लखनऊ (ब्यूरो)। पेरेंट्स कई बार परेशान रहते हैैं कि बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करें। उन्हें बच्चों के फ्यूचर की चिंता लगी रहती है। पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ जैसा व्यवहार करते हैैं उस पर निर्भर करता है कि बच्चे का व्यवहार आगे चल कर कैसा होगा। इन्हीं सब चीजों को समझने में मदद करती है पॉजिटिव पेरेंटिंग।

क्या है पॉजिटिव पेरेंटिंग

बच्चों को हर छोटी चीजों के लिए डांटना और टोकना जरूरी नहीं होता है। कई बार उन्हें प्यार से और शांति से भी चीजें समझायी जा सकती हैैं। इसके अलावा अच्छा काम करने पर उनकी तारीफ करना भी जरूरी है। ये सब बातें आती हैैं पाजिटिव पेरेंटिंग में। ये पेरेंटिंग का वो तरीका है जिसमें बच्चों को हर बात पर टोकने के बजाए उनके अच्छे काम की सराहना की जाती है ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़े और वो सही दिशा में विकास करें।

पॉजिटिव पेरेंटिंग का बच्चों पर असर

केजीएमयू के हेड चाइल्ड साइकेट्रिस्ट डॉ। विवेक अग्रवाल ने बताया कि क्या होता है बच्चों पर पॉजिटिव पेरेंटिंग का असर।

- पॉजिटिव पेरेंटिंग से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है।

- बच्चे स्कूल में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

- बच्चों के व्यवहार में भी काफी फर्क देखा गया है।

- बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है जोकि उनकी व्यक्तित्व में दिखता है।

- इससे बच्चों का किसी भी काम को करने के लिए इंट्रेस्ट भी बढ़ता है।

पॉजिटिव पेरेंटिंग के टिप्स

डॉ। विवेक का कहना है कि पेरेंट्स अकसर बच्चों की कमियों पर और बुरी आदतों पर ध्यान देते हैं। लोगों को इस माइंडसेट को बदलने की जरूरत है।

- आपके बच्चे अगर कोई भी अच्छा काम करें तो उनकी सराहना जरूर करेंं। इससे उन्हें और अच्छा काम करने की प्रेरणा मिलेगी।

- अगर आपके बच्चे से कोई गलती हो भी जाती है तो उन्हें डांटने के बजाए शांती से बात को समझाएं।

- अपने व्यस्त कार्यक्रम में से कुछ समय अपने बच्चों के लिए निकालें। इससे वो अकेलापन महसूस नहीं करेंगे।

- बच्चों के ऊपर चीजें थोपने के बजाए उनसे पूछें कि वो क्या करना चाहते हैं।

- अपने अंदर भी सुधार करें क्योंकि बच्चे पेरेंट्स को देख कर ही सीखते हैं। पेरेंट्स जैसा बरताव करेंगे, बच्चे भी आगे चलकर वैसे ही बरताव करेंगे।

- छोटे बच्चों पर ज्यादा सख्ती न बरतें। ऐसा करने से आगे चलकर बच्चों के विकास में दिक्कतें आ सकती हैं।

- बच्चों की कमियां गिनाने के बजाय उनकी खूबियों पर ध्यान दें।