लखनऊ (ब्यूरो)। बीते एक माह के दौरान राजधानी में हुए दर्जनों अग्निकांडों ने यह साफ कर दिया है कि यहां की अधिकतर इमारतों में आग से निपटने के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। वहीं सड़कों पर अतिक्रमण और वाहनों के खड़े रहने से फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों को भी मौके पर पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसे देखते हुए अब फायर डिपार्टमेंट फायर सेफ्टी ऑडिट सिस्टम पर काम करने की तैयारी कर रहा है।

समय पर होगी जांच

फायर सेफ्टी ऑडिट सिस्टम के तहत अब ऐसे मामलों की जांच समय पर पूरी की जाएगी और सुरक्षा मानकों को भी पूरा किया जाएगा। डिपार्टमेंट के अधिकारियों को आदेश दे दिए गए हैं कि सभी इमारतों और संस्थानों का जल्द ऑडिट कर रिपोर्ट भेजी जाए। जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ एक्शन भी लिया जाएगा।

कोचिंग सेंटर्स अनसेफ

फायर डिपार्टमेंट मानक पूरे न करने वाली करीब 600 से अधिक कोचिंग सेंटर्स को नोटिस भेज चुका है और जवाब का इंतजार कर रहा है। चीफ फायर अफसर विजय कुमार सिंह का कहना है कि अगर जवाब नहीं आया या संतोषजनक नहीं हुआ तो फायर डिपार्टमेंट की ओर से कार्रवाई की जाएगी।

संस्थानों का भी सेफ्टी ऑडिट

विजय कुमार सिंह ने बताया कि अस्पताल, बैंक, होटल, हाई राइज बिल्डिंग व सरकारी संस्थानों में अग्निशमन ऑडिट कराया जा रहा है। जिसकी रिपोर्ट हेड क्वार्टर भेजी जाएगी। डीजी फायर अविनाश चंद्र ने भी जल्द फायर डुइट का काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं।

अस्पताल और डाइग्नोस्टिक सेंटर्स भी

फायर अफसर केके अधिकारी ने बताया कि राजधानी में अस्पतालों में भी आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। इसे देखते हुए सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों संग डाइग्नोस्टिक सेंटर्स का भी सेफ्टी ऑडिट किया जाएगा।

हादसों के बाद भी नहीं लिया सबक

चौक, अमीनाबाद, यहियागंज, गुरुनानक मार्केट आदि में कई बार आग लगने के हादसे हो चुके हैं। इसके बाद भी यहां करीब 16 हजार से अधिक दुकानें फायर सेफ्टी मानकों की अनदेखी कर चल रही हैं। इन एरिया में बिजली के पुराने तारों के चलते हादसे हुए हैं, इसके बाद भी इन्हें बदला नहीं गया है। गौरतलब है कि तीन साल पहले मुमताज मार्केट में आग लगने से करोड़ों का नुकसान हुआ था।

आग बुझाने में आती हैं ये समस्याएं

1- फायर हाइड्रेंट गायब

अमीनाबाद में 2005 में फायर हाइड्रेंट बनाया गया था ताकि आग लगने पर यहां से पानी लिया जा सके। यह अब लापता है।

2- सकरी गलियां

राजधानी के कई एरिया और बाजारों में गलियां इतनी सकरी हैं, जहां फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां नहीं पहुंच सकती हैं।

3- अतिक्रमण

चौक, अमीनाबाद, नक्खास आदि एरिया में हर तरफ फैला अतिक्रमण आग लगने पर फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों को समय से पहुंचने से रोकता है।

4- जाम

राजधानी के अधिकतर चौराहों पर सुबह और शाम के समय लगने वाला जाम भी फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों की रफ्तार को कम कर देता है।

पहले भी तैयार की गई थी रिपोर्ट

पूर्व में हुए एक हादसे के बाद फायर डिपार्टमेंट ने कोचिंग संचालकों, होटल मालिकों, व्यापारी संगठनों, अस्पताल संचालकों के साथ वर्कशॉप का आयोजन किया था। वहीं फायर एनओसी न रखने वाली इमारतों की सूची विभाग को सौंपी थी। जिस पर एडीजी ने 15 दिन में ऐसी इमारतों को सील करने का आदेश दिया था। वहीं एलडीए ने भी जोनवार ऐसी इमारतों की लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया लेकिन दोबारा इसकी रिपोर्ट नहीं मंगवाई गई। बिल्डिंग ऑनर दूसरी डिपार्टमेंट से एनओसी लेकर इमारत बनवा लेते हैं लेकिन फायर एनओसी नहीं लेते हैं। जबकि जिला प्रशासन साफ कर चुका है कि पहले फायर एनओसी ही ली जानी है।

एनओसी के मानक

- 3 साल के लिए कामर्शियल बिल्डिंग को एनओसी

- 5 साल के लिए रेजीडेंशियल बिल्डिंग को एनओसी

विभाग और उनकी जिम्मेदारी

1- बिजली विभाग

कोचिंग काम्प्लेक्स में बिजली के तारों का जाल फैला है। बिजली विभाग की जिम्मेदारी इन्हें ठीक करने की है, लेकिन विभाग यहां निरीक्षण भी नहीं करता है।

2- नगर निगम व एलडीए

किसी भी बिल्डिंग में निर्माण कार्य व लाइसेंस चेक करना नगर निगम व एलडीए की जिम्मेदारी है। कोई हादसा होने के बाद ही अधिकतर चेकिंग होती है।

3- जिला प्रशासन

जिला प्रशासन की ओवर ऑल जिम्मेदारी है। कोई भी बिल्डिंग रहने लायक है या कामर्शियल बिल्डिंग में मानकों को पूरा गया है या नहीं।

4- फायर डिपार्टमेंट

कामर्शियल-रेजीडेंशियल बिल्डिंग के सुरक्षा मानकों की जिम्मेदारी फायर डिपार्टमेंट की है। डिपार्टमेंट ने करीब तीन सौ बिल्डिंग संचालकों को नोटिस भेजा है।

कॉम्प्लेक्स के लिए जरूरी मानक

- सैट बैक (भवन की ऊंचाई के हिसाब से वर्किंग स्पेस)

- फायर एग्जिट

- पलायन मार्ग की स्पष्टता

- पलायन मार्ग की डिस्टेंस

- वैकल्पिक रास्ता और जीने की व्यवस्था

- आकस्मिक स्थिति में लाइट की व्यवस्था

- बेसमेंट में रैंप की व्यवस्था

बिल्डिंगों में सुरक्षा के मानक

- फायर एक्सटिंग्यूशर

- डाउन कमर सिस्टम

- यार्ड हाईडेंट सिस्टम

- आटोमेटिक स्प्रिंकलर्स सिस्टम

- आटोमैटिक डिटेक्शन एवं अलार्म सिस्टम

- मैनुअली ऑपरेटेड इलेक्ट फायर अलार्म सिस्टम

- अंडरग्राउंड वाटर टैंक

- ओवरहेड वाटर टैंक

राजधानी में बहुत सी ऐसी इमारतें हैं, जिनमें न तो फायर फाइटिंग सिस्टम हैं और ना ही एनओसी ली गई है। इन्हें चिंहित कर नोटिस भेजी गई है और संबंधित विभागों को भी इसकी रिपोर्ट सौंपी गई है।

- विजय कुमार सिंह, सीएफओ