लखनऊ (ब्यूरो)। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जहां देशभर के हिंदुओं और मुस्लिमों ने इसे खुले दिल से स्वीकार किया वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फैसले को नामंजूर करते हुए कोर्ट में रिव्यू पिटीशन फाइल करने का निर्णय लिया है। बोर्ड ने कोर्ट के फैसले के तीन बिंदुओं को विरोधाभासी बताया और इसे आधार बनाकर रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की बात कही है। इसके साथ ही बोर्ड ने मस्जिद के लिये मिलने वाली पांच एकड़ जमीन को भी लेने से इंकार कर दिया है। बैठक की अध्यक्षता बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद मोहम्मद राबे हसनी नदवी ने की। जमीयत उलमा ए ¨हद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, सांसद असदुद्दीन ओवैसी, मौलाना वली रहमानी, जलालुद्दीन उमरी, सांसद ईटी मोहम्मद बशीर, महिला सदस्य डॉ। आसमा जहरा, आमना रिजवाना, परवीन खान, ममदुहा माजिद आदि ने शिरकत की। इसमें बोर्ड के फ्भ् सदस्यों के अतिरिक्त विशेष आमंत्रित मुस्लिम नेता भी शामिल हुए।

फैसले में कई विरोधाभास

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की राजधानी के मुमताज डिग्री कॉलेज में हुई बैठक के बाद बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने बताया कि अयोध्या मामले पर बीते नौ नवंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल करने का फैसला लिया गया है। जिलानी ने कहा कि बोर्ड की बैठक में महसूस किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई बिंदुओं में न सिर्फ विरोधाभास है बल्कि, यह फैसला समझ से भी परे है। बाबरी मुस्लिम एक्शन कमेटी के सह संयोजक कासिम रसूल इलियास ने बताया कि हम फैसले के फ्0 दिन के अंदर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर देंगे।

जमीन लेना शरीयत के खिलाफ

बोर्ड के सचिव मौलाना उमरेन महफूज रहमानी ने तर्क दिया कि शरीयत के अनुसार हम मस्जिद के एवज में कोई वस्तु या जमीन नहीं ले सकते। लिहाजा, हम अयोध्या में बाबरी मस्जिद के बदले पांच एकड़ जमीन स्वीकार नहीं कर सकते। बाबरी मुस्लिम एक्शन कमेटी के सह संयोजक कासिम रसूल इलियास ने बताया कि हम फैसले के फ्0 दिन के अंदर रिव्यू पिटीशन दाखिल कर देंगे। उन्होंने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन फाइल कर मांग करेंगे मस्जिद की जमीन के बदले मुसलमान कोई अन्य जमीन स्वीकार नहीं कर सकते। इसलिए, मुसलमानों को बाबरी मस्जिद की जमीन देने की कृपा की जाए।

तीन पक्षकार साथ होने का दावा

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब जफरयाब जिलानी से सवाल किया गया कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दे रहा है, तो उनका कहना था कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुसलमानों की नुमाइंदगी करता है। इस मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड अकेला पक्षकार नहीं था। उन्होंने दावा किया कि रिव्यू पिटीशन फाइल करने के लिए तीन पक्षकारों की सहमति मिल गई है। पक्षकार मौलाना महफुजर्रहमान, मो। उमर और मिसबाहुद्दीन हमारे साथ हैं। पक्षकार जमीयत उलमा ¨हद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने भी पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की घोषणा की है।उल्लेखनीय है कि अब पक्षकारों में सिर्फ इकबाल अंसारी बचे हैं। वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत हैं। इस बारे में पूछने पर जफरयाब जिलानी का कहना था कि अयोध्या में पुलिस प्रशासन किसी को इस फैसले के खिलाफ बोलने नहीं दे रहा। हो सकता है कि इकबाल अंसारी भी दबाव में हों।

अंतिम समय बदली मीटिंग की जगह

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक नदवा कॉलेज में होना तय हुई थी। इसी कार्यक्रम के मुताबिक, बोर्ड के सदस्य नदवा कॉलेज पहुंच भी गए। सूत्रों के मुताबिक, बैठक शुरू होते ही कुछ सदस्यों ने इस बात पर आपत्ति जताई। वहीं, बोर्ड की ओर से बताया गया कि प्रशासन की ओर से बैठक की परमीशन न मिलने की वजह से बैठक स्थल नदवा कॉलेज से बदलकर डालीगंज स्थित मुमताज पीजी कॉलेज कर दिया गया और सदस्य वहां के लिये रवाना हो गए।

मदनी ने बीच में छोड़ी बैठक

जमीअत उलमा-ए-¨हद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बैठक को बीच में ही छोड़ वापस लौट गए। मीडिया ने उनसे बात की कोशिश की, लेकिन वह चुप रहे। उनके बैठक छोड़ने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। बोर्ड के अन्य सदस्यों से सवाल किया गया, तो उन्होंने आंतरिक मामला बताकर जवाब देने से इंकार कर दिया। दूसरी ओर बोर्ड के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ। कल्बे सादिक बैठक में शामिल नहीं हुए।

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