गोरखपुर ब्यूरो। दिसंबर में शहरी क्षेत्र के 11 हजार से अधिक कंज्यूमर्स के गलत बिल बने थे। इन कंज्यूमर्स के परिसर में गए बिना ही मीटर रीडरों ने घर बैठे गलत रीडिंग का बिल बनाया दिया था। इससे उनके बिल आरडीएफ, आईडीएफ व सीडीएफ, एनआर श्रेणी में आ गए थे। कंज्यूमर्स की दिक्कतें बढऩे के साथ अभियंताओं की दिक्कतें भी बढ़ गई थी। इन बिलों से निगम के खाते में राजस्व जमा नहीं हो पा रहा। निगम के अफसरों ने इसकी सूचना एमडी ऑफिस को देने के साथ अपने स्तर पर इन बिलों की सूची तैयार कर वितरण खंडों में इन्हें सही करवाने के लिए भेजा था, लेकिन, राप्तीनगर खंड में बिल सही होने की जगह बढ़ गए। इससे पुराने कंज्यूमर जो बिल को लेकर परेशान थे उनके अलावा नए उपभोक्ता और जुड़ गए।

सभी अभियंताओं को अपने खंड के खराब बिलों को सही करना होगा। इससे कंज्यूमर की समस्या भी खत्म होगी साथ में वो बिजली बिल भी जमा कर सकेंगे। बिलिंग एजेंसी की लापरवाही के संबंध में अफसरों को सूचित किया जा चुका है। लापरवाही पर खंड के अभियंता चाहें तो फर्म के बिल भुगतान में से भी कटौती कर सकते हैं।

ई। यूसी वर्मा, एसई शहर

टॉउनहाल खंड अव्वल -

- खराब बिलों को सही करने में टॉउनहाल खंड अव्वल रहा

- दिसंबर में कुल 6,855 आरडीएफ बिल बने

- 31 जनवरी को 5,512 बिल शेष बन गए।

- कुल 1343 बिल सुधार किए गए।

- बक्शीपुर खंड में 4,116 आरडीएफ बिल थे

- जिसमें 4116 अब शेष बचे हैं।

- 110 बिलों में सुधार किया गया।

- मोहद्दीपुर में कुल 679 आरडीएफ बिल थे,

- इनमें से 618 शेष बचे हैं।

- 61 बिलों में सुधार किया गया।

-जबकि, राप्तीनगर खंड में 1477 आरडीएफ बिल थे

- जो बढ़कर 1634 हो गए।

- मतलब, जनवरी महीने में सुधार किए जाने की जगह 157 आरडीएफ बिल और बने