 परसेंट

बेबी फूड एंड सप्लीमेंट -18 परसेंट

लाइफ सेविंग ड्रग - 5 परसेंट

अदर मेडिसीन - 12 परसेंट

वर्जन

जीएसटी लागू होने के बाद अब दवा कारोबारियों के बीच कनफ्यूजन की स्थिति है। इसकी वजह से वह दवाएं सेल करने और नया स्टॉक मंगवाने से बच रहे हैं। वहीं सॉफ्टवेयर भी अपग्रेड किया जा रहा है। इसके साथ ही दवा कंपनियों से पुराने स्टॉक मंगवाने शुरू कर दिए हैं साथ ही नए स्टॉक का अलॉटमेंट भी नहीं हो रहा है। इसमें अभी वक्त लग सकता है।

- योगेंद्र नाथ दुबे, अध्यक्ष, थोक दवा विक्रेता समिति

दवा ऐसी चीज है, जिसकी जरूरत रोजाना लाखों लोगों को होती है। इन्हें जीएसटी से बाहर रखा जाना चाहिए था, जिससे लोगों को राहत मिलती। मगर जिम्मेदारों ने मरीजों की परेशानी बढ़ा दी।

- मोहम्मद इरशाद, प्रोफेशनल

कॉस्मेटिक्स आइटम्स पर जीएसटी कुछ हद तक सही फैसला है। मगर सरकार को रूटीन में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को टैक्स फ्री कर देना चाहिए। इससे लोगों को काफी राहत मिलेगी।

- विवेक श्रीवास्तव, बिजनेसमैन