- पांचवी क्लास के बच्चे और उड़नतश्तरी के बीच की कैमिस्ट्री को सुलझाने के लिए आई नेक्स्ट का इनीशिएटिव

- साइकियाट्रिस्ट से करवाया बच्चे का साइको एनालिसिस, आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के एक्सप‌र्ट्स ने किये सवाल-जवाब

- एक्सप‌र्ट्स का दावा- मॉर्डन साइंस नहीं मानती इस इमेज थ्योरी को, रिसर्च के बाद ही दिया जा सकेगा फाइनल वर्डिक्ट

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KANPUR : पांचवी क्लास के स्टूडेंट अभिजीत और उड़नतश्तरी के बीच की 'कैमिस्ट्री' का रहस्य लगातार गहराता जा रहा है। शनिवार को आई नेक्स्ट ने इस रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश की। सबसे पहले बच्चे को साइकियाट्रिस्ट के पास ले जाया गया। फिर वहां से आईआईटी एयरो स्पेस इंजीनियरिंग के सीनियर प्रोफेसर डीपी मिश्रा ने घटनाक्रम का एनॉलिसिस किया। एक्सप‌र्ट्स की टीम ने बच्चे और उसके घरवालों से काफी देर तक बातचीत और सवाल-जवाब करके पूरे मामले को बारीकी से समझा। फिर बच्चे के मोबाइल में कैद उड़नतश्तरी की सभी फोटोज रिसर्च के लिए अपने पास सुरक्षित रख लीं। फिलहाल, आईआईटी के एयरो स्पेस एक्सप‌र्ट्स का इतना ही कहना है कि मॉर्डन साइंस इस थ्योरी को नहीं मानती। मगर, एक बच्चे के मोबाइल में उड़नतश्तरी की तस्वीरें कैद होना करिश्मे से कम नहीं है। फिर भी इस मुद्दे पर कोई भी अंतिम फैसला रिसर्च के बाद ही दिया जा पाना संभव हो सकेगा।

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समय - दोपहर 2 बजे

स्थान - श्याम नगर

सीन - आई नेक्स्ट की टीम कार से अभिजीत के घर पहुंची। वहां अभिजीत के पिता संतोष गुप्ता, मां, बहनें व अंकल को लेकर आई नेक्स्ट टीम सीधा अशोक नगर स्थित साइकियाट्रिस्ट डॉ। उन्नति कुमार के क्लीनिक पहुंची। वहां डॉक्टर कुमार ने अभिजीत से कई तरह से सवाल किये। उसके बाद पैरेंट्स से फाइनल डिस्कशन किया। बाद में आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने डॉक्टर से उनका फाइनल वर्डिक्ट जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि बच्चा पूरी तरह से नॉर्मल और मेंटली फिट है। उसमें कोई भी साइकिक प्रॉब्लम नहीं है। एक नजर बच्चे से पूछे गए सवाल और उनके जवाबों पर -

डॉक्टर - क्या नाम है बेटा तुम्हारा?

बच्चा - जी, अभिजीत

डॉक्टर - किस स्कूल में पढ़ते हो?

बच्चा - ऑक्सफोर्ड मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल।

डॉक्टर - बड़े होकर क्या बनना चाहते हो?

बच्चा - जी, साइंटिस्ट।

डॉक्टर - अगर सांटिस्ट नहीं बन सके तो क्या बनोगे?

बच्चा - पायलट।

डॉक्टर - कौन सा सब्जेक्ट सबसे अच्छा और कौन सा अच्छा नहीं लगता?

बच्चा - साइंस अच्छी लगती है। मैथ्स पसंद नहीं।

डॉक्टर - साइंटिस्ट तो बन जाओगे पर क्या पता है कि वह पैसे कैसे कमाता है?

बच्चा - वो रिसर्च करते हैं। उससे पैसा मिलता है।

डॉक्टर (पैरेंट्स से) - बच्चे के बिहेवियर में कोई बदलाव दिखा? ज्यादा गुस्सा या शांत रहना।

पैरेंट्स - तीन-चार दिनों से थोड़ा शांत है। इसके पीछे यह भी वजह है कि मीडिया वालों का आना-जाना लगा है। और कौतुहल की वजह से वह थोड़ा कम खाना खा रहा है।

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समय - दोपहर 3 बजे

स्थान - आईआईटी, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग

डॉक्टर उन्नति कुमार के क्लीनिक से आई नेक्स्ट की टीम अभिजीत व उसके पैरेंट्स को लेकर सीधा आईआईटी पहुंची। यहां एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर डीपी मिश्रा के चैम्बर में पहुंचे। सीनियर प्रोफेसर को इस पूरे मामले की जानकारी दी गई। फिर उन्हें मोबाइल पर उड़नतश्तरी की इमेज दिखाई गई। पहले तो इमेजेज देखकर प्रोफेसर भी चौंक पड़े। उनकी स्टूडेंट व पीजी स्कॉलर श्रुति झा ने भी फोटोज को चेक किया। दोनों का ही कहना था कि इमेज तो फिल्मों में दिखने वाली या जैसा हम अभी तक सुनते-देखते आए हैं, उड़नतश्तरी जैसी ही है। मगर, उस आधार पर यह कहा नहीं जा सकता कि यह यूएफओ ही है।

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समय - 3.45 बजे

स्थान - आईआईटी एयर स्ट्रिप

सीन - आईआईटी में अभिजीत से बातचीत के दौरान ही अभिजीत से बीच-बीच में फोटोज भी क्लिक करवाई गईं। सबसे पहले एयरो स्पेस विभाग के बाहर बच्चे ने एकांत में फोटोज क्लिक कीं। यहां जब कोई इमेज नहीं आई तो उसे एयर स्ट्रिप ले जाया गया। शाम करीब चार बजे के आसपास बच्चे ने रनवे पर खड़े होकर अपने मोबाइल पर इमेजेज क्लिक कीं। काफी देर फोटो खींचने के बाद भी मोबाइल पर यूएफओ की एक भी इमेज कैप्चर नहीं हुई। हालांकि, उनके घरवालों का दावा है कि फोटोज तभी दिखती हैं जब अभिजीत के आसपास कोई नहीं होता। आईआईटी में कुछ एक बच्चे आसपास से गुजर रहे थे। हो सकता है इस कारण कोई पिक्चर मोबाइल में कैद न हुई हो।

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बॉक्स-1

मॉर्डन साइंस नहीं मानती यह थ्योरी

एयरो स्पेस विभाग की टीम का कहना है कि मॉर्डन साइंस उड़नतश्तरी वाली थ्योरी को नहीं मानती। क्योंकि अगर एक ऑब्जेक्ट किसी को नैकेड आईज से नहीं दिख रहा और मोबाइल में कैप्चर हो रहा है तो वह दूसरे को भी नजर आना चाहिए। वहीं एक आम आदमी की नजर से देखा जाए तो यह करिश्मा ही कहा जा सकता है। मगर, इसका मतलब यह नहीं हुआ कि आईआईटी ने इसे स्वीकार कर लिया है। हम किसी भी निष्कर्ष पर तभी पहुंच सकते हैं जब उसके बारे में अच्छी तरह से रिसर्च कर ली जाए।

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बॉक्स-2

रात को साकेत नगर में दिखी

बच्चे के पिता संतोष गुप्ता ने रात में आई नेक्स्ट टीम को फोन करके जानकारी दी कि साकेत नगर में उनके भाई के घर पर भी फोटोज क्लिक करने पर अभिजीत के मोबाइल पर उड़नतश्तरी की तस्वीरें कैद हुई हैं। इससे पहले शाम को जब आई नेक्स्ट की टीम ने वापस अभिजीत के परिवार को उसके घर छोड़ा। तो कुछ ही देर में उन्होंने फोन करके उड़नतश्तरी की फोटो मोबाइल पर कैद किये जाने का दावा किया था। मगर, हैरत की बात यह रही कि आईआईटी में उसी मोबाइल से जब बच्चे ने फोटोज लीं तो किसी में भी उड़नतश्तरी की इमेज कैद नहीं हुई।

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क्या जिला प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं

इस पूरे प्रकरण पर जिला पुलिस और प्रशासन के सुस्त रवैये पर भी सवाल उठने लगे हैं। कोई भी अफवाह फैलने पर प्रशासन का उत्तरदायित्व होता है कि वह पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराकर हकीकत सबके सामने उजागर करे। या प्रकरण में उसे कुछ सच्चाई या तथ्यात्मक पहलू नजर आए तो वह संबंधित विभाग या मंत्रालय तक मामले की जानकारी पहुंचाए। जिससे समाज या आम जनता में किसी तरह का भय या भ्रम व्याप्त न हो सके बल्कि एक्सप‌र्ट्स मामले की तह तक जाकर उसे स्पष्ट करें। मगर, ताज्जुब की बात यह है कि अभी तक जिले के पुलिस व प्रशासनिक अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। जबकि जिस जगह पर उड़नतश्तरी दिखने का दावा किया जा रहा है उसके आसपास कई अहम रक्षा उत्पादन एवं शोध प्रतिष्ठान हैं।

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इनसेट

आईआईटी ने सुरक्षित कीं फोटोज

फिलहाल, एयरो स्पेस साइंस के एक्सप‌र्ट्स किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं। प्रो। डीबी मिश्रा ने अभिजीत के मोबाइल में कैद सारी फोटोग्राफ्स अपने मोबाइल पर ट्रांसफर करवाकर उन्हें सुरक्षित रख लिया है। उन्होंने बताया कि सारी इमेजेज को 'ट्रैफिक सॉफ्टवेयर' से स्कैन करवाया जाएगा। जिससे फोटोज के बारे में बेहतर मालूमात करने के साथ ही जानकारी हासिल की जा सकेगी।

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अनसुलझे सवाल जिनके नहीं है जवाब -

1. यूएफओ सिर्फ अभिजीत के मोबाइल में ही क्यों कैद हो रही है?

2. कैसे दो मेगापिक्सल से भी कम क्षमता वाले कैमरे में उड़नतश्तरी की तस्वीरें कैद हो रही हैं। जबकि बाकी हाई रेजोल्यूशन वाले कैमरा में वह फोटो कैद नहीं हो रही?

3. श्याम नगर के बाद देर रात उड़नतश्तरी की फोटो अभिजीत ने साकेत नगर में भी कैद कीं। मगर, आईआईटी में कोई पिक्चर क्यों नहीं कैद हो सकी?

4. आईआईटी एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि मोबाइल की फॉरेंसिक जांच करवाई जाए तो ज्यादा क्लू मिल सकते है।

5.

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