लखनऊ (ब्यूरो)। साइबर फ्रॉड इन दिनों राजधानी में पुुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है। आए दिन जालसाज लोगों को पैसों का लालच देकर ठगी का शिकार बना रहे हैं। ऐसे में साइबर सेल ने अब इन जालसाजों पर शिकंजा कसने के लिए ब्लूपिं्रट तैयार किया है। दरअसल, साइबर सेल पुलिस ने लगभग 1850 ऐसे मोबाइल नंबर चिन्हित किए हैं, जिनसे राजधानी में लगातार साइबर फ्रॉड किया गया है। पुलिस अब इन नंबरों की जांच पूरी करने के बाद सक्रिय सिम को बंद कराने की तैयारी कर रही है। क्यों नहीं कंट्रोल हो रहा साइबर फ्रॉड? साइबर पुलिस की क्या है रणनीति? क्यों एक नंबर को बार-बार यूज किया जा रहा है? पुलिस इन नंबरों को क्यों नहीं बंद करवा पाती? पेश है इन तमाम सवालों के जवाब तलाशती अमित गुप्ता की रिपोर्ट
इन राज्यों से जुड़े ज्यादातर नंबर
राजधानी में साइबर फ्रॉड की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हर दिन 20 से 25 मामले साइबर सेल में आ रहे हैं। ऐसे फ्रॉड में कुछ खास मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल सबसे अधिक हो रहा है। पुलिस टीम ने अपराध में शामिल ऐसे मोबाइल नंबरों की पड़ताल की है। इनमें अभी तक 1850 से अधिक ऐसे नंबरों का पता चला है जिनसे सक्रिय रूप से ठगी की जा रही है। इनमें से अधिकतर नंबर मध्य प्रदेश, जामताड़ा, मेवात, महाराष्ट्र, भरतपुर, हैदराबाद, बिहार के कुछ जिलों के हैं। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इन स्थानों से ही अधिक से अधिक साइबर ठगी की जा रही है।
नंबर से इस-इस तरह के फ्रॉड
साइबर सेल प्रभारी सतीश कुमार साहू ने बताया कि साइबर क्राइम में इस्तेमाल किए जा रहे मोबाइल नंबरों की जांच की जा रही है। जांच में यह बात सामने आई है कि साइबर ठग मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल ओएलएक्स फ्रॉड, बैंक कर्मी, आर्मी, केवाईसी फ्रॉड, पेंशन, लोन, अपना जानकार बताकर, टेलीग्राम ग्रुप में इंवेस्टमेंट, आदि के नाम पर सबसे अधिक साइबर फ्रॉड किया जा रहा है। हालांकि, साइबर पुलिस ने पिछले दिनों कई नंबर भी ब्लॉक करवाए हैं।
अधिकतर सिम दूसरों के नाम पर
अब तक की पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि जिन सिम कार्ड का इस्तेमाल साइबर जालसाज ठगी में करते हैं वे अक्सर गरीब, मजदूर व कम आय वर्ग के लोगों के नाम से होते हैं। ऐसे में उन पर कार्रवाई करने में कठिनाई होती है। असली साइबर ठगों तक पुलिस नहीं पहुंच पाती है। इस कारण पुलिस अब इन नंबरों को बंद कराने की तैयारी में है ताकि साइबर अपराध के ग्राफ में कमी आ सके। पिछले छह महीने में लगभग 750 नंबरों को ब्लॉक करवाया जा चुका है।
ऐसे चलता है नंबर बदलने का खेल
साइबर सेल के अधिकारियों ने बताया कि अबतक की जांच में सामने आया कि साइबर ठगी करने के लिए जालसाज फेक आईडी का इस्तेमाल करते हैं। पुलिस जब इन एड्रेस पर जाती है तो इनका नाम और पता गलत निकलता है। ऐसे में इनकी लोकेशन के आधार पर भी पुलिस इन तक पहुंचने की कोशिश करती है, लेकिन इन लोगों की लोकेशन पुलिस की पहुंच से दूर रहती है, जिसके बाद पुलिस इन नंबर्स पर कॉल कर पैसे वापस करने की बात कहती है। पर ये लोग मानने को तैयार नहीं होते और अधिकतर केस में ये नंबर कई-कई दिनों तक स्विच ऑफ हो जाते हैं। कुछ वक्त बाद फिर इन्हीं नंबरों से साइबर ठगी होने लगती है।
980 अकाउंट नंबर भी राडार पर
वहीं दूसरी तरफ, साइबर पुलिस ने 980 बैंक अकाउंट नंबरों को भी राडार पर रखा है। अधिकारियों ने बताया कि इन्हीं अकाउंट्स में अक्सर ठगी के पैसों को ट्रांसफर किया जाता है। पुलिस इन सभी खातों को ट्रैक कर रही है। कहां से पैसा ट्रांसफर हुआ? किसने पैसा जमा कराया? कब-कब ट्रांजैक्शन हुआ है? इन सभी का रिकार्ड पुलिस खंगाल रही है। जैसे ही जालसाजों के खातों में कोई हलचल होती है तो पुलिस उनको पकड़ने के लिए छापेमारी शुरू कर देती है।
साइबर सेल ने ऐसे कई नंबरों को चिन्हित किया है, जिनसे लगातार ठगी होती है। इनमें लगभग सभी नंबर दूसरे राज्य के हैं। अब यह नंबर पुलिस की राडार पर हैं। इनको ब्लॉक कराने से लेकर इनकी लोकेशन तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है, ताकि साइबर फ्रॉड पर लगाम लगाई जा सके।
-सतीश कुमार साहू, प्रभारी, साइबर सेल