लखनऊ (ब्यूरो)। उप्र पर्यटन, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान और संस्कृति विभाग के तत्वावधान में बुद्ध पूर्णिमा पर गुरुवार को बौद्ध परित्राण पाठ, परिचर्चा, प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने भगवान गौतम बुद्ध के बताए रास्ते पर चलने की आवश्यकता बताई। बिहार, त्रिपुरा तथा श्रीलंका से आए विशेषज्ञों ने भगवान बुद्ध के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला।

ज्ञान की प्राप्ति हुई

कार्यक्रम के दौरान युद्ध नहीं बुद्ध विषय पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने बताया कि आज ही के दिन लुम्बिनी में महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था। यह दिन इसलिए खास है किए पूर्णिमा को ही बुद्ध का जन्म हुआ। इसी दिन बोधगया, बिहार में ज्ञान की प्राप्ति हुई और पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में परिनिर्वाण प्राप्त हुआ। इसलिए इस दिवस को त्रिविध कहते हैं। इस दौरान उन्होंने सिद्धार्थ से बुद्ध नामक पुस्तक का विमोचन किया।

राग, द्वेष, मोह, माया का करें त्याग

विद्यारत्न विश्वविद्यालय श्रीलंका के डॉ। बेन जूल्मपीटिये ने कहाकि अंतर्मन की सुनकर सिद्धार्थ, बुद्ध बन गए, वहीं, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय त्रिपुरा के प्रो। अवधेश कुमार चौबे ने बताया कि महात्मा बुद्ध ने राग, द्वेष, मोह, माया को त्याग बेहतर समाज बनाने का संदेश दिया।

प्रतियोगिता में बच्चों ने दिखाई मेधा

कार्यक्रम में निबंध और चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसमें, छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में विजेताओं को को पुरस्कार व प्रमाण पत्र दिया गया। इसके अलावा अन्य बच्चों को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। वहीं, महात्मा बुद्ध के जीवन, दर्शन एवं पुरातात्विक अवशेषों से संबंधित अभिलेख प्रदर्शनी भी लगाई गई। सिद्धार्थ से बुद्ध तक विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी में लोगों की भीड़ लगी रही।