लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के वृद्ध मानसिक विभाग में संचालित डीएम कोर्स के एक छात्र द्वारा वाइवा में जानबूझकर फेल करने और यौन उत्पीडऩ समेत कई आरोप विभागाध्यक्ष समेत अन्य शिक्षकों पर लगाये थे। जिसके बाद जांच कमेटी ने मामले की जांच कर रिपोर्ट वीसी को सौंप दी थी। जांच समिति ने जानबूझकर फेल करने के आरोपों को खारिज कर दिया है। वीसी के अनुसार, जांच रिपोर्ट में छात्र के आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है। वहीं, मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग को भी रिपोर्ट सौंप दी गई है।

बेबुनियाद हैं आरोप

केजीएमयू वीसी डॉ। बिपिन पुरी ने बताया कि छात्र द्वारा लगाये गए आरोपों के बाद मामले को लेकर जांच समिति गठित की गई थी। समिति ने छात्र और आरोपी शिक्षकों के बयान दर्ज किए। इसके अलावा एक्सपर्ट द्वारा वाइवा की रिकार्डिंग की भी जांच की गई। रिकार्डिंग में साफ पता चल रहा है कि वाइवा के दौरान परीक्षकों द्वारा पूछे गए सवालों का सही से जवाब नहीं दे सका है। चूंकि, वाइवा में बाहरी शिक्षक ही आकर सवाल पूछते हैं, इसलिए पक्षपात के आरोप बेबुनियाद हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी। वहीं छात्र इस मामले में हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है। उसके अनुसार वाइवा में बाहरी शिक्षक भले ही होते हैं, लेकिन वे विभाग के शिक्षकों के प्रभाव में रहते हैं।

मानवाधिकार आयोग ने भी लिया संज्ञान

गौरतलब है कि केजीएमयू में सुपरस्पेशियलिटी कोर्स के स्टूडेंट ने वाइवा में जानबूझकर फेल करने की बात कहते हुए विभागाध्यक्ष और दो अन्य शिक्षकों पर गंभीर आरोप लगाए थे। छात्र ने एक शिक्षक पर यौन उत्पीडऩ करने तक का आरोप लगाया था। वहीं, टॉपर छात्र को वाइवा में फेल करने के मामले में मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया था। आयोग ने चिकित्सा शिक्षा विभाग को नोटिस जारी करके 11 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने को कहा था। इसको देखते हुए केजीएमयू ने अपनी जांच पूरी करके आयोग को भी जवाब भेज दिया है।

जांच में आरोप बेबुनियाद पाये गये हैं। रिपोर्ट के अनुसार आगे की कार्रवाई की जायेगी।

-डॉ। बिपिन पुरी, केजीएमयू