लखनऊ (ब्यूरो)। अगर आपको डायबिटीज की समस्या है तो अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि अन्य के मुकाबले ऐसे लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका 20 प्रतिशत अधिक होती है। क्योंकि डायबिटीज की वजह से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। जिसकी वजह से इन मरीजों में फ्रैक्चर होने की आशंका दोगुनी हो जाती है। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों को अपना बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।

30 के बाद होने की आशंका अधिक

समय के साथ हड्डियों में कैल्शियम समेत अन्य मिनरल्स की कमी होने लगती है। जिसकी वजह से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और जरा सा झटका लगने तक से फ्रैक्चर हो जाता है। ऐसी स्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है। पीजीआई के इंडोक्राइन विभाग के प्रो। सुशील गुप्ता ने बताया कि जिन लोगों को डायबिटीज है, ऐसे मरीजों में 30 साल की उम्र के बाद ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका अन्य के मुकाबले 10-20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते हैं, ऐसे में हल्की सी चोट से भी फ्रैक्चर हो जाना सी इसका कॉमन लक्षण माना जाता है। यह 50 की उम्र के बाद की 40 फीसदी भारतीय महिलाओं में देखने को मिलता है। इसकी बड़ी वजहों में अधिक बच्चे पैदा करना, लंबे समय तक बच्चे को दूध पिलाना, सूरज की रौशनी में कम बैठना और कैल्शियम का कम होना है शामिल हैं। इतना ही नहीं, कूल्हे की हड्डी टूटने के मामलों में करीब 40 फीसदी की मौत एक साल के भीतर हो जाती है। क्योंकि इसकी वजह से हार्ट व लंग्स आदि की समस्या हो जाती है। साथ ही बॉडी धीरे-धीरे डीकम्पोज होनी लगती है।

स्मोकिंग और अल्कोहल से कमजोर हो रहीं हड्डियां

डॉ। सुशील ने बताया कि हड्डियां कमजोर होने की अन्य बड़ी वजहों में स्मोकिंग व अल्कोहल भी है। क्योंकि इसकी वजह से हड्डियों में जरूरी मिनरल्स की कमी हो जाती है। इसके बाद अगर कोई इंसान एक माह से अधिक तक स्टेरॉयड्स का सेवन करता है तो उसको भी ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है। इसके अलावा, पेट की बीमारी, ब्लड कैंसर, रेडियोथेरेपी आदि की वजह से भी हड्डियां कमजोर होने से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।

कम उम्र में होने के तीन कारण

केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग के डॉ। आशीष कुमार ने बताया कि महिलाओं में पोस्ट मीनोपोजल में ऑस्टियोपोरोसिस देखा जाता है। पुरुषों में 70 वर्ष की उम्र के बाद यह समस्या होती है। पर कई बार महिलाओं में कम उम्र में भी यह समस्या देखने को मिलती है, जिसे सेकेंड्री ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं। इसके होने के तीन कारण हो सकते हैं। पहला, हार्मोनल इम्बैलेंस, जैसा कि पोस्ट मीनोपॉजल स्टेज में होता है। दूसरा, यूटरस और ओवरी निकाल दी जाए और तीसरा रेडियोथेरेपी होना।

एक बार टेस्ट जरूर करवाएं

ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए अगर किसी को पहली बार फ्रैक्चर हो तो उसे साथ में बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट जरूर करवाना लेना चाहिए। ताकि समय रहते पता चल सके कि कहीं यह फ्रैक्चर हड्डियों के कमजोर होने से तो नहीं हुआ है। खासतौर पर महिलाओं को यह टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। इसके अलावा, धूप में बैठें, कैल्शियम का सेवन करें और कोई समस्या होने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं।