कानपुर(ब्यूरो)। यूक्रेन पर रूस के हमले का चौथा दिन। टेम्प्रेचर माइनस फोर डिग्री सेल्सियस। संडे को सुबह ही रूस ने यूक्रेन के बूचा टाउन पर हमला कर दिया। बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स जमींदोज हो गईं। वहीं कीव में फंसे कानपुर के मेडिकल स्टूडेंट्स ने बताया कि कीव में रूसी जेट फाइटर घूम रहे हैैं। सुबह कफ्र्यू हटते ही सायरन बज गया और रूसी सेना कीव और खारकीव में घुस गई। कीव और खारकीव पर कब्जा करने के लिए दोपहर तक जंग जारी रही। इस बीच इंडियन स्टूडेंट्स को बचाने का कोई इंतजाम नहीं किया गया। पोलैैंड के रूस सीमा पर होने की वजह से इंडियन फ्लाइट्स उतारी नहीं जा रही हैैं। केवल रोमानिया में ही फ्लाइट्स लैैंड कराई जा रही हैैं। रोमानिया से फ्लाइट के जरिए बहुत से बच्चों को इंडिया लाया तो गया है लेकिन कानपुर के बच्चों तक अभी कोई मदद नहीं पहुंची है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट लगातार इन बच्चों के संपर्क में हैं और पल-पल के हालात की जानकारी ले रहा है।

रोमानिया बॉर्डर से 50 किमी
ओडिसा नेशनल मेडिकल यूनीवर्सिटी के स्टूडेंट विपुल कुमार ने बताया कि उनके हॉस्टल में 500 स्टूडेंट्स थे। जब सायरन बजाकर अलर्ट रहने की बात कही गई तो सभी पैनिक हो गए। हम सभी लोग दहशतजदा थे। 50 लोगों ने मिलकर एक बस किराए पर की और हम सभी लोग मालदोवा पहुंच गए। मालदोवा में एक आर्गनाइजेशन ने तीन दिन के लिए खाना पानी का इंतजाम और रुकने के लिए होटल का इंतजाम किया गया। विपुल ने बताया कि जब रोमानिया बॉर्डर खाली हो जाएगा तो उन्हें वहां बुलाया जाएगा। कागजात चेक करने के बाद सभी 50 स्टूडेंट्स को फ्लाइट मिलेगी।


भीषण ठंड में 24 घंटे से बॉर्डर पर खड़े
पीएसी लाइन के रहने वाले प्रशांत कुमार टर्नोफिल में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैैं। संडे सुबह ही पिता नाहर सिंह यादव से बातचीत हुई। बेटे का दर्द बताते हुए नाहर सिंह ने बताया कि घर में सभी लोग प्रशांत को लेकर बहुत परेशान हैैं। प्रशांत ने बताया है कि वे लोग बॉर्डर पर खड़े हैैं। 24 घंटे से कोई सुनवाई नहीं हो रही है। न खाने का कोई इंतजाम है और न पानी का। ठंडी हवा की वजह से आंखें लाल हो गई हैैं। पूरा शरीर सुन्न पड़ा जा रहा है लेकिन कोई सुविधा नहीं दी जा रही है।

ट्रेन में नहीं चढऩे दिया गया

चकेरी के सुभाष नगर निवासी आकांक्षा शुक्ला ने बताया कि एंबेसी से बात हुई तो कहा, कुछ लोगों को बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए कहा गया था। ट्रेन पकडऩे के लिए सभी ने हॉस्टल की बिल्डिंग छोड़ दी। एंबेसी के आदेश से बिल्डिंग बंद कर दी गई लगभग 100 स्टूडेंट्स को स्टेशन छोड़ दिया गया। इसके बाद वहां कोई टैक्सी भी उपलब्ध नहीं हुई। एंबेसी ने हम लोगों के लिए एक ट्रक मंगा दिया। हम सभी को उसी पैक्ड ट्रक से स्टेशन लाया गया। स्टेशन पहुंचने पर हमें ट्रेन में चढऩे की परमिशन नहीं दी गई। एंबेसी से कहा गया था कि वे तीन बोगी अरेंज करा रहे हैैं लेकिन केवल चार स्टूडेंट्स को ही ट्रेन में इंट्री मिली। हम लोग स्टेशन पर ही रह गए। शाम का 4:50 हो रहा था। 5 बजे से कफ्र्यू लगना था। ड्राइवर की मिन्नतें करने पर किसी तरह एक टैक्सी चालक तैयार हुआ। सडक़ रेगिस्तान की तरह सुनसान थी, हम लोगों को एंबेसी लाया गया। कुछ लोग स्टेशन पर ही रुक गए जबकि कुछ लोग दूसरी ट्रेनों से चले गए। हम नहीं जानते हैैं कि आगे क्या होगा। दि सिचुएशन इज रियली बैड।


दस घंटे में पहुंच पाये हैैं मालदोवा
भाभा नगर चकेरी निवासी कोमल यादव एमबीबीएस फोर्थ इयर की स्टूडेंट हैैं। कोमल ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताया कि वेनिस्टया में पीस फुल माहौल था। तीसरे दिन कफ्र्यू लगा दिया गया। इसके बाद से सायरन बजने लगा। मार्शल लॉ लगा दिया गया। लगभग 500 स्टूडेंट्स के साथ वह बॉर्डर पर खड़ीं अपनी बारी का इंतजार कर रही हैं। देर शाम बॉर्डर खोला गया। एक स्टूडेंट के पेपर चेक करने में 40 मिनट का समय लग रहा है। इसके बाद भी पता नहीं क्या होगा। इंडियन टाइम के मुताबिक सैटरडे शाम सात बजे वह हॉस्टल से निकला था संडे शाम पांच बजे बॉर्डर खोला गया है। कॉलेज के मुताबिक स्टूडेंट्स को भेजा जा रहा है।


भुखमरी की नौबत आ जाएगी
कल्याणपुर निवासी सृष्टि यादव डेनिप्रो में हैैं। सृष्टि ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि इंडियन एंबेसी से कोई मदद नहीं मिल रही है। कुछ लोग उनकी बिल्डिंग से निकालकर रोमानिया ले जाए जा रहे हैैं। हर तरफ धुआं ही धुआं दिखाई दे रहा है। खाने पीने का सामान खत्म हो रहा है। ऐसे ही हालत एक दो दिन और रहे तो भुखमरी की नौैबत आ जाएगी। हम सभी लोग हॉस्टल में हैैं, हर तरफ सैनिकों को वाहन और धमाके सुनाई पड़ रहे हैैं।