आई नेक्स्ट पहुंचा जंगल

विजिटर्स की लगातार घटती संख्या के बाद जू एडमिनिस्ट्रेशन खुद नेचुरल जंगल को डेवलप करने में जुटा है। ताकि सिटी के साथ दूसरे शहरों के लोग भी यहां आएं। आई नेक्स्ट ने ट््यूजडे को जू के अंदर पनप रहे इस ‘छोटे जंगल’ को करीब से जाना।

घात लगाए बैठे रहते हैं मगर

हिरन सफारी के अंदर बनी लेक में 100 से अधिक मगरमच्छ हैं। जबकि हिरनों की संख्या तीन सौ से अधिक है। लेक के पास हिरनों के आते ही घात लगाए क्रोकोडाइल उनपर हमला बोलते हैं। इस जंग में कभी तो हिरन भागने में कामयाब हो जाते हैं तो कभी मगरमच्छ को भोजन बन जाते हैं। लेक के आसपास पड़ी हिरन की हड्डियां इसका सुबूत भी देती हैं। क्रोकोडाइल का ये हमला सुबह और देर शाम को ही होता है। क्योंकि इसी वक्त हिरन लेक के करीब आते हैं।

समर बड्र्स का लगा डेरा

हिरन सफारी की लेक में काफी संख्या में मछलियां हैं। जिसकी वजह से दूर देशों से आई  समर बड्र्स ने यहां अपना डेरा जमा रखा है। जू डायरेक्टर के थॉमस के मुताबिक, इस समय लेक के आसपास काफी संख्या में विजलिंग टील्स, ग्रे हेरोन, नाइट हेरोन, लैपबींस समेत हजारों संख्या में साइबेरियन बड्स हैं। ये दुर्लभ नजारा सिर्फ जंगल में ही देखने को मिलता है।

खुलेगा सर एलेन का बंगला

जिस जगह को आज जू के नाम से जाना जाता है कभी वो ब्रिटिश ऑफीसर कलक्टर सर एलन का रेजीडेंस हुआ करता था। अपने जिस जिस बंगले से सर एलन फॉरेस्ट और लेक का नजारा लिया करते थे, वो आज भी वहां मौजूद है। 70 के दशक में जब इंडियन गवर्नमेंट ने एलन फॉरेस्ट को जू में कनवर्ट किया तो इस बंगले को बंद कर दिया। जल्द ही इस बंगले को फिर से विजिटर्स के लिए खोल दिया जाएगा। विजिटर्स यहां से जंगल और लेक का विहंगम नेचुरल लुक देख सकेंगे। बंगले को रेनोवेट कराने की तैयारी शुरू हो गई है।

लेक से गंगा तक थी कैनाल

लेक के पानी को साफ और ताजा रखने के लिए ब्रिटिश गवर्नमेंट ने लेक को गंगा नदी से जोडऩे वाली करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी कैनाल बनाई गई थी। मगर, बार में इस कैनाल के गेट बंद करवा दिए गए क्योंकि लेक के क्रोकोडाइल कैनाल के रास्ते गंगा में चले जाते थे। अभी भी ये लेकर मौजूद है जो कूड़े-कचड़े और मलबे से पट गई है।

रीजंस कुछ और भी हैं

दरअसल जू में पिछले कई सालों से कई घटनाएं हुई हैं जिससे लगातार विजिटर्स की संख्या घट रही है। सीजेडए यानि सेंट्रल जू अथॉरिटी इसके लिए पिछले दिनों जू को नोटिस तक भेज चुका है कि जू को बंद किया जाए। लेकिन जू डायरेक्टर के थॉमस इसके विरोध में हैं उनका कहना है कि कानपुर जू नेचुरल फॉरेस्ट है। इसलिए लेक के एरिया को फॉरेस्ट लुक देने में समय नहीं लगेगा। के थॉमस के मुताबिक उनका मेन टारगेट विजिटर्स को जू के प्रति अट्रैक्ट करना है. 

नेचुरलिस्ट होगा अप्वाइंट

जू डायरेक्टर के थॉमस ने बताया कि हिरण सफारी को जल्द ही आम विजिटर्स के लिए खोल दिया जाएगा। विजिटर्स को गाइडलाइन के मुताबिक सेफ्टी से अंदर पहुंचाया जा सके इसलिए नेचुरलिस्ट अप्वाइंट करने का प्रपोजल शासन को भेजा गया है। उन्होंने बताया कि जल्द ही आम विजिटर्स भी लेक का नजारा ले सकेंगे।

क्या आप जानते हैं

ब्रिटिश कोलोनिकल पीरियड में ब्रिटिश इंडियन सिविल सर्विस के मेम्बर रहे सर एलेन ने नवाबगंज स्थित फॉरेस्ट एरिया को जू का रूप देने की कोशिश शुरू की थी। 1971-73 तक एरिया में कंस्ट्रक्शन वर्क हुआ। जू में बाड़ों का निर्माण होने के बाद पहला जानवर (अटर) ऊदबिलाओ कानपुर जू में लाया गया था। जो चम्बल के जंगल से लाया गया था। सर एलेन ने जू में नेचुरल हैबिट्स बनाए रखने पर काफी जोर दिया था।

विजिटर्स की घटती संख्या

2009-10 - 7 लाख

2010-11 - 6.5 लाख

2011-12 - 6 लाख

2012-13 - 5.3 लाख

जंगल की खासियत

क्रोकोडाइल- 100

हिरन- 300

बड्र्स- 2000

फिश- 5000

"हिरन सफारी को नेचुरल जंगल के रूप में डेवलप करने का मेन टारगेट यहां की नेचुरलटी को बरकरार रखना है। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग अट्रैक्ट हों। हम खुद चाहते हैं जंगल जैसा माहौल जेनरेट हो। सर ऐलन हाउस को भी रेनोवेट करने की तैयारी की जा रही है। "

के थॉमस, जू डायरेक्टर