लखनऊ (ब्यूरो)। आज जब किसी परिवार में आयुष्मान कार्ड पहुंचता है, तो उसमें एक विश्वास पैदा होता है कि अब इलाज की कोई चिंता नहीं करनी है। यह सब संभव हो सका पीएम नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता से। यह बातें डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के पांच वर्ष पूरे होने पर आयुष्मान संवाद के दौरान कहीं।

निजी अस्पताल आगे आएं

डिप्टी सीएम ने निजी अस्पतालों को विश्वास दिलाया कि आपका पैसा नहीं डूबेगा। आप लोग इलाज करें पैसा मिलने में कुछ देर जरूर हो जाती है लेकिन, रिफ्यूजल के मामले दो प्रतिशत हैं। राज्य स्वास्थ्य मंत्री राजा मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि जहां दुनिया में चंद्रयान 3 की चर्चा है वहीं यूपी में आयुष्मान की चर्चा है। जिसको लागू करने के मामले में यूपी अव्वल रहा है।

तीन करोड़ से अधिक कार्ड जारी

नीति आयोग के सदस्य डॉ। विनोद के पॉल ने कहा कि प्रदेश में साचीज रोज नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। साचीज ने न सिर्फ लोगों को इलाज दिया है बल्कि गुणवत्ता पूर्ण सेवाएं भी सुनिश्चित की है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि प्रदेश में अब तक 24.62 लाख लाभार्थियों ने मुफ्त इलाज प्राप्त किया है। पिछले एक वर्ष में यूपी में एक करोड़ 16 लाख से भी अधिक लाभार्थियों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। साचीज की सीईओ संगीता सिंह ने कहा कि अब तक तीन करोड़ तीन लाख लाभार्थियों को यह कार्ड जारी किया गया है।

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ठाकुरगंज अस्पताल में खुले में पड़ा बायो मेडिकल वेस्ट

ठाकुरगंज संयुक्त चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। जबकि, खुद डीजी हेल्थ डॉ। दीपा त्यागी तक निरीक्षण कर सुधार के आदेश दे चुकी हैं। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि टीबी वार्ड के पास बायो मेडिकल वेस्ट खुले में फेंका जा रहा है। जिससे संक्रमण फैलने के साथ मरीजों की जान तक पर बन आ सकती है।

ठीक से नहीं हो रहा निस्तारण

ठाकुरगंज संयुक्त चिकित्सालय में 150 बेड है। इसमें 100 बेड का टीबी वार्ड भी शामिल है। यहां लापरवाही का आलम यह है कि टीबी वार्ड के पास ही अस्पताली कचरे का डंपिंग यार्ड बनाया गया है। यहां बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण सही से नहीं हो रहा है। जिससे, इस्तेमाल किए हुए सीरिंज, रुई, ब्लड सैंपल वॉयल आदि खुले में पड़े हुए है। जिससे यहां भर्ती मरीजों के अलावा तीमारदारों में भी संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है। जबकि नियमानुसार बायो मेडिकल वेस्ट को बिना किसी के संपर्क में लाए सुरक्षित निस्तारण कराना होता है।