फन, मस्ती और गपशप। बातों का सिलसिला खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। किसी ने छेड़ा कैंटीन की शरारतों का जिक्र तो किसी ने लेट नाइट क्रिकेट का। कुछ ऐसा ही माहौल था जब पूरे 50 साल बाद बिछड़े यार एक छत के नीचे फिर इकट्ठे हुए। मौका है कानपुर आईआईटी के गोल्डन जुबली रीयूनियन बैच की एल्युमिनाई मीट का।

यहां तो सब कुछ बदल गया

संडे को होने वाली मीट के लिए दुनिया भर में फैले 1961 बैच के आईआईटियंस का सैटरडे को ही कैंपस पहुंचना शुरू हो गया। कैंपस पहुंचते ही जब बैचमेट़्स से सामना हुआ तो मानो सभी फ्लैशबैक में चले गए। 50 साल पुरानी यादें आंखों के सामने तैरने लगीं। कुछ के होठों पर मुस्कान आ गई तो कुछ के इमोशंस आंसू बनकर बाहर आ गए। 50 साल में आईआईटी ने कितना लंबा सफर तय कर लिया है, तब क्या हाल था और आज की तस्वीर क्या है, इस बारे में एल्युमिनाई ने अपने एक्सपीरीरियंस शेयर किए। आई नेक्स्ट आपके लिए ऐसे ही कुछ गोल्डन मोमेंट्स लेकर आया है।

जी भर के देखा कैंपस

पचास साल यानि की आधी सदी का सफर। दुनिया बहुत बदल चुकी है और आईआईटियंस भी। ऐसे में दोस्तों का पहचानना किसी रोमांच से कम नहीं था। कोई मोटा हो गया है तो किसी की आंखों में चश्मा लग चुका है। किसी की कमर झुक गई है तो किसी के सिर से बाल गायब हो चुके हैं। एक्स आईआईटीयंस ने जैसे ही गेस्ट हाउस में एंट्री ली सबसे पहले उन्होंने एक नजर जी भर के अपने कैंपस को देखा और फिर धूप में सबके साथ चाय कॉफी का मजा लिया और शुरू हो गई गपशप।

Batch-1961

Name- R.K Agarwal

Working status- Former CEO,Synthetic&Chemical Petrochemical Co।

एल्यूमनाई मीट के लिए वाइफ मीनाक्षी के साथ आए आरके अग्रवाल गार्डेन में बैठकर पुरानी यादों को बेटे पिनाकी से शेयर कर रहे। बेटा पिनाकी अग्रवाल भी आईआईटियन हैं। वो मटीरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग थर्ड इयर का स्टूडेंट है। आरके ने बताया कि कैंपस का गेट छोडक़र सबकुछ बदल चुका है।

फॉरन से आती थीं फैकल्टी

पहले सिर्फ एक ही हॉल में हॉस्टल था और कैंपस में गल्र्स थी ही नहीं। लास्ट इयर में गल्र्स हॉस्टल बनना शुरू हो गया था। क्लास लेने के लिए फैकल्टीज फॉरेन से आया करती थीं।

तब कहां था कंप्यूटर

उस वक्त कम्प्यूटर नहीं था और आईबीबी 7.44 लॉन्च हुआ था। सिर्फ किताबों और नोट्स के जरिए ही पढ़ाई करते थे। 1961 में आईआईटी जेईई शुरू हुआ था। सिर्फ मैंने ही अपने बैच से क्वालीफाई किया था।

ये तो अपना पीके है

मेरा रूम मेट भी आया है। पहले तो मैं उसको पहचान ही नहीं पाया। उसके बाद उसके बात करने के स्टाइल से ही मालूम हुआ कि अरे ये तो वही पीके है। इसके बाद जमकर गपशप हुई और पूरानी यादें भी ताजा हुईं। इतने सालों बाद आकर भी सबकुछ अपना-अपना सा लग रहा है।

Name-CV Singh

Working status-Vice president in Tata Motors India and Tata Daewoo South korea,now retired

मेरी लग्जरी लाइफ का क्रेडिट पूरी तरह से आईआईटी को ही जाता है। 50 साल बाद कैंपस में आना लाइफ का सबसे गोल्डन मोमेंट है। रूम मेट्स, बैच मेट्स और कैंटीन में एक साथ जिनके साथ लंच शेयर किया वो सब यहां हैं। कई लोग तो बिल्कुल भी नहीं बदले। 50 साल का वो मंजर फिर से ताजा हो गया है। यहां आकर अजीब सी खुशी महससू हो रही है।

वी मिस देम

सब कुछ अच्छा है लेकिन यहां आकर उन दोस्तों को बहुत मिस कर रहे हैं जो अब दुनिया में नहीं रहे। कैंपस पूरी तरह से चेंज हो गया है। देखकर काफी अच्छा लग रहा है। आज यहां के स्टूडेंट्स को बेस्ट एकैडमिक फैसिलिटीज दी जा रही है।

आईआईटी ने लाइफ बना दी

इतनी बड़ी पोस्ट और कंपनी में जाने के बाद भी मैं कभी इस कैंपस से अलग नहीं हो पाया। यही रीजन था कि मैं यहां पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को लेक्चर्स देने और एमटेक और बीटेक स्टूडेंट्स को अपनी कंपनी के लिए रीक्रूटमेंट के लिए आता था। आईआईटी ने हमारा करियर बना दिया।

Name-Narendra Kumar

Working status-  President Reliance Industries,now retired

एल्यूमाई मीट में आने के लिए बेहद एक्साइटेड था। मुझसे भी ज्यादा एक्साइटमेंट मेरी वाइफ को था। आखिर 50 सालों बाद बिछड़े दोस्तों से मिलने की खुशी की कुछ और होती है।

एलबम ही बना डाला

इन गोल्डन मोमेंट्स हम सभी के लिए यादगार बन जाएं इसके लिए मैंने एक एलबम रेडी की है। इस म्यूजिकल एलबम को बनाने में मुझे 4 महीने लग गए। सभी दोस्तों की 1961 की फोटोज को कलेक्ट किया। बैचमेट्स के साथ लगभग 1300 ईमेल एक्सचेंज किए। उस समय बहुत कम दोस्तों के पास कैमरा हुआ करता था लेकिन एक दो फोटोज के जरिए एलबम रेडी की। ये एलबम हम मिलकर आज लॉन्च कर रहे हैं। सभी को एक दूसरे से मिलने का बेहद एक्साइटमेंट है।

Secret hai ye

Name-Chandra shekhar trivedi

50 साल का सफर कितना लंबा होता है, ये यहां आकर मालूम हुआ जब अपने यंग और स्मार्ट दोस्तों को चश्मे और सफेद बालों में देखा। हमारा 25 ब्वॉयज का ग्रुप हुआ करता था। उनमें से ज्यादातर यहां आए हुए हैं। कुछ को तो पहचान लिया लेकिन कुछ इतने चेंज हो गए हैं कि बात करने के बाद ही पहचान सका।

दिल तो बच्चा है जी

एल्यूमिनाई मीट पर हम सिर्फ गपशप नहीं करेंगे। सभी ने प्लान किया है कि 50 साल की मेमोरीज शेयर करेंगे साथ ही गुजरे हुए समय को एक बार फिर जियेंगे। वी आर रेडी टू धमाल। हम शक्ल से भले ही बूढ़े दिख रहे हों लेकिन दोस्तों के साथ यही गाएगें ‘दिल तो बच्चा है जी.’

Name-Sunny P Chandra

Working status-Chairman and MD Triveni Infotech Pvt Ltd। CEO and founder of Sunmarg

यूं तो मैं अपने दोस्तों से 50 साल बाद मिल रहा हूं लेकिन कैंपस में मैं 36 साल बाद अपनी वाइफ मैगरेट के साथ आया हूं। जैसे ही मालूम हुआ कि मेरे बैच की एल्यूमनाई मीट ऑर्गनाइज की जा रही है हम दोनों ने ही ऑस्ट्रेलिया से यहां आने का प्लान किया। एक बीज से पेड़ बनने में जितना वक्त लगता है मुझे यहां आकर वैसा ही फील हो रहा है। दोस्तों की शक्लें भले ही बदल गई हों लेकिन दोस्ती का अंदाज आज भी

वही है।

रूम में बिताना चाहता हूं एक दिन

कैंपस पूरी तरह से बदल चुका है। मैं इस बात को लेकर एक्साइटेड हूं कि मेरे रूम में अब कौन रह रहा होगा। हम कैंपस के गेस्ट हाउस में ठहरे हैं लेकिन एक दिन मैं अपने ही कमरे में स्पेंड करना चाहता हूं। जुगनू, सिमरन जैसे प्रोजेक्ट कानपुर आईआईटी की देन हैं, ये जानकर काफी प्राउड फील हो रहा है।