जिनको नहीं मिल पाती है खुशी

डॉ। मधु लुम्बा बताती हैं कि मां-बाप के लिए एक औलाद से बढक़र कुछ नहीं होता है। लेकिन कुछ कपल ऐसे भी होते हैं, जिन्हें ये खुशी नहीं मिल पाती है। वो जीवन पर भर निराशा और हताशा की जिंदगी जीने को मजबूर हो जाते हैं। सोसायटी में भी उनको कई इश्यूज को फेस करने पड़ते हैं। मगर, अब ऐसे कपल्स के जीवन में भी खुशियां दस्तक दे रही हैं। इंडिया में टेस्ट ट्यूब बेबी ऐसे कपल्स के लिए वरदान साबित हो चुका है। और अब कानपुराइट्स के लिए खुशी की बात ये है कि सिटी में एम्ब्रियोज फ्रीजिंग भी बड़े स्तर पर की जा रही है। जल्द ही ओवम्स फ्रीजिंग की फैसेलिटी भी हॉस्पिटल में शुरू करने की तैयारी है।

शादी 25 तक, बेबी 30 तक

इनफर्टिलिटी पर मधुराज हॉस्पिटल की तरफ से ऑर्गनाइज नेशनल लेवल की सीएमई में मौजूद डॉ। ऋषिकेश पाई, डॉ। नागेंद्र देशपांडे ने आईयूआई, आईवीएफ, आईसीएसआई की लेटेस्ट टेक्निक्स के बारे में जानकारी दी। डॉ। सोनल पांचाल, डॉ। चेतन नागोरी और डॉ। माला अरोड़ा ने बताया कि लड़कियों की शादी 20 से 25 साल की उम्र में हो जानी चाहिए। जबकि बेबी की प्लॉनिंग 30 साल की उम्र तक कर लेनी चाहिए। क्योंकि इससे ज्यादा उम्र के बाद बेबी प्लॉनिंग के दौरान मुश्किलें सामने आना आम बात हो जाती है।

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अवेयरनेस है जरूरी

डॉ। आकांक्षा लुम्बा ने बताया कि जिस तरह से माडर्न लाइफ स्टाइल में गल्र्स करियर ओरिएंटेड होती जा रही हैं। ऐसे में इनफर्टिलिटी की प्राब्लम का ग्राफ ऊपर ही जाना है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच अवेयरनेस फैलाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि न्यूक्लियर फैमिली का चलन भी इनफर्टिलिटी और लेट बेबी प्लॉन करने की सबसे बड़ी वजह है।

ज्यादा उम्र में प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली प्रॉब्लम

-ओवा फारमेशन कम हो जाता है।

-ओवियोलेशन साइकिल डिले हो जाती है।

-पर्याप्त संख्या में ओवा उपलब्ध न हो पाने की दशा में कंसीवमेंट में परेशानी आती है।

-लेट मैरिज की वजह से ओबेसिटी बढऩे लगती है।

-टीएसएच लेवल बढऩे लगता है, जिससे फिमेल साइकिल प्रभावित होती है।