बर्रा के फत्तेपुर में अवैध खनन से बना तालाब तो सिर्फ बानगी है। शहर में अवैध खनन से ऐसे दर्जनों मौत के तालाब बन गए हैं। खनन माफियाओं ने बिठूर, टिकरा, सचेण्डी, जाजमऊ, बिधनू, बर्रा समेत दर्जनों इलाकों में जमीन को पाताल तक खोद दिया है। जिससे वे मौत के तालाब बन गए हैं। इलाकाई लोगों ने खनन माफियाओं की शिकायत पुलिस से की, लेकिन नीचे से लेकर ऊपर तक सेटिंग होने से उनके खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिससे उनके हौसले बुलन्द हैं।

एसडीएम पर हमले की कोशिश

अक्टूबर 2012 को तत्कालीन एसडीएम माला श्रीवास्तव को बिठूर के एक एरिया में अवैध खनन की सूचना मिली, तो वह नायब तहसीलदार व्यास के साथ मौके पर पहुंच गईं। उनको देखकर भी अवैध खनन करने वाले वहां से नहीं हटे और न ही काम बन्द किया। नायब तहसीलदार ने काम बन्द करने के लिए कहा, तो वे उनसे भिडऩे की कोशिश करने लगे। वे एसडीएम के साथ वापस जाने लगे, तो उन लोगों ने एसडीएम की गाड़ी पर जेसीवी चढ़ाने की भी कोशिश की। जिसके बाद एसडीएम ने फोर्स के साथ वहां जाकर काम को बंद कराने के साथ जेसीवी, लोडर समेत सारा सामान सीज कर दिया। इस मामले में तीन आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज की गई थी।

सेटिंग के बाद होता है अवैध खनन

नाम न छापने की रिक्वेस्ट पर एक ऑफिसर ने बताया कि सिटी में किसी भी इलाके में अवैध खनन बिना थाने की सेटिंग से शुरू नहीं होता है। यह अवैध खनन की पहली सीढ़ी होती है। एक मामले में एसडीएम ने अवैध खनन की जानकारी होने पर संबंधित थाने के एसओ को कार्रवाई करने के निर्देश दिया, तो उसने उल्टा झूठ बोल दिया। उसने कहा कि यहां पर कहीं पर भी अवैध खनन नहीं हो रहा है। जिस पर एडीएम ने खुद मौके पर जाकर देखा, तो एसओ की पोल खुल गई हालांकि इस केस को वहीं दबा दिया गया।

एक साल में दो दर्जन मौतें

टिकरा गांव के राकेश प्रधान ने बताया कि अवैध खनन से बने तालाब में ज्यादातर बच्चे डूब जाते हैं। वे खेल-खेल में तालाब में नहाने लगते हैं और फिर गहरे पानी में डूब जाते हैं। पिछले एक साल में 20 से 22 बच्चों की अवैध खनन से बने तालाब में डूबकर मौत हुई है, लेकिन किसी भी खनन माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस खनन माफियाओं पर कार्रवाई का आश्वासन तो देती है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती है. 

पानी के बढ़े होने से बन्द है खनन

सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी सिटी में धड़ल्ले से अवैध खनन चल रहा है। इस समय गंगा समेत अन्य नदियों में पानी बढ़ा होने से फिलहाल खनन बन्द है, लेकिन पानी घटते ही फिर से खनन शुरू हो जाएगा। इसमेें सफेदपोश कई माफिया और नेता जुड़े हैं। नदियों में पानी बढऩे से पहले खनन माफिया बालू स्टॉक कर लेते हैं।

वो दिन कभी भूल नहीं सकते

बर्रा के फत्तेपुर गोही में रहने वाले एलआईसी एजेंट दिनेश तिवारी 14 जुलाई का दिन कभी भूल नहीं सकते हैं। उस दिन उसका 13 साल का बेटा राजन घर से दोस्तों के साथ क्रिकेट मैच खेलने गया था, लेकिन वापस नहीं लौटा। वह मैच के बाद दोस्तों के साथ तालाब में नहाने लगा और डूब गया। यह तालाब अवैध खनन से बना था। यहां पर अवैध खनन से गड्ढा बन गया था। जिसमें बारिश का पानी भर जाने से तालाब बन गया। इस हादसे के बाद से इलाकाई लोग सतर्क हो गए हैं।

नहीं बचा पाए थे उसको

बर्रा के शिव करन भदौरिया के बेटे सुशील की भी मौत के जिम्मेदार अवैध खनन करने वाले ‘दबंग’ हैं। उनका बेटा भी अवैध खनन से बने तालाब में नहाने लगा था। इस दौरान गहरे पानी में चले जाने से डूब गया। उसको कुछ लोगों ने बचाने की कोशिश की, लेकिन तब तक उसकी सांस टूट चुकी थी।

पहली घटना नहीं है

-जनवरी 2013 में जाजमऊ में अवैध खनन से बने तालाब में डूबे दो बच्चे, मौत

-बिधनू में शिव कुमार तिवारी का बेटा तालाब में डूबा, मौत

-23 मार्च को जाजमऊ के हाशिम का बेटा जुबैर तालाब में डूबा

-घाटमपुर में महेश कुशवाहा के बेटे आयुष और उसके दोस्त तालाब में डूबे

-उन्नाव में अवैध खनन से बने तालाब में तीन किशोर डूब, दो की मौत