(अमरेंद्र पांडेय)। यात्रियों की सुविधा के लिए दिन और रात रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतरने वाले पैसेंजर्स के लिए प्री-पेड बूथ संचालित होता था। यात्रियों को घर तक सुरक्षित पहुंचने के लिए चल रहे इस बूथ से पैसेंजर्स को काफी सहूलियत थी। मगर कोविड के पीरियड में जब रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के पहिए थम गए तो खुद ही प्री-पेड बूथ बंद हो गया। कोविड की लहर आती रही और इसे दोबारा शुरू नहीं कराया जा सका। अब जब सबकुछ सामान्य हो चुका है, इसके बाद भी इस बूथ को शुरू कराने की किसी ने जहमत गवारा नहीं की है।

जीपीएस का फंसा है पेंच

जीआरपी ने प्रीपेड बूथ को फिर से शुरू करने की कवायद शुरू की थी। इसके लिए कुछ लोगों ने बूथ से गाड़ी चलवाने के लिए आवेदन भी किया। जीआरपी थाना पर गाड़ी चालकों का चरित्र सत्यापन भी करा लिया गया, लेकिन किराए और गाड़ी में जीपीएस लगवाने की बात पर मामला अटक गया। कोई भी वाहन स्वामी जीपीएस लगवाना नहीं चाह रहा था, इसलिए बात आगे नहीं बढ़ पा रही है। जबकि जीपीएस लगने से गाड़ी का लोकेशन की आसानी से जानकारी हो सकेगी और इससे यात्री सुरक्षित भी रहेंगे।

ठगी से बचाने के लिए योजना

प्री-पेड बूथ पर तैनात सिपाही ने बताया कि बूथ से चलने वाली गाडिय़ों में मालिक को जीपीएस लगवाना था। बुकिंग के समय ही जीआरपी बूथ पर यात्री पूरा किराया जमा करता। चालक को इसकी रसीद दी जाती है। जिसका मकसद यात्रियों को ठगी से बचाने के साथ ही सुरक्षित घर पहुंचाना था। जब ड्राइवर पैसेंजर्स को पहुंचाकर वापस लौटता है तो इसके बाद उसे किराया मिलता है।

वसूली का आरोप लगने पर बंद हुआ था प्रीपेड स्टैंड

वसूली का आरोप लगने पर एडीजी रेलवे ने वर्ष 2016 में स्टेशन परिसर में स्थित प्री पेड बूथ बंद करा दिया था। तत्कालीन एसपी रेलवे अभिषेक यादव ने प्रीपेड स्टैंड को चालू कराने की प्रक्रिया शुरू कराई थी। एसपी रेलवे पुष्पांजलि देवी ने इसे आगे बढ़ाया था, लेकिन इसके बाद भी यह शुरू नहीं हो सकी।

प्री-पेड बूथ बंद है। इसे फिर से चालू कराने के लिए मीटिंग की जाएगी। उसके बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा।

- रचना मिश्रा, सीओ, जीआरपी