- 64 किलोमीटर रेलवे लाइन को मिला अप्रूवल

- कप्तानगंज के रास्ते वाया गोरखपुर चलाई जाएगी ट्रेन

- अब तक गोरखपुर से कुशीनगर के लिए सिर्फ रोडवेज ही है सहारा

GORAKHPUR: गोरक्षनगरी से बुद्ध नगरी कुशीनगर तक एक बार फिर छुकछुक की कवायद शुरू हो गई है। अंतरिम बजट में अप्रूवल मिलने के बाद अब जिम्मेदार इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की तैयारी में लग गए हैं। 10 लाख रुपए का बजट आवंटित भी कर दिया गया है, जिससे कि इस प्रोजेक्ट को रफ्तार मिलने की उम्मीद है। इस रूट पर ट्रेन दौड़ जाने से जहां रेलवे को टूरिस्ट भी मिलने लगेंगे, वहीं गोरखपुर और आसपास के लोगों को कुशीनगर जाने के लिए रोडवेज या प्राइवेट ऑपरेटर्स के भरोसे नहीं बैठना पड़ेगा।

2016 में भेजा गया था डीपीआर

पडरौना से कुशीनगर तक रेलवे लाइन के लिए 2016 में ही मंजूरी मिल चुका है। इसके बाद एनई रेलवे ने फाइनल सर्वे कराकर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) रेलवे बोर्ड को भेज दिया था। एनईआर के डीपीआर पर बोर्ड ने कार्रवाई भी शुरू कर दी है। यहां रेल बिछाने के लिए काफी लम्बे समय से तैयारी चल रही थी। इसके लिए कई बार प्राइमरी लेवल पर सर्वे भी किया जा चुका था, लेकिन कुछ न कुछ पेंच अटकता चला गया, जिसकी वजह से अब तक यह प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा हुआ है। इस अहम रूट की 64 किमी रेल लाइन के लिए रेल मंत्रालय ने 1345 करोड़ रुपए का बजट जारी किया है। लाइन के बिछने में करीब पांच साल का वक्त लग सकता है।

टूरिज्म को मिलेगी नई दिशा

टूरिज्म की फील्ड में कुशीनगर की किसी पहचान का मोहताज नहीं है। देश ही नहीं बल्कि जापान, चाइना, थाईलैंड, श्रीलंका और तिब्बत के लोग भगवान बुद्ध के दर्शन करने आते हैं। ऐसे में इसके रेल लाइन से भी जुड़ जाने से टूरिज्म की फील्ड में काफी विकास होगा। कुशीनगर-पडरौना तक नई रेल बिछ जाने से रोजाना आने-जाने वाले करीब सवा लाख लोगों को बेहतर ऑप्शन मिलेगा। इस रूट पर ट्रेन चल जाने से पैसेंजर्स कम किराए में पडरौना और कुशीनगर तक ही सफर कर सकेंगे।

प्रोजेक्ट हाईलाइट्स -

नई लाइन की लम्बाई - 64 किमी

कुल लागत - 1345 करोड़

बजट अलॉट - 10 लाख

पूरा होने में समय - करीब 5 साल