- पोलिंग सेंटर्स पर मौजूद रहने वाले स्टाफ की फ‌र्स्ट फेज की ट्रेनिंग कंप्लीट

- वोटर्स बीप की आवाज आने के बाद ही समझे कि पड़ गया वोट

GORAKHPUR: पोलिंग सेंटर्स पर पीठासीन अधिकारी मतदान के तय समय से एक घंटे पहले पोलिंग एजेंट्स की मौजूदगी में मॉकपोल (नकली मतदान) शुरू कर दें। इसके बाद कंट्रोल यूनिट के क्लोज बटन को दबाकर मॉक पोल बंद कर दें, फिर रिजल्ट बटन दबाकर सभी एजेंट्स को दिखाना है कि किस कैंडिडेट को कितना वोट मिला है। यह बातें फ‌र्स्ट फेज की ट्रेनिंग के दौरान जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी व जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी ने पोलिंग एजेंट्स को दी।

उन्होंने बताया कि इसके बाद क्लीयर बटन दबाकर पड़े हुए नकली वोट्स को कंट्रोल यूनिट से डिलीट करना है। मॉकपोल के डीटेल प्रोफॉर्मा को भरते हुए प्रेजेंट पोलिंग एजेंट्स से सिग्नेचर कराना है और पीठासीन अधिकारी को खुद सिग्नेचर करना है।

पहले मिलाएं चेक लिस्ट

ट्रेनिंग के दौरान जिम्मेदारों ने बताया कि पीठासीन अधिकारी इलेक्शन मैटेरियल हासिल करने के बाद पहले उनकी मिलान करें। साथ ही यह भी सुनिश्चित हो लें कि वोटिंग मशीन और वोटर लिस्ट उनके सेंटर्स से ही संबंधित है। पोलिंग शुरू होते ही वोटर्स मतदान अधिकारी फ‌र्स्ट के पास जाएगा, जो वोटिंग लिस्ट की कॉपी से उसकी पहचान श्योर करेगा। इसके बाद वह मतदान अधिकारी सेकेंड के पास जाएगा और उनका काम यह है कि वह वोटर के बाएं हाथ की तर्जनी उंगली पर स्याही का निशान लगाए और मतदाता रजिस्ट्रर में उसका वोटर नंबर भरते हुए उसका सिग्चेर या अंगूठे का निशान लगाए। साथ ही अतिरिक्त पीठासीन अधिकारी मतदाता रजिस्टर के अभियुक्ति वाले कॉलम में वोटर के पहचान पत्र के लास्ट चार डिजिट इसमें फिल करेगा और इसे वोटर स्लिप देगा।

मतदान अधिकारी थर्ड कंट्रोल यूनिट को लेकर पीठासीन अधिकारी के साथ बैठेगा और बैलट बटन को दबाएगा। बैलेट बटन दबते ही मतदाता वोटिंग सेल में रखी हुई बैलेट यूनिट पर अपने पसंद के उम्मीदवार के बटन को दबाकर अपना वोट पोल करेगा। इस दौरान उन्होंने बताया कि वोटर्स को यह जानना काफी जरूरी है कि बटन दबाते ही 10-15 सेकेंड के लिए एक बीच (सीटी) की आवाज बैलट यूनिट से आनी चाहिए। अगर ऐसा है, तो उनका वोट पड़ गया है, लेकिन ऐसा नहीं है तो वोट अभी पोल नहीं हुआ है। पोलिंग खत्म होने पर सबसे पहले क्लोज का बटन दबाकर मतदान खत्म करना है। कंट्रोल और बैलट यूनिट को सील कर देना है।