पहले मेरिट में शामिल किया नाम, फिर हटा दिया

- समाजशास्त्र में पीएचडी एडमिशन का मामला, प्रशासन पर उठ रहे सवाल

- फीस जमा करने के दौरान स्टूडेंट्स को पता लगा खेल

LUCKNOW :

लखनऊ यूनिवर्सिटी में चल रहे पीएचडी एडमिशन में चयनित स्टूडेंट्स की लिस्ट में रातोंरात फेरबदल किए जाने का मामला सामने आया हैं। नया मामला

समाजशास्त्र विभाग का है। स्टूडेंट्स का आरोप है कि बीती 14 दिसम्बर को जारी चयनित स्टूडेंट्स की लिस्ट में उसका नाम था। लेकिन, जब उसने लॉगिन

के माध्यम से फीस जमा करने की कोशिश की तो उसका विकल्प ही नहीं खुला। इतना ही नहीं रातोंरात चयनित स्टूडेंट्स की लिस्ट में परिवर्तन करके उसका नाम बाहर कर

दिया गया है। स्टूडेंट्स ने एडमिशन कोऑर्डिनेटर प्रो। अनिल मिश्रा को लेटर लिखकर इस मामले पर कार्रवाई करने की मांग की हैं।

पीजी के लिस्ट में भी हुआ था तीन बार संशोधन

बता दें, यह पहला मामला नहीं है जब यूनिवर्सिटी की एडमिशन प्रक्रिया और उसकी ओर से जारी चयनित लिस्ट पर आपत्तियां उठ रही हैं। बीते दिनों पीजी कोर्सेज के एडमिशन के दौरान एडमिशन कोऑर्डिनेटर प्रो। अनिल मिश्रा की ओर से पीजी के कुछ विषयों की मेरिट लिस्ट में तीन.तीन बार परिवर्तन किया गया। स्टूडेंट्स ने जब विरोध किया तब जाकर गलती स्वीकार की गई और संशोधित लिस्ट सामने आई। इसके चलते एडमिशन प्रक्रिया करीब दो महीने देरी से चल रही है। पीएचडी में भी पहली गरीब सवणरें को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। बाद में, स्टूडेंट्स के विरोध के बाद उसे शामिल किया गया। अब एक बार

फिर चयनित स्टूडेंट्स की लिस्ट में हेरफेर करने के आरोप लग रहे हैं। समाजशास्त्र विभाग में पीएचडी के लिए आवेदन करने वाले अरमजीत सोनकर का कहना है कि चयनित स्टूडेंट्स की पहली लिस्ट में ओपन रैंक 75, एससी रैंक 12, चयन हुआ था। इसके बाद चयनित स्टूडेंट्स की एक नई लिस्ट जारी की गई। जिसमें, उसका नाम बाहर कर दिया गया है। वहीं, एडमिशन कमेटी के अध्यक्ष प्रो। पवन अग्रवाल का कहना है कि मेरिट लिस्ट में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। बदलाव सिर्फ चयनित स्टूडेंट्स की लिस्ट में हुआ है। जहां तक इस सीट का विवाद है तो इसे फिलहाल ब्लॉक किया गया है। शासन के नियमों, यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठिता और छात्रहिता के हित में कदम उठाया जा रहा है।