लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में नए मकानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उतनी ही रफ्तार से हरियाली का ग्राफ डाउन हो रहा है। जिसकी वजह से एक्यूआई लेवल में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। अब एलडीए की ओर से जरूर अपनी आवासीय योजनाओं में ग्रीन पॉलिसी लाने पर फोकस किया गया है। हालांकि, पुरानी आवासीय योजनाओं में स्थिति अभी चिंताजनक है।

120 के पार रहता है एक्यूआई

हरियाली का ग्राफ डाउन होने का सीधा असर एक्यूआई लेवल पर देखने को मिलता है। राजधानी में एक्यूआई का औसतन लेवल 120 के पार रहता है। कोविड के समय को छोड़ दें तो एक्यूआई लेवल में कोई खास सुधार आता हुआ नजर नहीं आ रहा है।

कोई ध्यान नहीं देता

हरियाली डेवलप करने को लेकर किसी भी विभाग की ओर से कोई योजना इंप्लीमेंट नहीं की जाती है। नए-नए फ्लाईओवर तो बन रहे हैैं, लेकिन उनके नीचे खाली स्पेस कबाड़ घर बन चुके हैैं। विभागों की ओर से इसी खाली स्पेस में हरियाली डेवलप करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन गुजरते वक्त के साथ यह योजना कागजों में ही सिमट कर रह गई।

पॉलीथिन का जमकर यूज

राजधानी में बैन पॉलीथिन का भी जमकर यूज किया जा रहा है। पहले यह योजना बनाई गई थी कि सभी मार्केट्स में नियमित रूप से चेकिंग अभियान चलाया जाएगा, लेकिन गुजरते वक्त के साथ कहीं भी चेकिंग होती हुई नजर नहीं आती है। अभी तक नगर निगम की ओर से प्लास्टिक निस्तारण के लिए प्लांट तक स्थापित नहीं किया जा सका है। पॉलीथिन का धड़ल्ले से यूज पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा है।

कूड़ा भी खूब जलाया जाता

सफाई कर्मियों की ओर से खुले में कूड़ा भी खूब जलाया जाता है। इसकी वजह से भी पर्यावरण को सीधा नुकसान पहुंचता है। नगर निगम की ओर से समय-समय पर जुर्माना तो लगाया जाता है, इसके बावजूद गलियों में धड़ल्ले से कूड़ा जलाया जाता है। नगर निगम के पास फिलहाल इसके लिए कोई मॉनीटरिंग सिस्टम नहीं है।

अब शुरू हो रही कवायद

एलडीए की ओर से अब जरूर अपनी नई आवासीय समितियों में ग्रीन पॉलिसी लाए जाने की कवायद की जा रही है। इस पॉलिसी के अंतर्गत किसी भी अपार्टमेंट में एक स्पेस छोड़ा जाएगा, जहां हरियाली डेवलप की जाएगी। इसका सीधा फायदा अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को शुद्ध हवा के रूप में मिलेगा। हालांकि, अभी इस योजना को इंप्लीमेंट होने में समय लग सकता है।

पार्कों पर भी फोकस नहीं

नगर निगम के कई ऐसे पार्क हैैं, जहां हरियाली लापता है। इन पार्कों को डेवलप करने के लिए कई बार योजनाएं बनाई गईं, लेकिन अभी तक पार्कों को पूरी तरह से डेवलप नहीं किया जा सका है। गोमतीनगर, आलमबाग समेत कई इलाकों में 15 से अधिक पार्क बदहाल हैैं।