-पुलिस की लापरवाही से चोरी की छोटी सी घटना बन गई दंगा

- चोरी के दो आरोपियों पर कारोबारी के तालिबानी ढंग से पेश आने पर भड़का एक समुदाय

- दूसरे समुदाय के घरों पर बोला हमला, कई घरों और दुकानों में लगाई आग

- बच्चों और महिलाओं को भी घरों से निकालकर बेरहमी से पीटा, अराजकतत्वों ने दुकानों में की लूट

- दुकानदार को बंद कर जलाया, मौत, एक दर्जन घायल, चौकी इंचार्ज सहित कई पुलिसकर्मी घायल

- पीएसी और कई थानों का फोर्स लेकर पहुंचे आईजी, डीएम, एसएसपी, लाठीचार्ज कर दंगाइयों पर किया काबू

KANPUR : हर घटना को छोटा समझना, एफआईआर दर्ज न करना, पीडि़तों की सुनवाई न करना और आरोपियों के साथ सहानभूति रखना। पुलिस के इसी रवैए से रविवार को घाटमपुर के भीतरगांव में चोरी की एक छोटी सी घटना ने साम्प्रदायिक दंगे का रूप ले लिया। एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय के घरों पर हमला बोल दिया। घर में घुसकर पथराव व मारपीट की। कई घरों और दुकानों को आग लगा दी। विरोध करने पर कई राउंड फायरिंग भी की। महिलाओं और बच्चों को भी बेरहमी से पीटा गया। घटना से से पूरे गांव में दहशत फैल गई। कई परिवारों की ग्रहस्थी जलकर राख हो गई। जान बचाने के लिए दर्जनों परिवार घर छोड़कर भाग गए। हालात का फायदा उठाकर अराजकतत्वों ने बाजार में तोड़फोड़ और लूटपाट शुरू कर दी। आगजनी में घायल एक शख्स ने दम तोड़ दिया और आधा दर्जन से ज्यादा गंभीर रूप से झुलस गए। स्थिति को काबू करने में चौकी इंचार्ज सहित कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। दंगे की खबर लगते ही आईजी, डीएम, एसएसपी, पीएसी और कई थानों फोर्स लेकर मौके पर पहुंचे। पुलिस ने बल प्रयोग करके स्थिति को संभाला।

चोरी की घटना कैसे दंगा बनी

भीतरगांव में रहने वाले एक समुदाय के कारोबारी के घर पर शुक्रवार को चोरी हुई थी। जिसमें कारोबारी ने दूसरे समुदाय के दो आरोपियों को रंगेहाथ पकड़ लिया था। कारोबारी ने पुलिस को सूचना देने से पहले दोनों को खुद ही सजा देने का फैसला किया। लात-घूंसों और डंडों से पीट-पीटकर दोनों को अधमरा कर दिया था। इसके बाद दोनों को पुलिस के सुपुर्द कर दिया। आरोप है कि पुलिस ने दोनों की गंभीर हालत को देख उनको चौकी से बिना किसी कार्रवाई के छोड़ दिया। शायद पुलिस को लगा होगा कि जुर्म से ज्यादा सजा तो दोनों को मिल चुकी है।

चोरी के आरोपियों पर दागीं कीलें

पुलिस के आरोपियों को छोड़ देने का पता चलते ही कारोबारी ने शनिवार को दोनों आरोपियों को दोबारा पकड़ लिया। उन्हें बंधक बनाकर फार्म हाउस ले गए। आरोपियों के समुदाय के लोगों ने कारोबारी को समझाया कि दोनों को सजा मिल चुकी है। अब उनको छोड़ दीजिए, लेकिन कारोबारी ने दोनों को तालिबानी अंदाज में पीटा और उनके शरीर पर कीलें दाग दी। जिससे वे मरणासन्न स्थिति में पहुंच गए। एक आरोपी का तो कान फट गया। रविवार की सुबह उसमें से एक आरोपी की मौत की अफवाह उड़ी, तो उसके समुदाय के लोग भड़क गए। इसके बाद भी पुलिस को हालात की भनक तक नहीं लगी और एहतियातन कोई कदम नहीं उठाया। बस इसके बाद जो हुआ, उसकी गांव में किसी ने कल्पना तक नहीं की थी।

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दंगा लाइव : एक घंटे तक सिर पर मौत नाचती रही

भीतरगांव के पुरवा में रविवार की सुबह भी रोजाना की तरह सामान्य जिन्दगी चल रही थी। किसान खेत जाने की तैयारी कर रहे थे, तो महिलाएं घरेलू कामकाज में व्यस्त थीं। तभी अचानक गांव में शोर-शराबा होने लगा। ग्रामीणों ने घर के बाहर आकर देखा, तो एक समुदाय के सैकड़ों लोग लाठी-डण्डे और असलहे लेकर बढ़ते चले आ रहे थे। वे कुछ समझ पाते कि गुस्साई भीड़ उनके घरों में घुस गई। कुछ लोगों ने बचने के लिए दरवाजा बंद कर खुद को घर में कैद कर लिया। ये देख भीड़ ने दूसरे समुदाय के घरों में आग लगाना शुरू कर दिया। आग की लपटों ने जब घर को चारो ओर से घेर लिया तो लोग गेट खोलकर बाहर आए। भीड़ ने उन लोगों को पकड़-पकड़कर पीटना शुरू कर दिया। हर तरफ चीख-पुकार, मदद के लिए चिल्लाते लोग और आग की लपटें। दूसरे समुदाय के लोग डर से घर छोड़कर भागने लगे। कुछ गाड़ी से भागे तो कुछ जान बचाने के लिए नंगे पैर पैदल ही भागे। इसके बाद भीड़ में शामिल अराजकतत्वों ने घरों में लूटपाट शुरू कर दी। अराजकतत्वों ने वहां पर सात घरों, तीन दुकान और एक बाइक पर आग लगा दी।

फिर भी शांत नहीं हुआ गुस्सा

इतने बवाल के बाद भी भीड़ का गुस्सा शांत नहीं हुआ। वे आगजनी और तोड़फोड़ करते हुए मेन बाजार में पहुंच गए। जहां पर उन लोगों ने गांव के प्रधान के घर के पास दूसरे समुदाय के एक दुकानदार को दुकान में बन्द कर आग लगा दी। उसे बचाने के लिए परिजन भागकर मौके पर पहुंचे, तो भीड़ ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया। पड़ोसी ने मदद करने की कोशिश की, तो उन लोगों ने उसके घर पर पथराव कर दिया। जिसमें एक लड़की गंभीर रूप से घायल हो गई। इस दौरान उन लोगों ने एक और घर पर आग लगा दी। जिसे देख प्रधान के भाई समेत अन्य लोगों ने भीड़ को खदेड़कर आग बुझाने की कोशिश करने लगे। किसी तरह जलती दुकान में बन्द दुकानदार को बाहर निकाला। बुरी जल चुके दुकानदार को लोग आननफानन उर्सला हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। जहां दुकानदार ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

पुलिस की सुस्ती से बिगड़ता गया माहौल

इलाकाई लोगों की सूचना के करीब डेढ़ घंटे बाद थाने की पुलिस मौके पर पहुंची तो आक्रोशित भीड़ ने पुलिस टीम पर भी हमला बोल दिया। ग्रामीणों के पथराव में साढ़ चौकी इंचार्ज रमाशंकर सरोज, कांस्टेबल मुकेश समेत पांच पुलिस कर्मी घायल हो गए। अराजकतत्वों ने डॉयल क्00 की एक गाड़ी को भी तोड़ डाला। भीड़ का आक्रोश देखकर पुलिस ने कदम पीछे खींच लिए और फोर्स का इंतजार करने लगे। इधर, वायरलेस पर दंगे की सूचना मिलते ही आईजी आशुतोष पाण्डेय ने पीएसी, फायर बिग्रेड समेत कई थानों के फोर्स मौके पर भेजने का निर्देश दिया और वे खुद भी वहां पहुंच गए, लेकिन ग्रामीणों ने उनका रास्ता रोक लिया। ऑफिसर्स ने पहले उन्हें समझाकर शान्त कराने की कोशिश की, लेकिन उनके लगातार बवाल करने पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। कुछ ही देर में डीएम रोशन जैकब और एसएसपी केएस ईमेनुएल भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने इलाके में घूमकर लोगों से शान्ति की अपील की और हालात को काबू में किया। ऑफिसर्स ने शाम तक वहां पर मौजूद रहकर हालात पर नजर बनाए रखी।

अघोषित क‌र्फ्य लग गया।

भीतरगांव में पुलिस को हालात को काबू करने के लिए लाठी चार्ज करना पड़ा। जिससे बाद अराजकतत्व भागकर घरों में दुबक गए। गांव और बाजार में सिर्फ खाकी और मीडिया ही दिखायी दे रही थी। पुलिसकर्मी वहां आने-जाने वाले हर शख्स से पूछताछ कर रहे थे। जिससे पूरे गांव में सन्नाटा छा गया। कस्बे में अघोषित क‌र्फ्यू के हालात हो गए।

भाईचारा कायम रखा।

भीतरगांव में दो समुदाय की हिंसा में भी कई परिवार की गृहस्थी जलकर खाक हो गई। वहीं, कई ऐसे लोग भी मिले जिन्होंने आपसी भाईचारा कायम रखकर अच्छी मिशाल पेश की। पुरवा में एक समुदाय के लोग दूसरे समुदाय के लोगों को पीट रहे थे। तभी वहां पर एक युवक पड़ोसी को बचाने के लिए अपने समुदाय के लोगों से भिड़ गया। उसने पीडि़त परिवार को अपने घर पर शरण दी। उसने अपने मोबाइल से ही पीडि़त परिवार के रिश्तेदारों को कॉल कर उनका हालचाल बताया।