लखनऊ (ब्यूरो)। सूर्य का प्रकाश प्रकृति में जीवाणुओं एवं अन्य सूक्ष्म वनस्पतियों के साथ संतुलन बनाने और प्रकृति में विद्यमान बहुत से हानिकारक रासायनिक प्रदूषक या औद्योगिक कचरे को भी विघटित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी (बीबीएयू) के सूक्ष्म-जैविकी विभाग के प्रो। राम चंद्रा व उनकी शोध छात्रा डॉ। संगीता यादव और डॉ। सोनम त्रिपाठी द्वारा पर्यावरण में उपस्थित हानिकारक औद्योगिक कचरों के विघटन में एक नवीन तकनीकी का विकास किया गया है। इस तकनीक के लिए उन्हें आस्ट्रेलिया से अंतरराष्ट्रीय पेटेंट प्राप्त हुआ है।

यह सामने आया परीक्षण में

इस तकनीकी में यह पाया गया कि पर्यावरण मे प्रदूषक तत्वों के रूप में उपस्थिति हानिकारक औद्योगिक कचरे को सक्षम जीवाणुओं द्वारा जैविक प्रक्रिया के बाद यदि सूर्य के प्रकाश में एक नियंत्रित अवस्था में रखा जाए तो जटिल हानिकारक प्रदूषक बहुत तेजी से विघटित हो जाते हैं। इस तकनीकि प्रक्रम में यह पता चला है कि जीवाणुओं के द्वारा प्रदूषकों के विघटन के समय कुछ ऐसे जैव उत्प्रेरक रसायन उत्पन्न होते है जो सूर्य की रोशनी में जटिल प्रदूषकों को भी विघटित करते है। विष युक्त परीक्षण में यह भी पाया गया कि यदि इस प्रक्रिया से शोधित अपशिष्ट को कृषि कार्य हेतु उपयोग में लाया जाए तो इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है।

स्टूडेंट्स लैब में काम करें और पैसा कमाएं

एकेटीयू अब लखनऊ यूनिवर्सिटी के तर्ज पर अपने गरीब स्टूडेंट्स को पढ़ाई के साथ कमाई का मौका देगा। वीसी प्रो। पीके मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित विद्या परिषद की बैठक में इस पर निर्णय लिया। वीसी प्रो। प्रदीप कुमार मिश्र की अध्यक्षता में हुई बैठक में सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज में पढऩे वाले स्टूडेंट्स को पढ़ाई के साथ कमाई करने का अवसर देने का निर्णय लिया है। इसके तहत स्टूडेंट्स को सेंटर के लैब में कुछ घंटे काम कर सकते हैं। इसके तहत यूनिवर्सिटी की ओर से पारिश्रमिक के रूप में स्टूडेंट्स करीब दस हजार रुपए दिए जाएंगे। इसके लिए चयन की प्रक्रिया जल्द घोषित की जाएगी। वहीं नई शिक्षा नीति के तहत बैठक में स्टूडेंट्स के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। अब एमटेक पीएचडी इंटीग्रेटेड करने को हरी झंडी दे दी गयी। छात्र एक साथ एमटेक और पीएचडी कर सकते हैं। इसमें प्रवेश एमटेक की तरह होगा।