- केजीएमयू में स्वस्थ लोगों पर हुई स्टडी में खुलासा, प्लाज्मा डोनर की बढ़ेगी तादाद

- हाई रिस्क एरिया में काम करने वालों पर किया गया एंटीबॉडी टेस्ट

- सप्ताह भर किए गए ऐसे मरीजों के टेस्ट, सभी कोरोना फाइटर निकले

रुष्टयहृह्रङ्ख (18 छ्वह्वद्य4): आबादी में कई लोग कोरोना के शिकार हो गए मगर, खुद अनजान रहे। हालांकि, वे धीरे-धीरे खुद ही ठीक हो गए। ऐसे लोगों की अच्छी खासी तादाद है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवíसटी (केजीएमयू) ने अपनी स्टडी में इन मरीजों की स्थिति के बारे में पड़ताल की है। इस कड़ी में संक्रमण के हाई रिस्क एरिया में ज्यादा रहने वाले स्वास्थ्य कíमयों व रक्तदाताओं की जांच की गई। पता चला कि उनके शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी खुद ही बन गई थी, जिस कारण वे बिना अस्पताल जाए ठीक हो गए। शोध में यह अहम जानकारी सामने आने के बाद प्लाज्मा डोनर की संख्या बढ़ जाएगी।

एंटीबॉडी की पड़ताल का लिया फैसला

केजीएमयू के ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ। तूलिका चंद्रा बताती हैं कि बिना लक्षण वाले मरीजों के बारे में सटीक जानकारी नहीं हो पा रही थी। यह पता लगाने के लिए हमने आम स्वस्थ्य व्यक्ति में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी की पड़ताल का फैसला किया। संस्थान ने हाई रिस्क एरिया, जनरल ड्यूटी में तैनात हेल्थ वर्कर, व ब्लड बैंक में रक्तदान करने आए स्वस्थ व्यक्तियों का चयन किया गया। विशेष मशीन में ब्लड के जरिए एंटीबॉडी की जांच की गई। इसमें हाई रिस्क में ड्यूटी कर रहे 41 सैंपल, जनरल ड्यूटी के 415 कíमयों के सैंपल व 1235 रक्तदाताओं का सैंपल कलेक्ट किया गया। इसके बाद सप्ताह भर एंटीबॉडी टेस्ट किए गए, जिसमें हाई रिस्क में 4.86, जनरल ड्यूटी के 1.5 व रक्तदाताओं 3.72 फीसद में कोरोना के खिलाफ बनने वाली आईजीजी एंटीबॉडी पाई गई है। ये वे लोग थे जो भले ही कोरोना से अनजान रहे हों, पहले कोरोना टेस्ट से वायरस कंफर्म नहीं हुआ हो।

चार से सात तक मिली एंटीबॉडी की ओडी

डॉ। तूलिका चंद्रा के मुताबिक, एंटीबॉडी टेस्ट केमील्युमीनीसेंस मशीन में किए गए। इसमें आईजीजी एंटीबॉडी शरीर में कम है या ज्यादा की पुष्टि की गई । व्यक्ति के ब्लड का सैंपल विशेष किट में मौजूद रसायन के साथ मशीन में रन किया गया। इसमें ऑटोमेटिक ऑप्टिकल डेंसिटी (ओडी) का आंकलन किया गया। यह एक प्रकार की रीडिंग है। ओडी एक से कम आने पर यह साफ हो जाता है कि शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण नहीं हुआ है। वहीं, एक से तीन तक आने पर शरीर में एंटीबॉडी का कम होने की पुष्टि होती है। ओडी छह तक आने पर एंटीबॉडी का स्तर हाई होने का कंफर्मेशन हो जाता है। खुद ठीक हो गए मरीजों में चार से सात तक ओडी मिली।

यह होगा फायदा

ठीक हो चुके संक्रमित व्यक्तियों में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन चुकी है। उनमें दोबारा संक्रमण का खतरा कम है। वहीं, अभी सिर्फ कोरोना के कंफर्म केस ही ठीक होकर प्लाज्मा दान कर सकते थे। अब केजीएमयू ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया को पत्र भेजकर एंटीबॉडी वाले व्यक्तियों के प्लाज्मा दान की अनुमति मांगेगा। ऐसे में माइल्ड व सीवियर मरीजों को प्लाज्मा मिलने में आसानी होगी।