- 400 बसों का संचालन अवध बस अड्डे से हो रहा

- 1200 बसों का संचालन कैसरबाग बस अड्डे से हो रहा

- 5000 से अधिक ई रिक्शा और ऑटो कैसरबाग क्षेत्र में

- 6 से 7 बसें पॉलीटेक्निक चौराहे पर हर समय खड़ी रहती हैं

- 6 हजार से अधिक ई रिक्शा इलाके में

- 1 हजार से अधिक ऑटो इलाके में मौजूद

- नया बस अड्डे से संचालन शुरू होने के बाद भी पॉलीटेक्निक और कैसरबाग से कम नहीं हुआ जाम

कैसरबाग में इनकी वजह से लगता है जाम

- कैसरबाग में ई रिक्शा, टैम्पों और ऑटो खड़े हो रहे हैं बस अड्डे के गेट पर

- बसों के आने-जाने का रास्ता भी नहीं

- चौकी मौजूद फिर भी एक्शन नहीं लेते पुलिस कर्मी

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पॉलीटेक्निक पर इसलिए लगता है जाम

- डग्गामार बसों के संचालन और चौराहे पर खड़े ई रिक्शा के चलते लोग रेंगते हुए चलने को मजबूर

- हर समय तैनात रहते हैं पुलिस के जवान फिर भी लगा रहता है 18 घंटे जाम

- डग्गामार बसों के खिलाफ एक्शन नहीं लेते हैं आरटीओ और पुलिस के अधिकारी

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LUCKNOW: शहर को जाम मुक्त करने के लिए परिवहन निगम ने कमता पर बनाए गए अवध बस अड्डे से बसों का संचालन शुरू कर दिया। इस बस अड्डे के बनने के बाद यह उम्मीद थी कि इससे पॉलीटेक्निक और कैसरबाग में जाम खत्म हो जाएगा। आलम यह है कि विभागीय अधिकारियों का सपोर्ट ना मिलने के कारण दोनों ही जगह जाम लगा रहता है। जाम लगाने वाले वाहन नियमों को रौंदते हुए पुलिस के जवानों के सामने फर्राटा भर कर दौड़ते रहते हैं, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया जाता। रोडवेज के अधिकारियों के अनुसार आरटीओ ऑफिस भी डग्गामार बसों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

इन वजहों से कैसरबाग में लग रहा जाम

रोडवेज के अधिकारियों के अनुसार आरटीओ ऑफिस ने नियम बना रखा है कि ई रिक्शा हो या ऑटो, इन्हें मेन चौराहे से 100 मीटर दूर खड़े होना है जबकि कैसरबाग में बस अड्डे के निकट चौराहे के चारो ओर इनका मजमा लगा रहता है। इसके अलावा बस अड्डे के एंट्री प्वाइंट पर भी यह लोग बसों के आते ही बस के जीने के सामने ही अपने वाहन लगा देते हैं जबकि बस अड्डे से सटी हुई एक चौकी बनी हुई है और यहां पर दिन भर पुलिस की टीम बैठी रहती है फिर भी कोई एक्शन नहीं लिया जाता है। इसके अलावा रोड पर अतिक्रमण कर लोगों ने दुकानें खोल रखी हैं। जब कोई वीआईपी आता है तो इन्हें हटा दिया जाता है फिर यह दुकानें लग जाती हैं।

पॉलीटेक्निक पर ऑटो, ई रिक्शा जाम के जिम्मेदार

पॉलीटेक्निक चौराहे का हाल भी कुछ ऐसा ही है। यहां पर दुकानों के अलावा डग्गामार बसें भी खड़ी रहती हैं। इन बसों को हटाए जाने को लेकर कई बार परिवहन निगम पत्र भी लिख चुका है। इसके अलावा पॉलीटेक्निक चौराहे पर ही हर तरफ ई रिक्शा, ऑटो वाले खड़े रहते हैं। ऐसे में यहां से निकलना दुश्वार हो जाता है। इंदिरानगर जाना हो या गोमती नगर, बिना जाम में फंसे नहीं निकल सकते। यहां से थोड़ी ही दूर पर रोडवेज का अवध बस अड्डा है, जहां से एक-एक कर बसें निकाली जाती हैं। इसी तरह से बसों के व्यवस्थित संचालन के लिए वेब के सामने भी रोडवेज ने एक बस शेल्टर बनवा दिया है। ऐसे में अब यहां पर रोडवेज बसें तो नहीं दिखती, लेकिन अन्य वाहनों के चलते सुबह से शाम तक जाम लगा रहता है।

कोट

अतिक्रमण और डग्गामार बसों के कारण दोनों जगहों पर जाम लग रहा है। पैसेंजर्स को सुविधा देने के साथ ही जाम को दूर करने के लिए अवध बस अड्डे की शुरुआत हुई। हमारी बसें तो अपने समय से निकलती हैं। एक-एक कर बसों को निकाला जाता है। फिर हमारी बसें रोड पर खड़े होकर पैसेंजर्स नहीं लेती।

पल्लब बोस

आरएम लखनऊ परिक्षेत्र

परिवहन निगम

कोट

ऐसी दुकानें जो नगर निगम में रजिस्टर्ड नहीं हैं और अवैध रूप से रोड पर खुली हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। इंद्र मणि त्रिपाठी

नगर आयुक्त

कोट

परिवहन निगम के साथ मिलकर कई बार संयुक्त रूप से डग्गामार बसों के खिलाफ अभियान चला है। डग्गामार बसों के खिलाफ लगातार अभियान चलता है। यदि पॉलीटेक्निक पर फिर से डग्गामार की शिकायतें आ रही हैं तो कार्रवाई की जाएगी।

सिद्धार्थ यादव

एआरटीओ प्रवर्तन

आरटीओ कार्यालय