लखनऊ (ब्यूरो)। सिविल अस्पताल में 400 से अधिक बेड हैं। यहां रोज दो से ढाई हजार मरीज दिखाने के लिए आते हैं। अस्पताल में मरीजों को दवा फ्री उपलब्ध कराई जाती है। यहां सर्वाधिक बीपी, बुखार, आर्थो के मरीज आते हैं। इसके बावजूद मरीजों को न तो पूरी दवा मिलती है और न ही हर जांच हो पा रही है। मरीज बाहर से महंगी दवा और जांच कराने को मजबूर हैं।

बीपी और दर्द की दवा की कमी
अस्पताल में बीपी के लिए मेटाप्रोलोल, एलर्जी के लिए बेसिक दवा सिट्राजिन तक नहीं है। इसकी जगह सीपीएम दी जा रही है। वहीं, दर्द से राहत के लिए कोई ट्यूब जैसे डाइक्लोफ्लैक तक नहीं है। ऐसे में आर्थो के मरीजों को दिक्कतें आ रही हैं। यूरीन संबंधि इलाज के लिए एल्कासोल सिरप भी नहीं मिल पा रहा है। साथ ही दिल संबंधी पूरी दवाएं नहीं मिल रही हैं।

दिल की जांच बड़ी मुश्किल
अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग है लेकिन दिल के मरीजों के लिए जरूरी कैथ लैब नहीं है। जिसके चलते एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी नहीं हो पा रही है। डॉक्टर मरीजों को केजीएमयू या लोहिया रेफर कर देते हैं। यहां पहले कैथ लैब की सुविधा थी लेकिन बीते चार सालों से यह लैब उपकरण कंडम होने के कारण बंद है। लैब को शुरू कराने के लिए प्रपोजल भेजा जा चुका है लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

बाहर से लिख रहे दवा
सरकार का स्पष्ट आदेश है कि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवा नहीं लिखेंगे। इसके बावजूद डॉक्टर बाहर की दवा लिख रहे हं। पीडियाट्रिक विभाग के डॉक्टर तक बाहर की दवा लिख रहे हैं। जिसे खरीदने के लिए मरीज बाहर भटकने को मजबूर है।

बच्चे के पेट में दर्द की समस्या है। डॉक्टर को दिखाया लेकिन, सभी दवा नहीं मिली हैं। ऐसे में बड़ी समस्या हो रही है।
अनामिका यादव

पेट में पथरी है। डॉक्टर ने पर्चे पर दवा लिखकर कहा है कि इसे बाहर से खरीद लेना। अब बाहर जाकर खरीदनी पड़ रही है। बड़ी दिक्कत हो रही है।

अनामिका

पिता का हार्निया का इलाज चल रहा है। डॉक्टर ने कई दवाएं लिखी है लेकिन सभी दवाएं नहीं मिल रही हैं। कोई बता भी नहीं रहा कि कब मिलेंगी।
भरतलाल

मरीजों की जरूरत के हिसाब से अस्पताल में सभी दवाएं उपलब्ध हैं। कैथ लैब को दोबारा शुरू कराने के प्रयास किए जा रहे है।
डॉ नरेंद्र अग्रवाल, निदेशक सिविल अस्पताल