-भीतरगांव में हुए दंगे ने कई परिवारों को दिया जिंदगीभर का दर्द

-दंगे की आग में ऐसा तबाह हुए कि उबरने में लग जाएंगे सालों

एक मामूली लड़ाई तक को लोग चाहकर नहीं भुला पाते हैं, फिर दंगे की दहशत तो जिंदगी भर पीछा करती है। भीतरगांव में भी अपनी आंखों के सामने सब कुछ तबाह होते देखने वाले दर्जनों परिवारों के दिलों में भी ऐसी ही दहशत भर गई है। रविवार को सूरज की पहली किरण के साथ जब उन्होंने आंख खोली तो सोचा भी नहीं था कि चंद घंटों बाद उनके गांव में जो होगा उसको वो जिंदगीभर नहीं भूल पाएंगे। इस दंगे का गवाह बना हर शख्स अपने दर्द को बयां करते हुए सिर्फ और सिर्फ सिसकियां ले रहा था।

वो पचास मिनट

टाइम-सुबह के साढ़े आठ बजे

जगह-भीतरगांव

भीतरगांव में हुए जबरदस्त बवाल के दौरान जब दर्जनों उपद्रवी एक घर में घुसे तो वहां परिवार वाले नाश्ता कर रहे थे। उपद्रवियों को देखते ही परिवार के लोग इधर-उधर भागने लगे। घर के पुरुष छोटे बच्चों और महिलाओं के लेकर तो भाग गए लेकिन एक युवती वहां रह गई। करीब पचास मिनट तक वो झोपड़ी की एक कोने में ऊपरवाले से अपनी जान बचाने की प्रार्थना करती रही। उन पचास मिनटों में उसकी आंखों ने क्या-क्या देखा, इसको वो याद भी नहीं करना चाहती है।

दीवार गिराकर की तोड़फोड़

आई नेक्स्ट को युवती ने बताया कि उपद्रवियों ने घर के बाहर रखे भूसे में आग लगा दी। ईटों की कच्ची दीवार को गिरा दिया। जमकर तोड़फोड़ की। ये सबकुछ होता रहा लेकिन चाहकर भी उसके मुंह से आवाज तक नहीं निकली, बस चुपचाप सबकुछ देखती रही। जहां वह छिपकर बैठी थी, जब आग वहां पहुंच गई तो उसने पास में रखे कंबल से उसको बुझाने की कोशिश लेकिन वो इसमें कामयाब नहीं हुई और झुलस गई। हालत ये थी कि वो न चिल्ला सकती थी और न किसी को आवाज दे सकती थी। उसने बताया कि अगर वो ऐसा करती तो उपद्रवी उसको जिंदा जला देते। वो कहती है कि इस दंगे ने जो दर्द दिया है उसको पूरी जिंदगी मैं भुला नहीं पाऊंगी।

कैसे होगी बेटी की शादी?

इस दंगे ने एक मां की उन खुशियों को जलाकर खाक कर दिया जिसके लिए वो पांच सालों से तैयारी कर ही थी। वो मां अपनी बेटी की शादी के लिए पांच सालों से समान जोड़ रही थी। आंसुओं डूबी मां का कहना था कि बड़ी मुश्किल से बेटी की शादी के लिए एक-एक कपड़ा जोड़ा था लेकिन दंगे की आग ने जरा सी देर में सब कुछ जला डाला। अब तो समझ में ही नहीं आ रहा है हम लोग क्या करें? खुशी का इंतजार था लेकिन इतना बड़ा दर्द मिल जाएगा ये पता नहीं था।

जल गई दुकान, पैसे कैसे आएंगे?

दंगे में कई छोटी-छोटी दुकानों को जला दिया गया लेकिन एक दुकान ऐसी जली जिसमें उसके मालिक ने कल रात ही हजारों रुपए का सामान भरा था। वो कानपुर की मार्केट से हजारों रुपए का सामान अपनी परचून की गुमटी के लिए ले गया था लेकिन उपद्रवियों ने उसकी गुमटी को जलाकर खाक कर दिया। उसके मुताबिक, उधार लेकर किसी तरह दुकान के लिए सामान लाया था। सबकुछ खाक हो गया। अब कैसे उबर पाउंगा.? कहां से पैसे लाउंगा.मुझे कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। ईश्वर ने मुझको इतना बड़ा दर्द क्यों दे दिया?

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अगर पुलिस क्विक रिस्पॉन्स देती तो स्थिति इतनी विकराल न होती।

क्। एक चोरी के मामले ने दंगे का रूप कैसे ले लिया?

पुलिस ने आरोपी को बिना किसी कार्रवाई के छोड़ दिया तो फिर दूसरे पक्ष ने उसको मारकर अधमरा कर दिया फिर भी पुलिस एक्शन में नहीं आई। लोगों को मौका मिल गया फिर उन्होंने बदले की कार्रवाई की।

ख्। करीब डेढ़ घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची?

घटनास्थल से करीब ख्00 मीटर की दूरी पर भीतरगांव चौकी है। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि ख्00 मीटर की दूरी तय करने में पुलिस को डेढ़ घंटे का समय लगा जबकि रास्ता क्0 मिनट का भी नहीं है।

फ्। इतना बड़े बवाल को कंट्रोल करने के लिए एक डायल क्00 पहुंची?

करीब डेढ़ घंटे तक उपद्रवियों ने पूरे गांव में जमकर तांडव किया। लेकिन डेढ़ घंटे बाद जब एक दर्जन से ज्यादा घरों को आग के हवाले कर दिया गया तब एक डायल क्00 पहुंची जिसमें सवार सिपाहियों को जान बचाकर वहां से भागना पड़ा। जब मामला इतना बड़ा था तो एरिया की पुलिस ने पहले की सिचुएशन को कंट्रोल करने के लिए कंट्रोल रूम को सूचना क्यों नहीं दी।