नाना से सीखा गोल्फ

हजरतगंज इलाके से सटे मार्टिनपुरवा को कैडियों का गांव कहा जाता हैयहां पर तमाम कैडीज ने अपने बुजुर्गों से ही गोल्फ की ट्रेनिंग ली हैकैडी अमित ने बताया कि उन्हें गोल्फ की ट्रेनिंग अपने नाना गया प्रसाद से मिलीवे भी यहां पर कैडी थे और लखनऊ गोल्फ क्लब में लोगों को गोल्फ खिलायाउनके बेटे संजय कुमार ने भी उन्हीं से गोल्फ सीखा और आज प्रोफेशनल गोल्फर बन गएमैं आज भी कैडी हूं और गोल्फ क्लब में लोगों को गोल्फ खिलाता हूं

बेटा और पिता दोनों है कैडी

इसी पीजीटीआई टूर में शानदार प्रदर्शन करने वाले राजेश कुमार ने भी कैडी से ही अपने कॅरियर की शुरुआत कीइनके पिता विश्वास आज भी कैडी का काम कर रहे हैंदोनों लोग यहां पर कैडी हैराजेश कुमार ने बताया कि कोई कैडी कहीं प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं लेता हैसभी को यह खेल विरासत में मिला हैअमित ने बताया कि एक कैडी को एक गेम के लगभग 75 रुपए मिलते हैं

पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहा है गोल्फ का खेल

कैडी विक्रांत बताते है कि मार्टिन पुरवा में रहने वाले तमाम कैडीज ने गोल्फ की ट्रेनिंग अपने घरों से ही ले रखी हैयहां पर ऐसे 80 घर है जहां कैडी से होने वाली इंकम के दम पर ही जिंदगी चल रही हैकई घर तो ऐसे हैं जहां पीढ़ी दर पीढ़ी यह खेल चल रहा हैशेरा की उम्र 65 साल हैपिछले 30 सालों से वह यहां पर कैडी हैंउन्होंने बताया कि मार्टिनपुरवां में डेढ़ सौ कैडी मौजूद हैं

नहीं होता था पैसा

कैडी पप्पू बताते हैं कि किसी कैडी के पास इतना पैसा नहीं होता है कि किसी प्रतियोगिता के लिए गोल्फ में हिस्सा लेने के लिए गोल्फ किट खरीद सकेगोल्फ किट तो बहुत बड़ी बात हैं टूर्नामेंट का क्वालीफाइंग फीस भरना ही आसान नहीं होता हैप्रतियोगिता के दौरान वह किट उससे लेते हैं जिसे वह गोल्फ खिलाते हैंउन्हीं के दम पर यहां के गोल्फर्स गोल्फ की दुनिया में कदम बढ़ाते हैं

क्या कहते हैं क्लब के कैप्टन

मार्टिनपुरवां गांव में तमाम कैडी रहते हैंइनमें कई ऐसे है जिनके यहां लोग पिछले कई सालों से कैडी का काम कर रहे हैं

आदेश सेठ

कैप्टन

लखनऊ गोल्फ क्लब