-बढ़ता है छोटे बच्चों में अस्थमा और निमोनिया का खतरा
-इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स यूपी चैप्टर की ओर से यूपी रेस्पीकॉन 2018 का आयोजन
LUCKNOW: आपकी स्मोकिंग सिर्फ आपके लिए ही खतरनाक नहीं है बल्कि यह आपके बच्चों के लिए भी खतरनाक है। स्मोकिंग के कारण अब छोटे बच्चों में अस्थमा जैसी समस्या हो रही है। यदि स्मोकिंग को पूरी तरह बंद कर दिया जाए तो करीब 10 फीसद तक घर का पॉल्यूशन कम हो जाएगा। इससे बच्चों में अस्थमा या अन्य सांस की बीमारियां और निमोनिया होने का खतरा कम होगा।
5 दिन से ज्यादा बुखार तो डॉक्टर के पास जाएं
डॉ। आशुतोष वर्मा ने बताया कि फ्लू भी एक वायरल इंफेक्शन है। यह सर्दी जुकाम के साथ होता है। यदि 4-5 दिन से अधिक नाक बहना, खांसी, सांस फूलने की समस्या होती है तो यह फ्लू के कारण हैं और डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसके बचाव के लिए वैक्सीन लगवाई जानी चाहिए।
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बच्चों के लिए इनहेलर से डरें नहीं
जो बीमारियां पहले 15-16 वर्ष की उम्र में होती थी वह अब 7-8 माह में ही हो जा रही हैं। इसके कारण बच्चों को इनहेलर देने पड़ रहे हैं। यदि इसकी जरूरत होती है तो इनहेलर से डरें नहीं। यह बीमारी से बचाता है और अन्य दवाओं के मुकाबले बेहतर हैं। नवजात बच्चों में पॉल्यूशन के कारण एलर्जी होती है, लेकिन इसे हम बचा सकते हैं। निमोनिया जानलेवा है इसके लिए वैक्सीन जरूर लगवाएं। अब यह सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है।
डॉ। आशुतोष वर्मा
कोट--
बच्चा दूध छोड़ दे डॉक्टर को दिखाएं
बच्चों में निमोनिया कई कारणों से होती है। यह जानलेवा है, लेकिन स्टेप्टोकोकस वायरस से होने वाली निमोनिया को वैक्सीन लगवाकर बचाया जा सकता है। पांच वर्ष तक के बच्चों की बीमारियों में करीब 10 फीसद बच्चे निमोनिया से ग्रसित होते हैं। जिनमें से दो फीसद तक की मौत हो जाती है। बच्चों में बुखार, सांस तेज चलना, बात करते समय हांफना, एक माह का बच्चा दूध पीना छोड़ दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डॉ। दिनेश चंद्र पांडेय
कोट-
बचाए जा सकते हैं बच्चे
पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 20 फीसद बच्चे सिर्फ निमोनिया के कारण मरते हैं। सरकार वैक्सीन लागू कर रही है। आज निमोनिया का बड़ा कारण पॉल्यूशन है। निमोनिया का कारण बढ़ता हुआ पॉल्यूशन भी है। जहां पर पॉल्यूशन होगा वहां निमोनिया की दिक्कत ज्यादा होगी। घरों में होने वाला पॉल्यूशन भी इसका सबसे बड़ा कारण है। एक सर्वे के अनुसार हर तीसरे घर में कोई न कोई स्मोकिंग करता है। यह भी पॉल्यूशन बढ़ाता है और इससे छोटे बच्चों में निमोनिया और अस्थमा दोनों का ही खतरा बढ़ता है।
डॉ। विवेक सक्सेना
कोट-
निमोनिया से बचाव को वैक्सीन लगवाएं
निमोनिया से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। इससे करीब 4 फीसद बच्चों में निमोनिया की समस्या को कम किया जा सकता है। एक सर्वे में आया है कि वैक्सीन लगवाने से निमोनिया का खतरा कम हुआ और मौतों की भी संख्या कम होने लगी। घरों में स्मोकिंग खतरनाक है इससे छोटे बच्चों और गर्भ में पल रहे बच्चों को भी बहुत खतरा रहता है। फ्लू के लिए भी वैक्सीन उपलब्ध है। जो हर साल लगवानी होती है। इससे बीमारियों से बचाव होगा।
डॉ। प्रदीप शुक्ला