लखनऊ (ब्यूरो)। ई-रिक्शा से चालक माल की सप्लाई करने पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। सवारियों के लिए इनका रजिस्ट्रेशन होता है लेकिन शहर की सड़कों पर दौड़ रहे ई।रिक्शा की तस्वीर कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। करीब 80 फीसद ई रिक्शा का इस्तेमाल मालवाहक के रूप में किया जा रहा है। इसके चलते ई-कार्ट की बिक्री प्रभावित हो रही है। परिवहन विभाग को भी इससे घाटा हो रहा है क्योंकि ई-रिक्शा जब ई-कार्ट और पिकअप की जगह लेने लगेंगे तो इनका रजिस्ट्रेशन परिवहन विभाग में होने की नौबत ही नहीं आएगी।

चालकों को होता है फायदा

आरटीओ कार्यालय में ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन यात्रियों को ले जाने के लिए होता है। असल में ई-रिक्शा चालक सवारियों की जगह सामान के आदान-प्रदान के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। ड्राइवरों को जब सवारियां नहीं मिलती हैं तो फिर वह सब्जी, किराने का सामान ढोने का काम करते हैं। इसकी वजह से व्यापारी और आम लोग कम भार वाले सामान के लिए ई-कार्ट का इस्तेमाल च्यादा कर रहे हैं। इससे ई-रिक्शा चालक को सीधा फायदा हो रहा है क्योंकि इन्हें सवारियों से च्यादा कमाई सामान को ले जाने में होती है।

वजन से ज्यादा भार लादते हैैं

चालक ई-रिक्शा के वजन से च्यादा भार लाद लेते हैं। ऐसे में दुर्घटनाएं होने की आशंका बनी रहती है। ओवरलोड होने की वजह से कभी-कभी ई-रिक्शा अनियंत्रित होकर पलट जाते हैं। दूसरे लोगों के लिए भी दुर्घटना का कारण बन जाते है। ई-रिक्शा का कुल वजन चार से पांच क्विंटल होता है। इससे भी च्यादा वजन लादकर चालक पुलिस वालों के आंखों के सामने से ही ले जाते हैं।