लखनऊ (ब्यूरो)। बीते दिनों रहीमाबाद के रहने वाले आशीष कुमार ने पुलिस की प्रताडऩा से तंग आकर सुसाइड कर लिया। आरोप रहीमाबाद थाने में तैनात पुलिसकर्मियों पर लगा। दो दारोगा समेत तीन पुलिसकर्मी सस्पेंड भी किए गए। इस तरह का आरोप लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट पर पहली बार नहीं लगा है, इससे पहले भी इससे मिलती जुलती शिकायतें आ चुकी हैं। बावजूद इसके इन सब में नतीजा कुछ खास निकलकर नहीं आया है। यानी जो कार्रवाई खाकी पर होनी चाहिए थी, वो सिर्फ संस्पेड और नोटिस देने तक ही सीमित रह गई। पिछले तीन साल में दर्जन भर से अधिक ऐसे केस आए हैं, जिनमें खाकी को अपनों पर लगे दाग 'नजर' ही नहीं आए।

सिर्फ नोटिस देने तक ही जांच सीमित

अधिकतर केसों में देखा गया है कि पुलिसकर्मी पर आरोप लगने के बाद उसे नोटिस भेज दिया जाता है या फिर सस्पेंड की कार्रवाई की जाती है। पर कुछ दिनों बाद ही उसे दोबारा से कहीं न कहीं फिर चार्ज दे दिया जाता है। साथ ही कई बार पुलिस की नोटिस सिर्फ जांच तक सीमित रह जाती है। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि पुलिस एक्शन के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रही है, जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ता है।

केस-1

लात-घूसों, लोहे की रॉड से पीटा

सरोजनीनगर बदाली खेड़ा पुलिस चौकी के प्रभारी समेत दो पुलिसकर्मियों पर एक ठेकेदार को प्रताडि़त करने का आरोप लगा। आरोप था कि पुलिसकर्मियों ने ठेकेदार को लात घूसों और लोहे की रॉड से हमला कर छह लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई। तुरंत पैसा न होने पर पेटीएम पर साढ़े छह हजार रुपये भुगतान करा लिया गया। इसके बाद थाने में शिकायत की गई, जब सुनवाई नहीं हुई तो वीडियो वायरल कर दिया गया। मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंचा तो दोनों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। इसके बाद जांच ठप हो गई।

केस-2

ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या

2021 फरवरी में इंदिरानगर और गाजीपुर में स्पा सेंटर की आड़ में सेक्स रैकेट चलने की सूचना पर पुलिस ने छापा मारा। मौके से कई युवक और युवतियां पकड़े गये, इनमें विशाल सैनी का नाम भी सामने आया था। कुछ दिनों बाद हसनगंज के रैदास मंदिर रेलवे क्रासिंग पर विशाल सैनी ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट में उसने एक महिला आईपीएस अधिकारी पर जिंदगी बर्बाद करने का आरोप लगाया। उसने कहा कि इसकी जिम्मेदार एक महिला आईपीएस है, अपने प्रमोशन के चक्कर में मुझे फंसाया गया है। उच्च अधिकारियों ने मामले की जांच भी की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

केस-3

परिवार ने की आत्मदाह की कोशिश

तीन दिन पहले विधानसभा के बाहर उन्नाव से आए एक परिवार ने आत्मदाह की कोशिश की, परिवार ने नाबालिग के साथ रेप की कोशिश करने वाले आरोपियों पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया था। कहा था कि उनकी नाबालिग बेटी के साथ कुछ लोगों ने रेप की कोशिश की है, असफल होने पर मारपीट की और पीडि़त परिवार के कई लोगों को घायल कर दिया है। थाने में शिकायत करने पर पुलिस आरोपियों के खिलाफ मुकदमा नहीं लिख रही है। जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में कुछ पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया था।

केस-4

फांसी लगाकर की आत्महत्या

हुसैनगंज थाना क्षेत्र के अंर्तगत छितवापुर में 2020 में एक कोरियर बॉय की बाइक ट्रैफिक पुलिस ने सील कर दी, कई बार मिन्नतों के बावजूद पुलिस ने युवक की बाइक नहीं छोड़ी और भारी जुर्माना लगाकर बाइक सील कर दी। इसके बाद युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बाद में परिजनों ने हंगामा किया और पुलिस पर आरोप लगाया कि उनकी वजह से बेटे ने आत्महत्या की है। मामले में कुछ दिन जांच भी बैठी, लेकिन बाद में मामला कागजों में ही सिमट गया।

पुलिस केस में अक्सर दो पक्ष होते हैं, जिस वजह से पीडि़त पक्ष अक्सर पुलिस पर आरोप लगाता है, जिसकी जरूरत पडऩे पर जांच भी की जाती है। कई केसों में अगर पुलिसकर्मियों की गलती सामने आती है तो उनपर भी एक्शन होता है। कोई भी जांच हो, उसे पूरा किए बिना कोई नतीजा नहीं निकलता है।

-उपेंद्र कुमार अग्रवाल, जेसीपी, लॉ एंड ऑर्डर