3 घंटे तक लगता है सर्जरी में समय

50 हजार रुपए तक आता है पीजीआई में खर्च

2 लाख रुपए सर्जरी का खर्च है प्राइवेट में

25 सर्जरी पीजीआई में अब तक हो चुकी हैं

- पीजीआई में मैक्सीलरी ऑगमेंटेशन तकनीक से हो रही नाक की सर्जरी

- कटो होंठ के इलाज के बाद अक्सर आती है नाक टेड़ी होने की समस्या

anuj.tandon@inext.co.in

LUCKNOW: कटे होंठ और तालू की समस्या के साथ कई बच्चों का जन्म होता है। ऐसे बच्चों की सर्जरी अधिकतर 12 वर्ष की आयु होने के बाद ही की जाती है। इस सर्जरी के बाद उनके होंठ और तालू का तो इलाज हो जाता है लेकिन सर्जरी की वजह से नाक टेड़ी हो जाती है। जिसका असर सुंदरता पर भी पड़ता है। कई बार इस समस्या के कारण लड़कियों की शादियों में भी दिक्कत आती है। इस समस्या को दूर करने के लिए पीजीआई में मैक्सीलरी ऑगमेंटेशन तकनीक से सर्जरी की जा रही है। इससे चेहरा तो सुंदर होता ही है साथ ही इसमें खर्च भी काफी कम आता है। पीजीआई प्रदेश का ऐसा पहला सरकारी अस्पताल है, जहां इस तरह की सर्जरी की जा रही है।

क्यों टेड़ी हो जाती है नाक

पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ। राजीव अग्रवाल ने बताया कि कटो होठ और तालू के इलाज के दौरान मैक्सिला के अंदर की हड्डी कुछ दब जाती है और मरीज की नाक टेड़ी हो जाती है। इससे सुंदरता भी कम हो जाती है।

मैक्सीलरी ऑगमेंटेशन तकनीक कारगर

डॉ। राजीव अग्रवाल ने बताया कि मरीज की नाक ठीक करने के लिए बोन ड्रॉफ्टिंग करनी पड़ती है। यह सर्जरी आसान नहीं है और हर सर्जन इसे करता भी नहीं है। पीजीआई में मैक्सीलरी ऑगमेंटेशन तकनीक से ऐसी सर्जरी की जा रही है, जिससे टेड़ी नाक की समस्या पूरी तरह ठीक हो जाती है।

2 से 3 घंटे की सर्जरी

डॉ। राजीव ने बताया कि इस सर्जरी में दो से तीन घंटे का समय लगता है। इसमें हिप बोन से जरूरत के अनुसार हड्डी निकालकर मैक्सिला बोन के ऊपर तीन-चार स्क्रू की मदद से लगाई जाती है। इससे मरीज की नाक सीधी हो जाती है और उसका चेहरा सुंदर दिखने लगता है।

12 दिन रहना होता है अस्पताल में

इस सर्जरी के लिए मरीज को करीब 12 दिन अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। सर्जरी के दूसरे दिन से ही मरीज लिक्विड फूड, एक सप्ताह बाद सेमी-सॉलिड फूड और दूसरे सप्ताह से नार्मल खाना खा सकता है। खास बात यह है कि इस सर्जरी के बाद किसी तरह की दूसरी समस्याएं भी सामने नहीं आती हैं।

सिर्फ 50 हजार तक का खर्च

डॉ। राजीव ने बताया कि प्राइवेट अस्पतालों में इस सर्जरी का खर्च डेढ़ से दो लाख रुपए आता है, लेकिन संस्थान में एचआरएफ सुविधा होने से यहां खर्च सिर्फ 40 से 50 हजार का ही आ रहा है। अब तक ऐसी 25 सर्जरी यहां हो चुकी हैं। इनमें 18 से 25 साल की उम्र की लड़कियों की संख्या अधिक है। इनमें से कई की रिश्ते की बात चल रही थी।

कोट

इस तरह की सर्जरी प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ पीजीआई में हो रही है। बढ़ी संख्या में लड़कियां इस तरह की सर्जरी करा रही हैं।

डॉ। राजीव अग्रवाल, एचओडी प्लास्टिक सर्जरी विभाग, पीजीआई