-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की पड़ताल में कई बसों में टूटा मिला व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम का तार

-इसके चलते नहीं हो पा रही है बसों की रफ्तार की निगरानी, ओवरस्पीडिंग से हादसों को मिल रहा बढ़ावा

गोरखपुर डिपो

89 निगम की बसें

107 अनुबंधित बसें

56 एसी बसें

राप्तीनगर डिपो

88 निगम की बसें

26 अनुबंधित बसें

37 एसी बसें

50 से 75 किमी प्रतिघंटा निर्धारित है लांग रूट पर बस की रफ्तार

60 किमी प्रतिघंटा निर्धारित की गई है बसों की रफ्तार लोकल रूट पर

20 किमी प्रतिघंटा है सिटी के अंदर बसों को चलाने की रफ्तार

100 से अधिक बसों में 2014 में लगाया गया था व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम

150 किमी से ज्यादा रफ्तार में चलती पाई गई हैं कई बार बसें

sunil.trigunayat@inext.co.in

GORAKHPUR: बुधवार को एक तेज रफ्तार बस की टक्कर से स्कूटी सवार युवक की मौत हो गई। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि बस निर्धारित गति से काफी तेज थी। जिस यूनिवर्सिटी रोड पर स्टूडेंट्स के साथ आम जनता का ट्रैफिक प्रेशर रहता है, वहां से तेज रफ्तार बस लेकर जाना कंसर्निग प्वॉइंट है। हालांकि बसों में अनियमित रफ्तार पर लगाम के लिए व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) लगाया गया था। लेकिन दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने इसकी पड़ताल की तो शॉकिंग पहलू सामने आया। पता चला बसों में वीटीएस का तार ही टूटा हुआ है। इससे बसों की ओवरस्पीडिंग पर लगाम नहीं लग पा रही है।

हमने किया रियलिटी चेक तो खुली पोल

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट टीम गुरुवार को करीब 12.30 बजे गोरखपुर डिपो पहुंची। जब हमने यहां पर बसों की पड़ताल करनी शुरू की तो चौंकाने वाली सिचुएशन सामने आई। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने अलग-अलग बसों में जाकर ड्राइवर से वीटीएस के बारे में पूछताछ की। एक ड्राइवर ने कहा कि वीटीएस सिस्टम लगा तो है, लेकिन वायर टूटा हुआ है। मीटर खराब होने की वजह से स्पीड का पता नहीं चल पाता है।

समस्याओं का अंबार

इसके बाद दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की टीम राप्तीनगर डिपो पर पहुंची। यहां पर भी टीम ने अलग-अलग बस ड्राइवर्स से बातचीत की। रोडवेज ड्राइवर्स का कहना था कि व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम काम नहीं करता है। सिर्फ यही नहीं, यहां तो बस ड्राइवर्स ने बसों में समस्याओं की पूरी लिस्ट गिना डाली। उन्होंने बताया कि तमाम रोडवेज बसों में बैकलाइट नहीं जलती है। सबसे शॉकिंग पहलू तो यह रहा जब एक ड्राइवर ने कहा कि कई बार तो बस में ब्रेक भी नहीं लगता है।

कंट्रोल रूम को भी नहीं मिलती लोकेशन

-दोनों डिपो पर वीटीएस कंट्रोल रूम बनाया गया है।

-यहां मिली जानकारी के अनुसार विभिन्न रूटों पर संचालित हो रही बसों की स्पीड 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हो रही है।

-जबकि निर्धारित स्पीड 60 किलोमीटर प्रति घंटा हैं।

-स्पीड अन कंट्रोल होने की वजह से एक्सीडेंट की घटनाएं बढ़ रही हैं।

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क्या है व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस)

-वीटीएस में मॉडर्न सॉफ्टवेयर लगे होते हैं। इसे रोडवेज बस ड्राइवर की सीट के बगल में छिपाकर रखा जाता है।

-इस यंत्र को इसलिए छिपाना पड़ता है कि किसी को पता न चल सके।

-वीटीएस जीपीएस सिस्टम बेस है। इसके अंदर एक मोबाइल सिम कार्ड यूज किया जाता है

-यह सिम कार्ड सिर्फ लोकेशन और ओवर स्पीड ट्रेस के लिए होता है

-वीटीएस के अंदर सिम को एक्टिवेट करके लगा दिया जाता है और इंटरनेट के थ््राू कनेक्ट कर देते हैं।

-इंटरनेट के थ्रू कनेक्ट करते ही सिम कार्ड की मदद से बस की लोकेशन और ओवर स्पीड की जानकारी बस स्टेशन पर बने कंट्रोल रूम को मिलने लगती है।

-इससे बस की रफ्तार और उसकी लोकेशन के बारे में पता चलता रहता है।

सुनिए क्या कहते हैं बस ड्राइवर

बस में वीटीएस सिस्टम लगा है, लेकिन मीटर काम नहीं करता है। हम लोगों ने इसकी कंप्लेंट कई बार की। लेकिन विभाग के पास सामान ही नहीं है, जिससे बसों को ठीक कराया जा सके।

-चंद्रभान मौर्या, ड्राइवर

हमारे बस में वीटीएस सिस्टम नहीं लगा है। जहां तक ओवर स्पीड की बात हैं तो ज्यादा से ज्यादा चक्कर पूरा करने पर ही रोडवेज का फायदा होता है। बसों की गड़बड़ी पर कौन ध्यान देता है?

-झींगूर प्रसाद, ड्राइवर

हमारी बस में वीटीएस काम करता है कि नहीं, इस बारे में जानकारी नहीं है। हां, हमें इतना पता है कि बसों की कंडीशन ठीक नहीं है। हम कैसे चला रहे हैं, यह हम ही लोग जानते हैं।

-सुरेश पाल, ड्राइवर

हमें वीटीएस सिस्टम के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं हैं। रोडवेज प्रशासन की ओर से जैसी सुविधा दी जाती है। उसी में काम करते हैं। इसके लिए विभाग से ही जाकर पूछताछ कीजिए।

-नंदलाल, ड्राइवर

व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगा है लेकिन इसके बारे में हमें नहीं जानकारी है। कम्प्यूटर पर जो देखता है उसे ही इसके बारे में जानकारी होती है कि कितनी स्पीड में बस चल रही है।

-रामनाथ यादव, ड्राइवर

सिस्टम तो लगा है लेकिन काफी दिनों से मीटर का तार टूटा हुआ है। वर्कशॉप में गड़बड़ी दूर करने के लिए भेजा जाता है लेकिन इसकी मरम्मत नहीं होती है।

-फाजू प्रसाद, ड्राइवर

वीटीएस सिस्टम की तो आप बात ही न करें। मीटर का तार टूट कर अलग हो गया है। अब ऐसे में कितनी निगरानी हो पाएगी, यह आप भी समझ सकते हैं। किसी तरह से काम चलाया जा रहा है।

-दिग्विजय सिंह, ड्राइवर

बस की मरम्मत करवाकर किसी तरह से चलाया जा रहा है। वीटीएस सिस्टम लगा हैं लेकिन यह काम नहीं करता। मीटर का वायर टूटा है मीटर भी खराब है। भगवान भरोसे बस का संचालन किया जा रहा है।

-प्रेमचंद्र मौर्या, ड्राइवर

वर्जन

लांग रूट पर 50 से 75 किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से बसों का संचालन निर्धारित है। लोकल रूट पर 60 किलोमीटर प्रति घंटा चलाने का आदेश हैं। वहीं शहर के अंदर 20 किलोमीटर प्रति घंटा बसों का संचालन होना चाहिए। यदि इसके बाद भी बसों को तेज चलाया जा रहा है तो गलत हैं। बसों में वीटीएस सिस्टम लगा हैं जो गति के बारे में जानकारी देता है। बसों की जांच कर सिस्टम को अपडेट किया जाएगा।

-केके तिवारी, एआरएम