लखनऊ (ब्यूरो)। महानगर निवासी प्रिंस श्रीवास्तव यूक्रेन में टरनोपिल स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र हैै। उसने बताया कि उसके शहर में तो युद्ध का सीधा असर नहीं था लेकिन सुरक्षा के लिहाज से बंकर बना दिए गए थे। जब हालात बिगड़े तो वे लोग रोमानिया बार्डर की तरफ बढ़े। बस अरेंज कर किसी तरह बार्डर के पास पहुंचे लेकिन वहां बहुत अधिक ट्रैफिक जाम होने के कारण बस को छोड़ना पड़ा। इसके बाद 15 किमी पैदल चलकर रोमानिया बार्डर पहुंचे।

माइनस टेंप्रेचर ने बढ़ाई मुश्किलें

प्रिंस ने बताया कि सबसे अधिक मुश्किल माइनस टेंप्रेचर की वजह से हुई। ऐसे टेंप्रेचर में रात गुजारना भारी पड़ा। इसके साथ ही भीड़ को कंट्रोल करने के लिए वहां के सैनिकों की ओर से बार-बार हवाई फायरिंग की जा रही थी, जिससे सभी स्टूडेंट खौफजदा रहे।

कानों में गूंज रही चीख पुकार

प्रिंस ने बताया कि वह भले ही घर आ चुका है लेकिन अभी भी उसकी आंखों में वो खौफनाक मंजर घूम रहा है। उसकी कानों में स्टूडेंट्स की चीख पुकार गूंज रही है। उसका यह भी कहना है कि जो स्टूडेंट्स अभी वहां फंसे हुए हैैं, उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकाला जाए।

बार्डर पर ही सबसे ज्यादा दिक्कतें

कैंपवेल रोड निवासी जय सक्सेना भी यूक्रेन में टरनोपिल स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र हैै। वह भी बुधवार को ही लखनऊ वापस आए हैं। उसने बताया कि रोमानिया बार्डर तक पहुंचने में खासी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बस अरेंज कर वह और अन्य स्टूडेंट्स बार्डर पहुंच गए। उसने बताया कि सबसे ज्यादा दिक्कतों का तो बार्डर पर ही सामना करना पड़ रहा है। यहां भीड़ को कंट्रोल करने के लिए बार-बार फायरिंग की जाती है, जिसकी वजह से स्टूडेंट्स और खौफजदा हो जाते हैैं। जय ने बताया कि बार्डर पार करने के बाद उसे व अन्य स्टूडेंट्स को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा।

वापस तो जाना ही पड़ेगा

जब जय से पूछा गया कि क्या अब वो वापस यूक्रेन जाएगा तो उसने साफ कहाकि वह फोर्थ ईयर स्टूडेंट है। अपने सेमेस्टर कंपलीट करने के लिए उसे वापस जाना पड़ेगा। जिससे उसका कैरियर खराब न हो। उसने यह भी कहाकि वह फिलहाल अभी तो नहीं जाएगा लेकिन जब हालात पूरी तरह से सामान्य हो जाएंगे, तब वह वापस जाने संबंधी निर्णय लेगा।