- केंद्र की सहमति मिलने के साथ ही योगी कैबिनेट ने लगाई मुहर

- जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर लखनऊ राजमार्ग पर सोहावल तहसील के ग्राम धन्नीपुर में है भूमि

रुष्टयहृह्रङ्ख :

अयोध्या में राममंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले मुताबिक योगी कैबिनेट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि के प्रस्ताव पर बुधवार को मुहर लगा दी। यह जमीन थाना रौनाही के पास स्थित ग्राम धन्नीपुर में पांच एकड़ जमीन आवंटित की गई है। यह भूमि लखनऊ-अयोध्या राजमार्ग पर जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर थाना रौनाही के 200 मीटर पीछे है। सोहावल तहसील में पड़ने वाली इस जमीन के आस-पास मुस्लिम आबादी है।

तीन स्थानों का किया था चयन

प्रदेश सरकार ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में पांच एकड़ जमीन देने के लिए तीन स्थानों का चयन किया था। यह तीनों विकल्प सहमति के लिए केंद्र सरकार को भेजे गए थे। केंद्र से सहमति मिलने के बाद योगी कैबिनेट ने बुधवार को रौनाही की जमीन पर मुहर लगा दी। प्रदेश सरकार इस जमीन को हर लिहाज से उपयुक्त मान रही है। आवागमन के लिए सड़क मार्ग, जन सुविधाओं के साथ सांप्रदायिक सौहार्द व कानून व्यवस्था की दृष्टि से भी इसे उचित स्थान माना जा रहा है।

तीन माह की थी समय सीमा

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का फैसला किया था। इसके लिए तीन माह की समय सीमा दी थी। यह समय सीमा नौ फरवरी को पूरी हो रही है। इससे पहले ही योगी सरकार ने बुधवार को पांच एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड के नाम आवंटित करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी।

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सुन्नी वक्फ बोर्ड अपनी मीटिंग में करेगा तय

सुन्नी वक्फ बोर्ड के सीईओ सैयद मो.शोएब कहते हैं कि प्रदेश सरकार की तरफ से भूमि आवंटन का कोई प्रस्ताव अब तक प्राप्त नहीं हुआ है। जब प्रस्ताव आएगा तब इसे बोर्ड मीटिंग में रखा जाएगा। अगली बोर्ड बैठक 24 फरवरी को प्रस्तावित है। भूमि लेने या न लेने के साथ ही इसमें मस्जिद बनाने के अलावा और क्या-क्या किया जा सकता है, इसका फैसला बोर्ड करेगा। सूत्रों के अनुसार सुन्नी वक्फ बोर्ड यहां इंडो इस्लामिक कल्चर ट्रस्ट बनाने जा रहा है। इसके जरिए पांच एकड़ जमीन पर अस्पताल, विद्यालय, संस्थान, लाइब्रेरी सहित अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किए जा सकते हैं। वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी शहर से बाहर हैं, साथ ही उनका मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ है। इस कारण उनसे संपर्क नहीं हो सका। हालांकि वे पहले ही कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन करेंगे।

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