हर साल गायब होते हैं दर्जनों बच्चे

सिटी से बच्चों के लापता होने की घटनाएं कम नहीं हो रही है। कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें 15 साल से कम उम्र के बच्चे गायब हो चुके हैं। पुलिस के रिकार्ड में बीते दो सालों के भीतर 180 बच्चों के लापता होने की गुमशुदगी दर्ज कराई गई। इन बच्चों की गुमशुदगी दर्ज होने के बाद पुलिस शांत पड़ गई। पैरेंट्स के जोर जबरदस्ती करने पर पोस्टर-पंपलेट छपवाए गए, लेकिन नतीजा शून्य नजर आया। इन गुमशुदा बच्चों में तमाम ऐसे हैं जो अभी तक नहीं लौट सके हैं। चौरीचौरा के सोनबरसा से गायब एक बच्चे की तलाश में उसके पैरेंट्स हाईकोर्ट तक गए। करीब तीन साल से दौड़ रहे पैरेंट्स को कोई सफलता नहीं मिल सकी। गुलरिहा के सरहरी के शिवनाथ शर्मा की बेटी करीब छह साल से लापता है। पुलिस से निराश होकर उसने हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन पुलिस उसके बेटी को नहीं तलाश सकी।

होटल, ढाबों पर काम करते मिलते हैं बच्चे

पुलिस का दावा है कि घर से गायब होने वाले ज्यादातर बच्चे खुद ही चले जाते हैं। पढ़ाई का डर, परवरिश में कमी, घूमने का शौक आदि कई वजहें हैं जिनके नाते वे अचानक ही गायब हो जाते हैं। ऐसे बच्चे होटल, ढाबों पर काम करते मिलते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि पैरेंट्स अपने बच्चों के किडनैप होने की सूचना पुलिस को देते हैं। प्रेशर बढऩे पर पुलिस किडनैप का मामला दर्ज कर लेती है, लेकिन इसके बाद भी बच्चों का पता लग पाना मुश्किल होता है। खुद से लौटने के बाद बच्चे तरह-तरह की कहानी सुनाते हैं। पुलिसवालों का कहना है कि खोराबार, गोरखनाथ और कैंट से ज्यादा बच्चे लापता हुए हैं।  

लौटकर बताते हैं स्कूल जाते समय हुआ था अपहरण

खोराबार, झंगहा, गगहा चौरीचौरा सहित कई थाना क्षेत्रों में बीते दो साल के भीतर स्कूल जाते समय बच्चों के अपहरण की घटनाएं सामने आई हैं। ऐसे मामलों में बच्चों ने खुद ही अपहरण की सूचना देकर पुलिस की मदद ली है। दो साल पहले झंगहा एरिया से गायब बच्चा मोहद्दीपुर चौकी पर पहुंचा। उसने बताया कि स्कूल जाते समय उसका अपहरण कर लिया। रेलवे स्टेशन पर वह बदमाशों को चकमा देकर फरार हो गया। रेलवे स्टेशन पर एक बालक मिला जिसने बताया कि उसका देवरिया से अपहरण किया गया था, लेकिन वह बदमाशों को चकमा देकर फरार हो गया। तीन साल पहले खजनी एरिया में रहने वाली एक नर्तकी के बेटे का अपहरण हो गया था। घर लौटकर उसने बताया कि बदमाशों ने उसको कानपुर हाइवे पर कहीं कमरे में रखा था। वहां ढेर सारे बच्चे थे जहां से भोजन के बहाने वह भाग गया।

दो साल के भीतर गायब हुए बच्चे

वर्ष                     2012     2013

लापता बच्चे            88        92             

खुद लौटकर आए      70        53

बच्चों के गायब होने के मामले में पुलिस सक्रियता से काम करती है। पंपलेट, पोस्टर के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराया जाता है। घर से भागे बच्चे कुछ दिनों बाद खुद ही लौट आते हैं। कई बार वे पैरेंट्स से नाराज होकर चले जाते हैं।

परेश पांडेय, एसपी सिटी