100 लोगों पर की गई स्टडी

50 लोगों के दो ग्रुप बनाए गए

67 पुरुष शामिल किए गए

33 महिलाओं पर भी रिसर्च

- केजीएमयू में 100 मरीजों पर की गई स्टडी, अमेरिकी जनरल में प्रकाशन

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LUCKNOW:

कोरोना वायरस की संक्रामकता और घातकता लगातार इसलिए बढ़ती जा रही है, क्योंकि इसका अभी कोई इलाज नहीं है। पूरी दुनिया में इस बीमारी पर रिसर्च की जा रही है। केजीएमयू में भी इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) थेरेपी को लेकर रिसर्च की गई। जिसमें पाया गया कि आम ट्रीटमेंट के मुकाबले आईवीआईजी थेरेपी कोरोना में काफी कारगर है। इसकी मदद से कोरोना के मरीज जल्दी ठीक हुए हैं। यह रिसर्च द जनरल ऑफ इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित हुई है।

सौ कोविड पेशेंट पर स्टडी

केजीएमयू के मेडिसिन विभाग और रिसर्च में शामिल डॉ। डी हिमांशु ने बताया कि इस रिसर्च में 100 मरीजों को शामिल किया गया। 50-50 के दो ग्रुप बनाए गए। एक ग्रुप को आईवीआईजी ग्रुप प्लस स्टेंडर्ड ग्रुप ऑफ केयर और दूसरे ग्रुप को केवल स्टेंडर्ड ग्रुप ऑफ केयर में रखा गया। स्टडी में 67 फीसद पुरुष और 33 फीसद महिलाएं शामिल थी। इन सभी की उम्र 18 से 80 साल के बीच थी। इन सभी को कोविड के साथ निमोनिया की भी शिकायत थी।

जल्द ठीक हो गए

डॉ। हिमांशु ने बताया कि जल्द ठीक हुए मरीजों की स्टडी में पाया गया कि आईवीआईजी ग्रुप के पेशेंट को थेरेपी देने का काफी ज्यादा असर देखने को मिला। जिसके तहत मरीज का शारीरिक तापमान जल्द नार्मल होना, ऑक्सीजन लेवल में सुधार, सांस लेने की प्रक्रिया में सुधार, वेंटिलेटर पर कम समय के लिए जाना समेत अस्पताल से जल्द डिस्चार्ज होना देखा गया। जबकि, केवल स्टेंडर्ड ऑफ केयर ग्रुप में इसको लेकर देरी देखी गई।

कम देखे एडवर्स इफेक्ट

स्टडी के दौरान थेरेपी से होने वाले एडवर्स इफेक्ट को भी देखा गया। आमतौर पर कोई भी इफेक्ट शुरुआती 30 मिनट में नजर आ जाता है। वहीं स्टडी के दौरान आईवीआईजी ग्रुप में 15 मरीजों में 17 एडवर्स इफेक्ट और एसओसी ग्रुप के 12 मरीजों में 20 एडवर्स इफेक्ट देखे गए। यानि पूरे ग्रुप में केवल 27 लोगों में कुल 37 एडवर्स इफेक्ट देखे गये। रिसर्च का हवाला दिया कि आईवीआईजी थेरेपी कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर है।

बदल रही दवाएं

डॉ। हिमांशु के मुताबिक कोरोना का अभी कोई पुख्ता इलाज तो उपलब्ध नहीं हैं। इलाज को लेकर देश-दुनिया में रिसर्च हो रहे हैं क्योंकि लगातार कोरोना मरीजों के ट्रीटमेंट का तरीका, दवा व थेरेपी आदि बदल रही है। रेमडेसिविर, प्लाज्मा थेरेपी, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन समेत दूसरी दवाएं पहले मरीजों को देने की सिफारिश हुई लेकिन बाद में रोकनी पड़ी। ऐसे में आईवीआईजी थेरेपी एक कारगर हो सकती है।

जल्द ठीक हुए मरीजों की स्टडी में पाया गया कि आईवीआईजी ग्रुप के पेशेंट को थेरेपी देने का काफी ज्यादा असर देखने को मिला।

डॉ। डी हिमांशु, मेडिसिन डिपार्टमेंट, केजीएमयू