कानपुर (ब्यूरो)। आगरा के ताजमहल से जुड़ी पे्रम कहानी तो बच्चे बच्चे को पता है। अपनी बेगम मुमताज की याद में शाहजहां से पूरी दुनिया में मोहब्बत की सबसे बड़ी निशानी यानि ताजमहल बनवा दिया था। कानपुर में भी मोहब्बत की एक ऐसी निशानी है जो अपने प्यार को अमर बनाने के लिए बनाई गई। मोहब्बत की नींव पर खड़ी इस इमारत को पूरा शहर जानता है लेकिन इसके बनने की कहानी को शायद ही कोई जानता हो। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट आज इस प्रेम कहानी से पर्दा उठाएगा।

26 फरवरी 1937 में रखी नींव
निश्छल और अटूट प्रेम की नींच पर खड़ी इस इमारत का नाम है उर्सला हार्समैन मेमोरियल हॉस्पिटल। इसकी नींव 26 फरवरी 1937 में रखी गई थी। जिसको आज लोग उर्सला सिटी हॉस्पिटल या डिस्टिक हॉस्पिटल के नाम से भी जानते हैं। उर्सला हॉस्पिटल अपने आप में एक बेपनाह प्रेम का किस्सा बयां करता है। बड़ा चौराहा स्थित उर्सला हॉर्समैन मेमोरियल हॉस्पिटल को ब्रिटिश ऑफिसर अल्बर्ट हॉर्समैन ने अपनी पत्नी उर्सला की याद में बनवाया था। जिसमें अभी तक हेल्थ फैसिलिटीज दी जा रही हैं।

हॉस्पिटल के लॉन में लगवाई मूर्ति
उर्सला हॉस्पिटल के लॉन में अल्बर्ट हॉर्समैन ने अपनी पत्नी उर्सला की मूर्ति भी लगवाई थी। जोकि आज भी वहां स्थापित है। उर्सला के सीएमएस ने बताया कि अल्बर्ट के फैमिली मेंबर्स आज भी हॉस्पिटल के विस्तार के लिए मदद करते रहते हैं। दो-चार सालों में उनकी फैमिली के मेंबर्स हॉस्पिटल का जायजा लेने विदेश से कानपुर जरूर आते हैं।

हमेशा के लिए अमर हो गई प्रेम कहानी
अल्बर्ट हॉर्समैन की शादी उर्सला से 1921 में हुई थी। वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते थे। उर्सला बेहद खूबसूरत थी। इस लिए उनको हुस्न-ए-मल्लिका के उपनाम से संबोधित किया जाता था। मगर एक प्लेन एक्सीडेंट में अल्बर्ट ने पत्नी उर्सला को जिंदगी भर के लिए खो दिया। एक्सीडेंट 1935 में हुआ था। जिसके बाद अल्बर्ट ने अपनी प्रेम कहानी को अमर बनाने के लिए पत्नी की याद में उर्सला हॉस्पिटल का निर्माण कराया।

उर्सला में वर्तमान में सुविधाएं
अल्बर्ट ने उर्सला हॉस्पिटल की शुरुआत 50 बेड से की थी। जो वर्तमान में 550 बेड का हो चुका है। इसके साथ ही आज हॉस्पिटल में बर्न यूनिट, कार्डियक यूनिट, डायलिसिस यूनिट, फिजियोथेरेपी, आईसीयू, एमआरआई, सीटी स्कैन, वेंटीलेंटर, डिजिटल एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजी, ब्लड बैंक जैसी विभिन्न सुविधाएं कानपुराइट्स को उपलब्ध हो रही हैं।