कानपुर( ब्यूरो)। आमतौर पर डायबिटीज पेशेंट्स को चोट लगने के बाद होने वाले घाव के ठीक होने में काफी समय लगता है। कभी कभी तो घाव काफी लंबे समय तक ठीक नहीं होता बल्कि बढ़ता जाता है। ऐसे में डायबिटीज पेशेंट्स की इस प्राब्लम को दूर करने के लिए सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लाइफ साइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी में एलोवेरा, नीम फ्रूट और जिंजर जूस की पुटिकाओं से एक्जोजोम्स मिलाकर एक हर्बल लेप तैयार किया गया है।

लैब में किया एनिमल ट्रायल
सीएसजेएमयू की पीएचडी स्कॉलर मुमताज बानो का दावा है कि यह लेप डायबिटीज पेशेंट्स के घाव को जल्दी भरने का काम करेगा। इस लेप के आने के बाद डायबिटीज पेशेंट्स को घाव और दर्द से होने वाली परेशानी में आराम मिलेगा। सीएसजेएमयू की लैब में तैयार किए गए इस लेप का एनिमल ट्रायल सक्सेसफुल रहा है।

7 दिन में ही पॉजिटिव चेंज
डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट डॉ। अनुराधा कलानी ने बताया कि ट्रायल में सबसे पहले चूहों को डायबिटीक किया गया। उसके बाद उनमेे अल्सर बनाकर कुछ चूहों पर इस लेप को लगाया गया और कुछ पर नार्मल ट्रीटमेंट यूज किया गया। हर्बल लेप लगाने वाले चूहों के घाव में सात दिनों में ही पाजिटिव चेंज दिखे। जबकि नार्मल ट्र्रीटमेंट वाले चूहों में प्रोग्रेस स्लो थी। ऐसे में फस्र्ट स्टेज पर किए गए एनिमल ट्रायल में सक्सेस मिली है। बताते चलें कि यह सभी काम सीएसजेएमयू के एनिमल हाउस में किया गया है।

लिगेचर बनाने पर चल रहा काम
एनिमल ट्रायल में सक्सेस मिलने के बाद इस लेप का लिगेचर बनाने पर काम कर रहा है। लिगेचर एक बैैंडएड टाइप की पट्टïी होती है। इसको घाव पर चिपका लिया जाता है। इसको लगाने से यह बेनीफिट होता है कि घाव धूल-मिट्टी अन्य किसी भी प्रकार के बाहरी पॉल्यूशन से बचा रहता है, जिससे उसके ठीक होने के चांस बढ़ जाते हैैं।

कंपनी के जरिए मार्केट में
माना जा रहा है कि लिगेचर बनने के बाद इस लेप का यूज आम पब्लिक आसानी से कर सकेगी। सीएसजेएमयू के अफसरों का कहना है कि लिगेचर बनने के बाद इस लेप बनाने की विधि और टेक्नोलॉजी को पेटेंट कराकर किसी कंपनी के जरिए मार्केट में लाया जाएगा। कोशिश है कि सीएसजेएमयू से इंक्यूबेटेड कोई स्टार्टअप कंपनी इसको लांच करे।

ऑक्सी एक्जो एलोथैरेपी रखा नाम
डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने बताया कि डायबिटीज पेशेंटे्स के घाव में ठीक से ऑक्सीजन न मिल पाने के कारण घाव ठीक होने में परेशानी होती है। ऐसे में इल लेप के लगने के बाद ऑक्सीजन ठीक से मिलने लगती है, जिससे घाव ठीक होता है। इस प्रोसेस का नाम आक्सी एक्जो एलोथैरेपी रखा गया है।