लखनऊ (ब्यूरो)। यह पूरी तरह से भ्रम है कि टमाटर के बीज से पथरी का खतरा रहता है। सच तो यह है कि नमक के अधिक सेवन से पथरी का खतरा बढ़ जाता है। खाने के अलावा चटनी व पापड़ आदि से जो अतिरिक्त नमक शरीर में जाता है, वो पथरी बनाने का काम करता है। अधिक सोडियम का सेवन करने से किडनी व यूरेटर में कैल्शियम का जमाव होने की संभावना होती है। यह जानकारी एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया की यूपी शाखा द्वारा आयोजित तीन दिवसीय यूपी एएसआईकॉन-22 में प्रो। एचएस पाहवा ने दी। रविवार को कॉन्फ्रेंस का समापन किया गया।

फिस्टुला हो रहा जटिल

प्रो। अरशद अहमद ने कहा कि हम साप्ताहिक आधार पर अन्य एनोरेक्ट्रोल रोगों के बीच फिस्टुला, फिशर, बवासीर के लगभग 500 मामले देखते हैं। सभी मामलों में से लगभग 20 फीसदी विशेष रूप से शहरी युवा अपनी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए पहले इंटरनेट पर जाते हैं, जो हानिकारक है। इसके अलावा एनोरेक्टल के मरीज अक्सर शर्म और सर्जरी कराने में झिझक के कारण झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाते हैं। मरीजों को पता होना चाहिए कि 80-90 फीसदी बवासीर और फिशर के मामलों में सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। जबकि प्रारंभिक अवस्था में फोड़े को निकालकर फिस्टुला को रोका जा सकता है। रेशेदार आहार लेने से बवासीर और फिशर को रोका जा सकता है।

लेजर सर्जरी के लिए बोलते हैं

प्रोक्टोलॉजिस्ट डॉ। कमल गुप्ता ने कहा कि आजकल मरीज एनोरेक्टल मुद्दों के लिए लेजर उपचार पर जोर देते हैं। कुछ डॉक्टर इंटरनेट पर विज्ञापनों के कारण लेजर उपचार की लोकप्रियता का लाभ भी उठाते हैं। ऐसे में मरीजों को इस तरह सर्जरी कराने के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए। वहीं, सैफई से आये डॉ। एसपी सिंह ने बताया कि आजकल ब्रेस्ट कंर्जविंग का जमाना आ गया है। इसके लिए शुरुआती स्टेज पर ही इसका पता लगा लेना चाहिए। पहले 5-10 फीसदी ही मामले आते थे, लेकिन अब ब्रेस्ट कैंसर के अर्ली मामले सामने आ रहे हैं, जो करीब 40 फीसदी देखने को मिल रहे हैं। डॉक्टरों और गांवों में इसको लेकर जागरूकता इसकी बड़ी वजह है।