लखनऊ (ब्यूरो)। घर का सपना दिखाकर गरीब व जरूरतमंदों को खुलेआम एक शख्स लूट रहा था। दरअसल, उसके पास प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास के लिए आवेदन करने वालों की लिस्ट थी, जिसके आधार पर वह लोगों से संपर्क करता था। वह फर्जी लाभार्थी पत्र के लिए 25-25 हजार रुपये वसूल रहा था। अब तक कई लोग उसके शिकार बन चुके हैं। कुछ के ठगे जाने की जानकारी होने पर इसकी शिकायत पुलिस से की गई, जिसमें बाद ठाकुरगंज पुलिस ने जालसाज पर शिकंजा कस उसे हिरासत में ले लिया।

कई लोगों को बनाया शिकार

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत विकास प्राधिकरण गरीब व जरूरतमंदों के लिए सस्ते आवास की योजना लेकर आया है। स्टेट अर्बन डेवलपमेंट एजेंसी (सूडा) लाभ्यर्थियों को चयनित कर उन्हें आवास उपलब्ध कराती है। हालांकि, इसका गलत तरीके से फायदा उठाकर कुछ लोग फर्जी लाभार्थी पत्र देकर पैसा वसूल रहे हैं। ऐसे एक नहीं बल्कि पांच से ज्यादा मामले अकेले ठाकुरगंज में सामने आए हैं, जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना विकास प्राधिकरण का फर्जी पत्र देकर न केवल उनसे टोकन मनी (आवेदन शुल्क) के रूप में 25-25 हजार रुपये वसूल किया जा रहा है। यहीं नहीं, सरकारी फीस के तौर पर 25-25 हजार रुपये वसूलने के बाद उन्हें जल्द व मनपसंद फ्लोर पर फ्लैट देने के नाम पर 10 से 20 हजार रुपये भी वसूले जा रहे हैं।

लिस्ट कहां से और कैसे मिली?

जालसाज केवल उन्हीं लोगों को टारगेट कर रहे हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना में घर के लिए आवेदन किया है। उसके पास यह लिस्ट कहां से और कैसे आई, यह भी बड़ा सवाल है। वे लोगों का मोबाइल व पता निकाल कर उन्हें कॉल कर उनके पास जाते हैं और बकायदा उसके नाम का फर्जी हूबहू सरकारी लाभ्यार्थी पत्र, जिसमें क्रम संख्या से लेकर हर वह डिटेल, जो असली पत्र में होती है, दर्ज होती है। बस नाम बदला हुआ रहता है।

सरकारी कर्मचारी बनकर मिलता था

लोगों से पीएम आवास के नाम पर ठगी के मामले में ठाकुरगंज पुलिस ने जब पड़ताल शुरू की तो खदरा में रहने वाले सलमान तक पहुंच गई। वह लोगों से सरकारी कर्मचारी बनकर मिलता था और उनसे आवेदन के रूप में 25 हजार रुपये जमा कराने के नाम वसूल रहा था। शुरुआती पूछताछ में आरोपी ने पांच लोगों को शिकार बनाने की बात कही है। हालांकि, पुलिस हिरासत में लेकर उससे पूछताछ कर रही है। आशंका है कि शहर में कई जरूरतमंद व गरीबों को उसने शिकार बनाया है। उससे आवेदनकर्ताओं की लिस्ट कहां से मिली, यह भी पता लगाया जा रहा है।