25 फीसद एंटीबॉडी कम लक्षण वाले मरीजों में

90 फीसद एंटीबॉडी अधिक लक्षण वाले मरीजों में

- सिर्फ 20 से 25 फीसद कोरोना मरीजों में बन रही एंटीबॉडी

- सात दिनों अधिक लक्षण वाले मरीजों में एंटीबॉडी ज्यादा

LUCKNOW: कोरोना के खिलाफ बन रही एंटीबॉडी बाकी कोरोना मरीजों की इस संक्रमण से लड़ाई में मदद करती है। हालांकि कोरोना मरीजों में एंटीबॉडी बनने का कोई पैमाना नहीं है। किसी में यह ज्यादा बन रही है तो किसी में कम। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण मरीज में कोरोना के कितने लक्षण है। पीजीआई के ट्रांसफ्यूजन डिपार्टमेंट में भर्ती मरीजों की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है।

सिर्फ 25 फीसद में बन रही एंटीबॉडी

पीजीआई के ट्रांसफ्यूजन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ। अनुपम वर्मा ने बताया कि उनके कोविड अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों में किसी में ज्यादा तो किसी में कम एंटीबॉडी बन रही है। जिन मरीजों में लक्षण कम हैं या एक सप्ताह के अंदर चले जा रहे हैं, उनमें कम एंटीबॉडी बन रही है। ऐसे सिर्फ 20 से 25 फीसद मरीजों में ही एंटीबॉडी बन रही है। कोरोना वायरस को लेकर किए गए कई अन्य रिसर्च में भी कुछ इसी तरह की बातें निकलकर सामने आ रही हैं।

मिल रही 90 फीसद एंटीबॉडी

डॉ। अनुपम ने बताया कि जांच के दौरान देखने को मिल रहा है कि कोरोना मरीज अगर 14 दिन के बाद भी भर्ती हैं और उनमें लक्षण दिख रहे हैं तो उनमें 90 फीसद तक एंटीबॉडी मिल रही है। इसका मतलब यह है कि आईजीजी एंटीबॉडी जो थोड़ा लेट स्टेज में बनती है, वो ज्यादा दिनों तक लक्षण वाले मरीजों में बननी शुरू हो गई है। हमारे यहां जो मरीज 14 दिनों के बाद कहीं से आकर भर्ती हो रहे हैं, उनमें एंटीबॉडी बनी हुई देखने को मिल रही है। कोविड के खिलाफ उनकी बॉडी ने खुद से एंटीबॉडी बनानी शुरू कर दिया है, जबकि वे अभी संक्रमित हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि जिन मरीजों में ज्यादा दिनों तक लक्षण रहे हैं, उनमें मजबूत एंटीबॉडी बनती हुई देखने को मिल रही है।

कोट

जिन मरीजों में लक्षण सात दिनों से अधिक रहे हैं, उनमें एंटीबॉडी ज्यादा अच्छी मिल रही है। जबकि इससे कम दिनों वाले मरीजों में करीब 25 फीसद ही एंटीबॉडी देखने को मिल रही है।

डॉ। अनुपम वर्मा, प्रोफेसर ट्रांसफ्यूजन डिपार्टमेंट, पीजीआई