- 32 सौ पीआरवी डायल 112 में

- 3 पुलिस कर्मी तैनात रहते हैं पीआरवी में

- 2015 में शुरू हुई थी पीआरवी डायल 112 सेवा

- 3 साल में एक तिहाई व्हीकल को बदलने का नियम

- 5 सदस्यीय कमेटी देंगी बदलाव की रिपोर्ट

- डीजीपी के निर्देश पर पीआरवी में बदलाव के लिए बनी कमेटी

- कमेटी सौंपी अपनी रिपोर्ट, शासन को भेजी जाएगी रिपोर्ट

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रुष्टयहृह्रङ्ख : यूपी पुलिस की इमरजेंसी सेवा डायल 112 के पीआरवी में जल्द ही एक बड़ा बदलाव होगा। शुरुआती दौर में लखनऊ, कानपुर, नोएडा और गाजियाबाद में पीआरवी में बदलाव किया जा सकता है। इसके लिए डीजीपी के निर्देश पर एक कमेटी बनाई गई है। पांच सदस्यीय कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी, जिसके बाद अंतिम निर्णय के लिए रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।

पीआरवी में होगा कस्टडी चैंबर

डायल 112 के एडीजी असीम अरुण के अनुसार डीजीपी के निर्देश पर पीआरवी में फेरबदल के लिए एक कमेटी बनाई गई है। समिति डायल 112 के फील्ड एक्शन के लिए ऐसे वाहनों की तलाश कर रही है जो प्रदेश की फील्ड और वहां के हालात के साथ मेल खाएं। साथ ही टिकाऊ और किफायती हो। कमेटी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप जैसे आधुनिक देशों में प्रचलित एक नई तकनीक का चयन भी कर सकती है। वहां पुलिस व्हीकल में आमतौर पर अपराधी के लिए कस्टडी चैंबर होता है, जिससे मौके पर पकड़े गए आरोपी को कस्टडी में लेकर संबंधित थानों को ट्रांसफर किया जा सके। अभी तक पीआरवी मौके पर पहुंच कर आरोपी को पकड़ लेती है, लेकिन संबंधित थाने की पुलिस का उन्हें इंतजार करना पड़ता है।

पायलेट प्रोजेक्ट के तहत चार डिस्ट्रिक्ट में प्रयोग

पायलेट प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और कानपुर में इसे प्रयोग में लाया जा सकता है। सरकारी व्हीकल में तीन से पांच वर्ष में बदलाव करने का नियम है। ज्यादातर व्हीकल के खराब होने की दशा में यूपी 112 वाहनों के बदलाव की स्थिति में ऐसे व्हीकल में बदलाव की जरूरत है।

ट्रैफिक के चलते आ रही दिक्कत

अपने आकार के कारण पीआरवी को शहर के ट्रैफिक के साथ ग्रामीण इलाकों की रोड पर चलने में भी काफी मुश्किल होती है। इसकी बैटरी फ्लैशर्स और हूटर के अधिक यूज की वजह से जल्द खराब हो रही है। यही वजह है कि इसके बदलाव पर विचार किया जा रहा है।

लखनऊ मे सबसे ज्यादा इनोवा गाड़ी

वर्तमान में लखनऊ में सबसे ज्यादा इनोवा का उपयोग पीआरवी के रूप में किया जा रहा है। साथ ही कुछ महिंद्रा की बोलेरो गाड़ी का प्रयोग यूपी 112 में किया जा रहा है। यूपी में करीब 3200 पीआरवी हैं। आमतौर पर एक पीआरवी में तीन पुलिस कर्मी तैनात रहते हैं। पुलिस के रिस्पांस और एक्शन मोड को बढ़ाने के लिए इसे और अधिक आरामदायक बनाया जा सकता है।

कोट

पीआरवी के रिस्पांस और एक्शन मोड को बढ़ाने के लिए इसके स्वरुप में बदलाव की तैयारी की जा रही है। इसके लिए डीजीपी के निर्देश पर एक कमेटी बनाई गई है।

असीम अरुण, एडीजी, डायल 112