लखनऊ (ब्यूरो)। आखिरकार अब नगर निगम की ओर से डॉग लाइसेंस न बनवाने वालों के खिलाफ कदम उठाने की तैयारी है। एक तरफ जहां डोर टू डोर सर्वे कराकर देखा जाएगा कि कितने लोगों ने अपने डॉग का लाइसेंस बनवाया है और कितनों ने नहीं। इसके साथ ही नगर निगम की ओर से ऑनलाइन डॉग लाइसेंस बनवाने की सुविधा भी शुरू की जा रही है, ताकि लोग घर बैठे ही अपने डॉग का लाइसेंस बनवा सकें।

अभी लाइसेंस के लिए ऑफलाइन व्यवस्था

अगर आपको वर्तमान समय में अपने डॉग का लाइसेंस बनवाना है तो आपको ऑफलाइन माध्यम से लाइसेंस के लिए आवेदन करना होता है। ऑफलाइन व्यवस्था होने के कारण ही ज्यादातर डॉग मालिकों की ओर से लाइसेंस नहीं बनवाया जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए ही निगम की ओर से अब लाइसेंस के लिए ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की जा रही है, ताकि डॉग मालिक आसानी से अपने पेट का लाइसेंस बनवा सकें।

अभी सिर्फ 6 हजार लाइसेंस

वर्तमान समय में नगर निगम से सिर्फ छह हजार के आसपास डॉग लाइसेंस बनाए गए हैैं। जबकि राजधानी में 30 से अधिक घरों में डॉग पाले जा रहे हैैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डॉग लाइसेंस बनवाने वालों की संख्या खासी कम है। जबकि नियमानुसार, अगर आपके घर में डॉग पला है तो उसका लाइसेंस बनवाना जरूरी है। नगर निगम की ओर से भी इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जाता है, जिसका फायदा डॉग मालिक उठाते हैैं।

नसबंदी को लेकर भी अभियान

इस समय लगभग सभी वार्डों में स्ट्रीट डॉग्स की भी समस्या बनी हुई है। इनकी वजह से लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए ही निगम प्रशासन की ओर से यह भी निर्णय लिया गया है कि डॉग्स की नसबंदी को लेकर भी अभियान चलाया जाएगा। अभी तक 43 हजार के आसपास डॉग्स की नसबंदी कराई जा चुकी है, जबकि 40 हजार की और करने का लक्ष्य रखा गया है। निगम प्रशासन की माने तो डॉग्स की नसबंदी के लिए जोनवार अभियान चलाया जाएगा। एक बार जब शत प्रतिशत डॉग्स की नसबंदी हो जाएगी तो साफ है कि डॉग्स की संख्या कम होगी।

पब्लिक को भी करेंगे जागरूक

निगम प्रशासन की ओर से लोगों को डॉग लाइसेंस के प्रति जागरूक करने के लिए भी अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए वार्डवार कवायद की जाएगी। लोगों को यह भी बताया जाएगा कि डॉग लाइसेंस बनवाने के क्या फायदे हैैं। अगर आपके डॉग का लाइसेंस बना है और वह किसी को काट लेता है तो आपके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज नहीं होगा। जबकि लाइसेंस न होने की स्थिति में आपको गंभीर धाराओं का सामना करना पड़ सकता है। पिछले दिनों जो डॉग बाइट के केस सामने आए थे, उसमें डॉग मालिकों की ओर से लाइसेंस बनवाए गए थे। जिसकी वजह से उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की गई बल्कि डॉग को जब्त कर उसके बिहेवियर की 14 दिन स्टडी की गई। उसका बिहेवियर नॉर्मल होने के बाद वापस उसे मालिक को सौंप दिया गया।

जल्द ही डॉग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की जाएगी। इसके साथ ही डॉग्स की नसबंदी के लिए भी व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। अभी करीब 40 हजार डॉग्स की नसबंदी कराई जानी है।

-डॉ। अरविंद राव, अपर नगर आयुक्त